Thursday 28 December 2017

 प्रो. कुसुमलता केडिया जी ने अधिवक्ताओं के राष्ट्रिय अधिवेशन में अत्यंत प्रभाव शाली व्याख्यान दिया जिसके महत्वपूर्ण बिंदु मनन योग्य हैं :
१ वर्तमान संविधान में अधिकाँश प्रावधान Govt.of India act 1935 से लिए गए हैं ,कुछ अन्य प्रावधान अमेरिका, फ्रांस आस्ट्रलिया , जर्मनी ,स्विट्ज़रलैंड आदि से लिए गए पर मूल आधार १९३५ का एक्ट है .
२ अंग्रेजों ने उक्त एक्ट बनाया था पर स्वयं इंग्लैंड में कोई लिखित संविधान 
नहीं है . 
३ संविधान वस्तुतः शासन के नियमों (Rules of Governance)का संकलन है
४ अंग्रेजों ने यह एक्ट स्पष्ट और घोषित योजना से बनाया था ,वह था :Unilateral Transfer of Resources --संसाधनों का एकतरफा हस्तांतरण . भारत के संसाधन इंग्लैंड जाते रहें ,इसके लिए उक्त एक्ट था
५ प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सेनाओं की कृपा से इंग्लैंड और फ्रांस के सैनिकों के प्राण बचे और इस पक्ष की जीत हुयी इसलिए भारत की सैन्य शक्ति को यूरोप अच्छे से जानता है ,इंग्लैंड तो विशेषतः जानता है .भारतीय सैन्य अधिकारियों और सैनिकों को दिये गए विक्टोरिया क्रॉस एवं अन्य पदक इसके प्रमाण हैं .
६ मिन्टो मारले समिति के समय से यह स्पष्ट हो गया था कि भारत के ब्रिटिश हिस्से को स्वायत्तता देनी पड़ेगी .
७ तब से इंग्लैंड में पढ़े चतुर लोग इस जुगत में लग गए कि अंग्रेज हमें ही वारिस बनाकर जाएँ .
८ १९४७ तक भारत में ५०० से अधिक देशी राज्य थे जो सब भारतीय शासन नियमों से शासन करते आये थे . उनमे से कुछ राजवंश ६०० -७०० वर्षों तक निरंतर शासक रहे थे अतः ९० साल तक लगभग आधे भारत के ही शासक रहे आतातायियों के शासन से भारत को कुछ भी क्यों सीखना था ?
९ दो दो महायुद्धों में भारत से सहायता के बल पर बचने के कारण यह बाध्यता थी कि अंग्रेज भारत को दिया वचन पूरा करें और जाएँ .
१० अपने वास्तविक विरोधियों और शक्तिशाली भारतीयों से डरने के कारण अंग्रेजों ने थोड़े कायर और कमजोर तथा अपने समर्थकों को गद्दी सौंपकर जाने की युक्ति रची ताकि अपने हित सुरक्षित रहें
११ गाँधी जी और नेहरु को कहा गया कि हमें तो जाना पड़ेगा अतः तुम अंग्रेजो भारत छोडो का नारा दो और श्रेय स्वयं लूट लो '
१२ आन्दोलन नियंत्रण से निकलता दिखा तो ६ महीने में अंग्रेजों ने कांग्रेस के आन्दोलन को कुचल दिया और गाँधी नेहरु ठन्डे पड गए अतः उनके किसी दबाव से अंग्रेज गए ,यह नितांत झूठ है .वैश्विक परिस्थितियों और अपनी जर्जर दशा तथा नेताजी के भय से उन्होंने अपने मित्रों को सत्ता का हस्तांतरण कर भागने की तैयारी की .

१३. कांग्रेस में गाँधी जी की लोकप्रियता उतार पर थी और नेहरु को स्वयं कांग्रेस में कोई नहीं चाहता था इसीलिए कार्यकारिणी ने नेहरु को अध्यक्ष बनाने के पक्ष में एक भी वोट नहीं दिया ,सरदार तथा अन्य लोग लोकप्रिय थे .
१४. अपने अंग्रेज मित्रों के आग्रह पर गाँधी जी ने कांग्रेस कार्यकारिणी पर बहुत भावात्मक दबाव डालकर नेहरु को कांग्रेस अध्यक्ष बनवाया क्योंकि तय था कि अध्यक्ष ही पहला प्रधानमन्त्री होगा .
१५ गाँधी नेहरु ने मज़हब के आधार पर भारत के २ स्पष्ट टुकड़े किये अतः शेष भारत केवल हिन्दुओं का है ,यह उस समय स्वयं जिन्ना मान रहे थे .
१६ गाँधी नेहरु सशक्त भारत से डरते थे क्योंकि स्वयं कमजोर मन के थे इसलिए भारत को कमजोर रखने और हिन्दुओं को दबाये रखने के लिए शेष भारत को हिन्दू राष्ट्र नहीं घोषित किया गया .
१७मौर्यों , गुप्तों , चोलों ,चालुक्यों ,राष्ट्रकूटों ,सातवाहनों , पांड्यों ,पल्लवों , होय सलों ,आंध्रों ,भोजों, वाकाटकों , गौडों कदम्बों ,गंग वंशियों ,यादवों चेरों अहोमों ,राजपूतों ,मराठों -पेशवाओं ,कलचुरियों ,चंदेलों बुंदेलों , गहरवारों , सिसोदिया वंश, पालों , प्रतिहारों ,परमारों ,होलकरों ,चौहानों मालवों , सिंधिया , भोंसले गायकवाड आदि आदि की शासन व्यवस्था के आधार पर संविधान नहीं रचकर इंडिया एक्ट १९३५ के आधार पर संविधान रचा गया तो इसका एकमात्र कारण संसाधनों के एकतरफा हस्तांतरण की नीति जारी रखने की योजना और नीति तथा नीयत है या थी .
१८ संविधान एक ड्राफ्ट समिति ने रचा और उसे एक संविधान सभा ने अपनाया .उसकी रचना संसद ने नहीं की और जनता ने तो कभी की ही नहीं इसलिए "We the people of India ------"यह प्रस्तावना का प्रथम वाक्य मात्र अलंकारिक है .
१९ इंग्लैंड का अनुभव केवल एक छोटे से क्षेत्र इंग्लैंड में कुछ सौ वर्षों के शासन का है ,भारत के एक हिस्से में तो वह ९० वर्षों में ही फ़ैल हो गया अतः ऐसे विफल राज्यतंत्र वाले एक्ट से नक़ल की क्या जरूरत थी ? और शताब्दियों विशाल क्षेत्र में राज्य करने वाले भारतीय राजाओं के राजधर्म से सीखने में क्या दिक्कत थी ?
२० भारत की परंपरा है कि सुशासन के सामान्य आधारों पर विस्तृत नियम क्षेत्र की जनता के जीवन अनुभवों और परम्पराओं से बनाते और चलते रहते हैं .एक ही प्रकार के नियम इतने विशाल क्षेत्र में संभव भी नहीं और उचित भी नहीं .

२१. स्पष्ट है कि संसाधनों के एकतरफा हस्तांतरण के लिए ही इंडिया एक्ट १९३५ संविधान की शक्ल में पुनः लागु किया गया .
२२ इसका प्रमाण यह है कि विगत ७० वर्षों से संसाधनों का एक तरफा हस्तांतरण जारी है और जितना संसाधन ९० वर्षों में अंग्रेज भारत से ले गए ,उस से लगभग ५० (या और अधिक ) गुना भारतीय संसाधन ७० वर्षों में भारत से बाहर विकास के नाम पर गया है .
२३ ये सत्य पर आधारित आर्थिक आंकड़े हैं .(पूज्य स्वामी रामदेव जी की इस बात का केडिया जी की बात से समर्थन हो रहा है कि अंग्रेजों से कई गुना ज्यादा भारत को कांग्रेसियों ने लूटा और भारत का धन बाहर भेजा है :रामेश्वर मिश्र पंकज )
२४ सबसे मुख्य तथ्य यह है कि अभी के सत्ता संपन्न लोगों और अंगों की स्वयं की यह आत्मस्वीकृति है कि वे सभी अंग भृष्ट हैं और भृष्टाचार में लिप्त हैं क्योंकि नेताओं यानी विधायिका के राष्ट्रिय और प्रांतीय अंगों पर स्वयं विधायकों और सांसदों ने भृष्टाचार के अति गंभीर आरोप लगाये जो अधिकाँश सिद्ध हुए , कार्य पालिका(अफसर शाही ) के भ्रष्टाचारों की चर्चा जन जन में है और लोग कराह रहे हैं तथा न्यायपालिका के भ्रष्टाचार से अधिक उसकी अति विलंबित गति और दोषियों को दण्डित करने में अति भयकर देरी और अधिकाँश प्रकरणों में विफलता स्वयं न्याय पालिका के लोगों द्वारा आत्मस्वीकृत है .
२५ इस प्रकार यह ढांचा तो केवल हमारे धैर्य और सहनशील स्वभाव से टिका है ,इसकी विफलता स्वयं इसके अंगों द्वारा आत्मस्वीकृत है .
अतः हिन्दू राष्ट्र भारत को सनातन धर्म के राजधर्म को अपनाना पड़ेगा .

समाप्त

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