Friday 15 December 2017

जाती निर्माण पर एक शब्द है #caste जिसका अनुवाद हमारे ज्ञानियों जाति किया अब देखना यह है की क्या जाति के भी वही मायने थे जो caste के हैं ??? #जायते_इति_जाति माने समान जन्म वाले सजातीय होते हैं जैसे मनुष्य एक जाति है सभी का जन्म सामान ही होता है दूसरा फ़ण्डा था #जन्मना_जायते_शूद्र_संस्कारेत_द्विज_उच्चयतेजन्म से सभी शूद्र ही होते हैं संस्कार या कर्म से उनका वर्ग निर्धारण होता है
यह हमारे मनीषियों और ऋषियों का दिया हुआ मंत्र था इसको षड्यंत्र पूर्वक जातीय श्रेष्ठता का षड्यंत्र साबित किया गया की ब्रह्मणो ने ख़ुद को सबसे ऊपर और श्रेष्ठ रखा इत्यादि जो की पहले ही लिख चुका हूँ की यह हॉरिज़ॉंटल वर्गीकरण था कोई किसी से श्रेष्ठ नहीं था सबका अपना अलग महत्व था
#शूद्र वर्ग जो की मुख्यतः मैन्युफ़ैक्चरिंग करता था उनको टार्गट किया गया उनके उद्योग और व्यवसाय छीन लिए गए जिसमें मुख्यतः सूती वस्त्र उद्योग और नमक का व्यवसाय सबसे बुरी तरह छीन लिया गया सूती वस्त्र उद्योग पहले भी लिख चुका हूँ हर घर में था और नमक को कुछ ख़ास लोग पैदा करते थे
शूद्रो की हालत इस क़दर दयनीय हो गई थी की लाखों लोग भुखमरी से मर गए कुछ चित्र नीचे दे रहा हूँ उनको देखकर भी यदि इन मलनिवासियों का मन विचलित न हो तो मैं कुछ नहीं कर सकता उस भयंकर भुखमरी के समय ऐसा नहीं था की देश में अनाज न था अनाज था लेकिन उसको ख़रीदने का धन नहीं था लोगों के पास भारी लगान के चलते किसान भी भूख से मरने लगे थे
उसके बाद असली खेल चालू किया गया caste शब्द का जन्म हुआ जबकि caste जैसी कोई चीज़ भारतमें नहीं थी यह पूर्ण रूप से आभारतिय है #caste is derived from the word casta (Spanish and Portuguese word) which means (Race lineage or breed )
यहाँ से सुरु हुई रेस थियरी अब सारे वामपंथियों दलहित चिंतकों से कोई यह पूछे की जाति ( मैन्युफ़ैक्चरर भारत के सम्बंध में ) का मतलब यही होता है क्या race नशल ??
ब्रीड ??? यह तो क़तई न था यहाँ जाति थी लोहार जो लोहे का समान बनाता है कुम्भकार जो मिट्टीका समान बनाता है यह सब मैन्युफ़ैक्चरिंग (sub division) या नशल था मूर्खों ???
आर्यों की अलग नशल जब की आर्य मात्र एक सम्बोधन है जिसका मतलब सतजन साधू ( अमर कोश) होता है बाक़ी लोग अनार्य माने मूलनिवासी भैंचो इतना कचरा सायद ही किसी देश का हुआ हो
अब तर्क दिया जाता है की ब्रह्मणो ने शूद्रो का शोषण किया आधार क्या है मनुस्मृति पूछो पढ़ी है नहीं मैक्स मुल्लर बाबा ने बताया और उन्ही का अनुवाद किया हुआ डॉक्टर अम्बेडकर ने पढ़ लिया थे तो वह भी मैकाले शिक्षित ही क्या करते जीवनी लिखी who were soordas लिख दिया "soodrs were born from feet of brhama so they were allotted to menial jobs " बस हो गया गुण गोबर !
उसके बाद आए #रिश्ले_महात्मा जिन्होंने नाक की चौड़ाई को आधार बनाया और जातियों का वर्गीकरण सुरु किया माने जिसकी नाक जितनी चौड़ी और भद्दी वो उतना नीचे और जिसकी नाक सुडौल वो उतना उच्च कोटि का यही आधार लेकर महात्मा रिश्ले ने प्रथम जातिगत जनगणना की सायद १८६५ में हुई थी अभी ठीक से याद नहीं लेकिन हुई अठहरवि शदी के बाद ही यह कन्फ़र्म है जिसमें वही नाक की चौड़ाई का आधार था उसके पहले की जनगणना कर्म आधारित व्यवसाय आधारित ही हुई है अगर किसी को लगता है की ग़लत है तो वह साबित करे
मैन्युफ़ैक्चरिंग डिविज़न को कास्ट में तब्दील कर दिया गया और आर्थिक हालात गोरंग ईसाइयों के शोषण के उपरांत थी ही भूखे मरने के तो बोला गया की ब्रह्मणो ने तुम्हारे हाथ का पानी न पिया अबे तो अंग्रेज़ कौन सा तुमको गले में लेकर घूमते थे जिनको तुम बाप बनाए बैठे हो उन्होंने भी तो लिखा था न की "INDIAN AND DOGS ARE NOT ALLOWED " ऐसा ब्राह्मणी ने भी लिखा है क्या कहीं पर ???
इसी को आधार बनाकर आज भी तुमको रोज़ बर्ग़लाया जाता है तुम मान भी जाते हो और मत परिवर्तन करके काले वाले माने हैम वाले जो शापित थे वही हलेलुइया बनते जा रहे हो उनके यहाँ भी कोई विधान है क्य #उच्चयते टाइप वाला ??

No comments:

Post a Comment