Saturday 6 January 2018

 मुसलमान और दलित गठजोड़ ,देश तोड़ने के लिए है ...

जोगेन्द्र नाथ मंडल, बंगाल से अनुसूचित जाति के नेता जिन्होंने मुस्लिम लीग के बहकावे में आकर मुसलमान और दलित गठजोड़ बनाया और फिर मुस्लिम लीग की पाकिस्तान मांग का भी समर्थन कर दिया जबकि डॉक्टर अंबेडकर ने जोगेन्द्र नाथ मंडल को ऐसा करने से लाख मना किया क्योंकि डॉक्टर अंबेडकर को मुसलमानों की चाल के बारे में पहले से ही पता चल चुका था।
डॉक्टर अंबेडकर को पूरा आभास था कि -मुसलमान पूरे विश्व को इस्लामिक बनाना चाहते हैं ,एक मुसलमान देश में दलित एक इंसान की भी जिंदगी नहीं जी पाएगा और ऐसा ही हुआ, दलितों को कोई अधिकार पाकिस्तान में नहीं मिला reservation तो किसी दलित नेता ने मांगने की हिम्मत भी नहीं कि,मिलता तो कहाँ से।
इसके बाद जोगेन्द्र नाथ मंडल और दलितों को पाकिस्तान में जो मिला, वो था 1950 के दंगे, जिसमें दलितों को मुसलमानों ने पूरी तरह से मारा काटा और दलित मुस्लिम गठजोड़ का कोई डिस्काउंट भी दलितों को नहीं मिला और आज तक पाकिस्तान मे दलितों को सेकेंड क्लास सिटिज़न ही माना जाता है चाहे वो दलित हो या कन्वर्ट होकर मुसलमान बन जाए तब भी उनकी हालत वही रहती है। 23% दलित जनसंख्या 2% से भी कम रह गई पाकिस्तान में।
जोगेन्द्र नाथ मंडल को अपनी गलती तीन साल में ही समझ आ गई दलित मुस्लिम एकता कितना बड़ा झूठ है यह उनके सामने खुल चुका था और आगे चलकर इस मुस्लिम राष्ट्र में दलितों की क्या हालत होगी यह सोचकर मंडल चुपचाप पाकिस्तान से भागे और कलकत्ता आकर बस गये पर तब तक उन लाखों दलितों का भविष्य जो उनकी बातों को मानकर पाकिस्तान का समर्थन कर रहे थे उनका भविष्य तबाह हो चुका था ।
दोस्तों आज आज भी कई दलित नेता जोगेन्द्र नाथ मंडल बने घूम रहे हैं देश तोड़ने के लिए ।
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भीमा कोरेगांव में मुग़ल शासक औरंगज़ेब ने 11 मार्च 1689 को छत्रपति शिवाजी महाराज के ज्येष्ठ पुत्र और मराठा शासक संभाजी राजे भोसले को निर्दयापूर्वक मार दिया था. उसी गांव में रहनेवाले महार जाति के गोविन्द गणपत गायकवाड़ ने मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब की चेतावनी को नज़रअंदाज़ करते हुवे संभाजी के क्षत-विक्षत शरीर को उठाकर जोड़ा और उनका अंतिम संस्कार किया. इसके फलस्वरूप मुग़लों ने गोविन्द गायकवाड़ जी की हत्या भी करवा दी. बाद में गोविन्द जी के सम्मान में संभाजी की समाधी के बगल में ही गोविन्द जी की समाधि भी बनाई गई थी.......
....वामपंथी और मुग़ल समर्थक इतिहासकारों द्वारा कितना विष घोला गया है दलित भाइयों में, कि, जिन महार जाती के गोविन्द जी को मुगलों के हाथों अपनी जान गवानी पड़ी, मराठा महाराज संभाजी के अंतिम संस्कार के लिए, आज उन्ही के समाज के लोग उमर खालिद जैसे वामपंथी नेता के नेतृत्व में मराठा समाज के खिलाफ सड़क पर उपद्रव कर रहे हैं.....अपने असली शत्रुओं को पहचानिये, कभी अंग्रेज़ों, तो कभी मुग़लों और अब वामपंथी तथा कांग्रेसी राजनीती के मोहरे बनकर अपने ही देश को आग के हवाले ना करें....
साभार : पूजा मिश्रा।

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