Thursday 4 January 2018

कॉन्ग्रेसी दल्ले और वामपंथी गेंग महाराष्ट्र में संभाजी भिड़े के पीछे क्यूँ पड़े हैं..?

देश के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी जी के साथ आप जिस साधारण से व्यक्तित्व को देख रहे हैं वो हैं आदरणीय #संभाजीराव_भिडे_गुरुजी जिन्हें  सरकार ने दलित तुष्टिकरण और वोट बैंक बचाने के नाम पर जेल करवा दी !!!!
उम्र-86 वर्ष , शिक्षा - एम्.एससी ( एटॉमिक एनर्जी) गोल्ड मेडलिस्ट ,
इन्होने कुछ सालों तक पुणे के प्रसिद्ध फर्ग्यूसन काॅलेज में फिजिक्स के प्रोफेसर की नौकरी की.प्रारम्भ में संघ के सक्रीय सदस्य थे लेकिन कुछ मतभेदों के चलते इन्होने #श्री_शिवप्रतिष्ठान_हिन्दुस्थान ( http://shrishivpratishthan.com/ ) की स्थापना की. महाराष्ट्र के दस लाख के आसपास युवा इनके शिष्य हैं, जो इनके साथ गढ-किलों की साफसफाई , सुरक्षा करना,राष्ट्र धर्म का प्रचार प्रसार ... युवाओं को राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करना जैसे कार्य में रत हैं.86 वर्ष की आयु में भी कितना भी उंचा पहाडी किला हो उस पर गुरु जी आसानी से चढते है ... कभी भी चप्पल नहीं पहनते ... हमेशा ऐसे ही पोशाक में रहते हैं .
#अण्णा_हजारे से सौ गुना ज्यादा लोग इन्हें मानते और सम्मान देते हैं लेकिन इतने लाखों की संख्या में शिष्य होने पर भी आदरणीय संभा जी नें कभी भी कोई राजनैतिक फायदा नहीं उठाया..! पैरो में चप्पल नही पहनते ,हर धर्म राष्ट्र के मुद्दे पर निष्पक्ष रूप से साथ खड़े रहते है
महाराष्ट्र में हुए हालिया उपद्रव में जिन 85 वर्षीय राष्ट्रवाद से ओत प्रोत मराठी सामाजिक नेता श्री संभाजी भिड़े को दलितों/बौद्ध के दबाव में आरोपित किया गया है, उन्होंने अपने सामाजिक संगठन के माध्यम से जोधा-अकबर मूवी के समय आंदोलन और अभी पद्मावती मुद्दे पर भी उन्होंने अपने संगठन के माध्यम से भंसाली का जबरदस्त विरोध किया और कई रैलियां निकलवाई हैं।
जोधा अकबर मुद्दे पर आप पर कई मुक़दमे भी लगे थे ,महाराष्ट्र में कई जगहों पर इस फ़िल्म को नही लगने दिया था साथ ही हाल ही में पद्मावती विवाद पर सुदूर महाराष्ट्र के कई जिलो में भारी प्रदर्शन करवाया जिनमे सांगली,रत्नागिरी,मालवण,सिन्धदुर्ग,कोल्हापुर जैसे कई जिले शामिल है

कॉन्ग्रेसी दल्ले और वामपंथी गेंग महाराष्ट्र में संभाजी भिड़े के पीछे क्यूँ पड़े हैं..?
क्यों उन्हें दलित विरोधी बताकर गिरफ्तार करवाना चाहते है? इसका मुख्य कारण है, इस बुजुर्ग ने वामपंथियों की मांद में ऐसा हाथ भरा कि वामपंथियों के जाल में फंसे हमारे लाखों आदिवासी दलित भाइयों को बचा कर ले आए। लाखों दलित आदिवासी सहित पूरा हिन्दू समाज संभाजी की एक आवाज पर 5 से 10 लाख हिन्दू जात पात भूलकर एक जगह खड़े हो जाते है।
बस यही कारण है उमर खालिद, मेवानी जैसे वामपन्थी गिद्दों की नजर इस योद्धा पर पड़ी जिसने लाखो लोगो को धर्मान्तरण नही करने दिया और दलितों आदिवासी सहित पूरे समाज को एक कर दिया। यही इन अफजल गेंग की आँखों की किरकिरी बन गया और आगे का नाटक जानते ही हो आप।
संभाजी को दलित आदिवासी मराठा सब चाहते है। यही इन वामपंथियो का पेट दर्द था और फिर षड्यन्त्र रचा इन वामपन्थी JNU के वही गद्दारो ने जिन्होंने कहा था भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाह अल्लाह। इतिहास दोहराया जा रहा है ।
1942 -1947 जिन्ना + योगेंद्र कुमार मण्डल (दलित) + नेहरू
2016-2019 उमर खालिद + जिग्नेश मेवानी + राहुल
तब 1946 में नेहरू उपराष्ट्रपति बने ओर 20 जून 1947 को विभाजन की घोषणा कर प्रधानमंत्री बने (अब राहुल प्रधानमंत्री बनना चाहता है 2019 में)...सावधान

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