Monday 15 January 2018

लार्ड साहबो का हरामीपना देखिये !
रिकॉर्डिंग में अग्रवाल कहते हैं कि संबंधित व्यक्ति से मुलाकात इसलिए संभव नहीं है क्योंकि 'चायवाले की सरकार' सबको देख रही है।
मेडिकल घोटाला: प्रसाद, मंदिर और गमला थे जज के कोड वर्ड्स
सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद मेडिकल कॉलेजों में स्टूडेंट्स को दाखिला देने से जुड़े घोटाले में जजों की संलिप्तता को लेकर अब एक और खुलासा हुआ है। सीबीआई की जांच के दौरान रिकॉर्ड की गई बातचीत से पता लगा है कि घोटाले में शामिल जज घूस लेने के लिए 'प्रसाद', 'मंदिर', 'बही', 'गमला' और 'सामान' जैसे कोड वर्ड्स का इस्तेमाल करते थे। बता दें कि इस मामले में ओडिशा के रिटायर्ड जज आईएम कुद्दुसी को भी गिरफ्तार किया जा चुका है और वह फिलहाल जेल में हैं।
सीबीआई द्वारा की गई आईएम कुद्दुसी और बिचौलिये विश्वनाथ अग्रवाल और प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के बीपी यादव के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग से यह सामने आया है। बातचीत से यह भी पता लगा है कि बिचौलियों ने कॉलेज के मालिकों को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया तक से राहत दिलाने का वादा किया है। मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के दो मौजूदा जज भी सीबीआई की जांच के घेरे में हैं।
इतना ही नहीं, आरोपियों को सरकार की ओर से बिचौलियों और फिक्सर्स पर की गई सख्ती का डर भी सता रहा था। रिकॉर्डिंग में अग्रवाल कहते हैं कि संबंधित व्यक्ति से मुलाकात इसलिए संभव नहीं है क्योंकि 'चायवाले की सरकार' सबको देख रही है।
लेकिन ओडिशा के व्यापारी ने 500 प्रतिशत गारंटी दी कि काम हो जाएगा। एक बातचीत की ट्रांसक्रिप्ट में अग्रवाल रिटायर्ड जज कुद्दुसी को आश्वस्त करते हैं कि उनके 'फादर' और 'कैप्टन' सबकुछ करने को तैयार हैं। वे अपना 100 प्रतिशत देंगे।'
बातचीत में एक जगह यादव अग्रवाल से अग्रवाल कहते हैं कि उन्हें जज की बातों पर भरोसा है। अग्रवाल फिर से यादव को याद दिलाते हैं कि अगर 'प्रसाद' नहीं दिया गया तो यह मसला सुलझेगा नहीं। जब इन कोडवर्ड्स को लेकर सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, 'सीबीआई ट्रांसक्रिप्ट्स की न तो पुष्टि करती है और न ही इसे खारिज करती है।'
बातचीत से यह भी खुलासा होता है कि बिजनसमैन अग्रवाल को यह भी भरोसा था कि उसे 'इलाहाबाद के मंदिर' और 'दिल्ली के मंदिर' से अपने हित में फैसला मिलेगा। रिटायर्ट जज कुद्दुसी के अलावा इस मामले में बिजनसमैन अग्रवाल सबसे बड़ा चेहरा है जो जजों को अपनी बातों में फंसाकर खराब व्यवस्था वाले मेडिकल कॉलेजों के मालिकों के मामलों को सुलझाने का काम करता था।

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