Friday 16 March 2018


प्रतिभाशाली युवाओं से
 भाजपा कांग्रेस की सच्ची उत्तराधिकारी है., इसका ऐसा होना भारत विरोधी शक्तियोंकी विजय है ,भारत विरोधी शक्तियों के काम करने का एक ढर्रा है . उसे पहचान लें .
जो पार्टी सबल होती है उसमे गहरी पैठ बनाते हैं ., फिर उसे हिन्दुओं की प्रतिनिधि पार्टी प्रचारित करते है ,. कभी कांग्रेस को इसी तरह हिन्दुओं की पार्टी प्रचारित किया था फिर उसे सत्ता दिलाकर धीरे धीरे ईसाइयत की एजेंट बना डाला और अन्य हिन्दू द्रोही शक्तियों का संगम भी ..अब भाजपा उनके प्रभाव में आ गयी है तो उसे हिन्दुओं की एकमात्र प्रतिनिधि पार्टी प्रचारित करने का खेल ४० वर्षों से चल रहा है पर बनने नहीं दिया जा रहा है , यही कांग्रेस के साथ हुआ था
 भाजपा का विरोध कर कांग्रेस के या किसी अभी के गैर भाजपा दल के पक्ष में हवा बनाना देश के नाश में योगदान देना है . कांग्रेस ने पकिस्तान बनाकर शेष भारत को अपने पास रखा कि इतना हम सम्हाल लेंगे , यह आशा थी , सम्हाला भी पर ईसाइयों और मुसलमानों के लिए ..
 भाजपाके कई नेता और भी कम हिस्से को सम्हालने के योग्य स्वयम को पाते हैं इसलिए वे कहीं अपनी महबूबा खड़ी करते हैं , कहीं पूर्व communists का पोषण करते हैं और कहीं ईसाइयत को खुली छूट देते हैं . इस पर नपुंसक गुस्से में समय मत लगाइए . कांग्रेस और इन लोगों ने मिलकर एक परिवेश रचा है , समाज को शक्ति हीन बना डाला है और संपत्ति का अधिकार तो जनता पार्टी सरकार ने ही १९७७ में छीनने का महापाप किया था .
 कृपा कर संघ पर गुस्सा न निकालें , वे राज्य रचना और नियंत्रण में असमर्थ भले लोग हैं जिन्हें देश से प्रेम है पर राज्य के नियंत्रण की कभी तयारी ही नहीं की . कमीने communists के प्रोपगंडा से प्रभावित होकर आप उसे जाने क्या मान बैठे तो यह आपकी बौद्धिक असमर्थता का लक्षण है . संघ पर गुस्सा आपकी आध्यात्मिक रिक्तता का सूचक होगा
 नयी POLITY की रचना सदा धर्म तंत्र से होती है . दल तो सदा हवा देखकर एजेंडा तय करते हैं . सनातन धर्म का तंत्र आज भी अत्यंत श्रेष्ठ है , उसे पुनः शक्ति शाली कैसे बनायें , केवल यह विचार और कार्य ही हिन्दू समाज को नयी शक्ति देगा . उसमे बाहरी चमक नहीं है , साधना का मार्ग है पर वही एकमेव मार्ग है संघ ने विश्व हिन्दू परिषद् बना कर केवल धर्म तंत्र की शक्ति नष्ट की .संघ एक विराट संगठन है और वह वे कार्य कर रहा है जो उसे करना चाहिए और जो उसका संकल्प है . हम या तो उस से पूछ कर कार्य करें या अपना कार्य करें पर संघ को बताने के फेर में न पड़ें किउसे क्या करना चाहिए. मेरी टिप्पणी संघ पर नहीं है , कुशिक्षा के कारण जो लोग संघ को कम्युनिस्ट पार्टी जैसा नियंत्रक संस्थान समझते हैं या देखना चाहते हैं, उनकी व्यर्थता बता रहा हूँ मैं .किसी बड़े संगठन को क्या करना चाहिए , यह उसके भीतर के लोग ही बताने के अधिकारी हैं , शासन को भले हर नागरिक कुछ बताता रहे क्योंकि यह नागरिक का कर्तव्य है .
संघ के किसी एक कृत कार्य या प्रयास की समीक्षा या विश्लेषण एक प्रबुद्ध व्यक्ति के रूप में करना अपने और अपने साथियों के लिए , उनकी समझ के लिए है . यह कोई संघ के लिए सुझाव नहीं है .
यह जरूर है कि संघ भी शायद आनंद लेता है कि लोग उसे कम्युनिस्ट पार्टी जैसी नियंत्रक संस्था मानते हैं . पर वह केवल मज़े लेना हो सकता है . संघ का भाजपा नेताओं पर नियंत्रण होता तो वे आपस में निकृष्ट स्तर तक जा कर न लड़ पाते. अपने ही साथियों को फँसाना, झूठे मुक़दमे , चरित्र हनन क्या नहीं कर रहे भाजपा नेता ..
ध्यान रहे संघ ९२ वर्षों में एक बार नहीं टूटा और न एक निकृष्ट कार्य किसी ने अपने साथी के लिए संघ में किया .
सारी समस्याएं संघ निपटाए , यह कम्युनिस्ट दिमाग के हो गए लोगों का लक्षण है .जिस दिन ऐसा हो जाता , संघ एक भयावह चीज हो जाता . अभी कमीनों के सिवाय वह सब का प्रेम भाजन बना है सो अपने शील और कार्य पद्धति से ही .
 धर्माचार्यों को किसी भी राजनैतिक या अर्ध राजनैतिक आन्दोलन में लगाना पाप है, उस से उनका तेजो क्षय होता है , उन्हें अपनी ही महिमा में प्रतिष्ठित रहने दें और उनकी प्रभुता तथा महिमा समाज में और और बढे , इसके लिए कार्य करें , तभी हिन्दू समाज बढेगा . पोप ने कोई आन्दोलन कब किया है ? इसकी चरणबद्ध योजना पर कुछ संकेत हम करेंगे , शेष आपकी प्रतिभा आपको मार्ग दिखाएगी .
             जो नवयुवक इतने उच्च स्तर पर कार्य न करें ,वे आन्दोलन आदि भी करें पर दो बातों का ध्यान रख कर; (क ) गैर भाजपा दल की सेवा तो नहीं कर रहे आप ? क्योंकि यह निश्चित हिन्दू द्रोह है ?( ख )भाजपा की चाटुकारिता तो नहीं कर रहे , करें तो हर्ज नहीं, अगर लाभ लें पर बिना लाभ भटकना जीवन व्यर्थ करना है , भाजपा कांग्रेस की सच्ची वारिस है और उसी और जाएगी , कांग्रेस विदेश की सेवा में खिसक गयी है , यह अभी इधर है , बस . (ग) एक धर्म सेवक हिन्दू संगठन के लिए कार्य करें .
रामेश्वर मिश्र पंकज

No comments:

Post a Comment