Tuesday 6 March 2018

प्रायवेसी.............
महिला नये घर में जाने की इच्छुक नहीं है।
पति अपनी बांहों में समेटना चाहता है ।
पत्नी- " कोई देख लेगा।"
पति- " नये घर में कोई नहीं देखेगा।"
एक हीरे के विज्ञापन में नयी पीढ़ी की नब्ज कुछ इस तरह पकड़ी गई है।
घर में रहते लोग भी न देखें. इतनी निजता चाहिए ।
सही में
आज लोग यही चाहते हैं
कि कोई न देखे।
कोई न टोके।
यही कारण है एकल परिवार का ।
छोटे से फ्लैट में सारे सुख जोड़ लेते हैं।
किसी को देखना नहीं चाहते। किसी को दिखना भी नहीं चाहते।
सब कुछ अच्छा चल रहा होता है।
लेकिन समस्या तब आती है
जब इच्छा होती है कि कोई देखे तब भी कोई नहीं देखता।
कोई सुनता भी नहीं।
यही तो है प्राइवेसी।
इस प्रायवेसी के चलते एक चार साल की मासूम दसवीं मंजिल से गिर जाती है।
घर वालों को एक घंटे बाद पता चलता है कि बच्ची गिरी है।
किसी को पता नहीं चलता कि बच्ची गिरी किस घर से है।
क्योंकि
पहले देखा होता तो जरूर पता चलता।
क्या करें
प्रायवेसी यु नो
गार्ड मिन्नतें करते रह जाते हैं कि कोई अपनी गाड़ी में हॉस्पिटल पहुंचा दे।
पर लोग मुंह छुपाने लगते हैं। छुपने लगते हैं।
गौर कीजिएगा। ये सबसे ज्यादा पढ़े लिखे और आर्थिक रूप से सम्पन्न वर्ग की मानसिकता है।
आखिरकार गार्ड खुद स्कूटी पर बच्ची को हॉस्पिटल पहुंचाते हैं। जहां बच्ची को मृत घोषित कर दिया जाता है।
हमें नहीं लगता
कि कुछ और कहने को बाकी रह गया है।

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