Tuesday 19 December 2017

कौन है अहमद पटेल और क्यों ठीक महाभारत के जयद्रथ के समान वर्तमान कौरव समूह यानी कांग्रेस इसे बचाने हेतु इसके चारों ओर घेरा डाल कर खड़ी हो गई थी ?
#1. अहमद पटेल सोनिया गांधी का दांया हाथ और उसकी सभी कुटिल योजनाओं का शिल्पकार रहा है। इसकी कार्यशैली ठीक उस स्नाइपर किलर की तरह रही है, जो छुप कर अपने दुश्मन को मारता भी है और ये पता भी नहीं चल पाता कि गोली चलाई तो किसने ?
गोली चलते ही स्नाइपर अपनी जगह से गायब.. सबूत के नाम पर यदि कुछ रह जाता है तो वो होती है हवा में तैरती गन पाउडर यानी बारूद की महक..
एक् सोनिया को छोड़ कर पूरी कांग्रेस में किसी के अंदर इतनी हिम्मत नहीं जो इसके कहे को न करे।
पूरी तरह सिक्का चलता है इसका कांग्रेस में।
#2. ऐन राजधानी दिल्ली से लेकर भारत के बॉर्डर्स तक फैले हुए भारत के करीब-करीब हर संदिग्ध मदरसे का मालिक है अहमद पटेल !! अभी कुछ समय पहले ही केवल मौखिक विरोध करने पर आंखों में खौलता तेल डाल कर #परेश मस्ता की जघन्य हत्या कर दी गई (यहाँ विस्तार से पढ़ें लिंक) भारत में क्रूरतम वहाबी इस्लाम को पोषित करने वाले देवबंद के सभी छोटे-बड़े संस्थानों के उच्चतम पदों पर इसके खुद के परिवार के लोग काबिज हैं। इसके बहुत से परिजन हैं जो मदरसों की पूरी श्रृंखला चलाते हैं।
फारूक अब्दुल्ला के परिवार से इसके परिवार के वैवाहिक रिश्ते हैं। केरल के कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों से इसके गहरे सम्बन्ध हैं। यदि एक् वाक़्य में कहा जाए तो अहमद पटेल यानी 
"भारत का सबसे बड़ा मुस्लिम माफिया और अरब से आने वाली अवैध फंडिंग अर्थात जकात का देश में फर्स्ट हैंड प्राप्तकर्ता !" 
#3. 24 घण्टे के घटिया समाचार चैनलों पर चलने वाली बकवास खबरों पर कभी सिर धुना है आपने अपना ? चंडीगढ़ के किसी अफसर की अधेड़ और बदसूरत बेटी को छेड़े जाने की बेहद मामूली सी खबर 72 से 96 घण्टे की फुटेज खा जाती है, जबकि इसमें उसे खरोंच तक नहीं आई थी न कोई सबूत ही था, वहीं ठीक उसी समय दिनदहाड़े देश की राजधानी दिल्ली में आदिल खान द्वारा 21 वर्ष की शूद्र हिन्दू ट्रेनी एयर होस्टेस को चाकुओं से गोद कर निर्ममता से मारा जाता है, सीसीटीवी क्लिप के रूप में स्पष्ट सबूत सामने होता है किंतु एक् भी मीडियाई कुत्ता इस पर नहीं भौंकता ? क्या दिखाना, क्या छुपाना.. मीडिया या सत्ता के गलियारों में थोड़ी सी भी हनक रखने वाला व्यक्ति भी ये जानता है कि ये सब इसी अहमद पटेल की उंगलियों के इशारों पर होता है। कोई इसके विरोध में लिखने का साहस नहीं जुटा पाता। यही वो आदमी है जो समाचार चैनल्स पर होने वाली चीख-चिल्लाहट भरी वाहियात डिबेट्स को घटिया से घटिया स्तर पर गिरते जाने को सुनिश्चित करता है। मात्र 10 मिनट का समय निकाल कर "Ahmad Patel & Media Personalities" को गूगल कीजिए, आंखें न खुल जाएं तो कहिएगा !
आज भी कम से 70 से 80 प्रतिशत मीडिया हाउसेस हैं जो इसके दरबार में कोर्निश करते इसके हर गलत आदेश का पालन करते हैं और इसका जीता-जिन्दा प्रमाण है अर्नब गोस्वामी !!
अकेले अपने दम पर कंपनी को चला रहे इस शख्स को टाइम्स नाउ कभी निकालना नहीं चाहता था, किन्तु उसे निकालना ही पड़ा, इसलिए नहीं कि विनीत जैन ऐसा चाहता था, अपितु इसलिए कि बाकी के मीडिया माफिया ने अहमद पटेल से शिकायत की थी कि केवल इस एक आदमी की वजह से jnu के अपने झूठ को स्थापित कर पाने में वो नाकाम रहे !! 
#4. एक् से एक् सॉफिस्टिकेटेड और मंहगे आयातित इक्विपमेंट्स से सजी एक ओबी वैन की कीमत जानते हैं ? 6 से 9 करोड़ रुपये तक होती है ! कहाँ से आता है इतना पैसा ?
कॉरपोरेट बिज़नेस माफिया का एक् बहुत बड़ा हिस्सा है जिसे अहमद पटेल नियन्त्रित करता है।
अब आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं ?
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क्या आप जानते हैं कि MSM से टूट कर दलाल पत्रकारों का एक् बड़ा हिस्सा आपके सोशल मीडिया पर तेजी से घुसपैठ कर रहा है ? सोशल मीडिया पर राष्ट्रवादी शक्तियों के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए ?
The Quint/The Wire/Alt_News/The Print/News Laundry/thenewsminute/jantakareporter/Huffman Post ये उन बहुत से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में से कुछ के नाम हैं, जिन्हें (कु)प्रसिद्ध पत्रकारों द्वारा अचानक से अपनी सेवाएं प्रदान करनी शुरू की गईं हैं। 
NDTV की घाघ पत्रकार बरखा दत्त याद है ? उसने The Quint को जॉइन किया है। 
इन मीडिया साइट्स को चलाने हेतु पैसा ?
नंदन नीलकेणी, नारायण मूर्ती, आमिर/शाहरुख/सलमान खान और अजीज प्रेमजी जैसे लोग इनके लिए fund raisers का काम करते हैं।
ये लोग अहमद पटेल के अनुरोध पर ये काम करते हैं और अहमद पटेल का अनुरोध यानी आदेश !
#5. UPA के शासनकाल में तीन बार ऐसा हुआ जब रॉ के हाथ दाऊद इब्राहिम की गर्दन दबोचने के बेहद करीब पहुंच गए थे। तीनों बार रॉ को कार्यवाही हेतु आगे बढ़ने के आदेश पत्र को प्रधानमंत्री कार्यालय में सोनिया द्वारा रुकवा दिया गया। रॉ को रोकने वाला दरअसल और कोई नहीं यही अहमद पटेल ही था जिसके इशारों पर सोनिया ने ऐसा किया।
#6. "भगवा आतंकवाद" की झूठी थ्योरी गढ़ने के पीछे और कोई नहीं, इसी अहमद पटेल का शातिर दिमाग था। समझौता एक्सप्रेस, मुम्बई ब्लास्ट से ले कर अजमेर ब्लास्ट तक, गृह मंत्रालय द्वारा जांच की दिशा को हिन्दुओं की ओर मोड़ने तथा मीडिया में भगवा आतंकवाद के झूठे हौव्वे को हवा देने की हर साजिश इसी के दिमाग से निकली थी। सत्ता के गलियारों में पहुंच रखने वाले बहुत से लोग ये जानते हैं कि पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी isi से इसके रिश्ते हैं और 2004-2014 कि upa सरकार के दौरान isi की बहुत सी योजनाओं को अमली जामा पहनाने से इसकी सक्रिय भूमिका रही है। upa सरकार के एक्-एक् अपराध की जानकारी इसे होती थी, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से यही उन सब के पीछे होता भी था।
#7. Upa काल में सभी महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर नियुक्तियां इसके हाथ मे थीं। जजों से ले कर मीडिया संपादकों और यहां तक कि I.B., रॉ और सेना के सर्वोच्च पदों तक पर इसने अपने मोहरे बैठा दिए थे।
इसकी ताक़त का अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते हैं कि गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह को इसने 4 महीनों तक काल कोठरी में रखा, अंततः गुजरात छोड़ने तक पर विवश कर दिया। इशरत जहां केस की परतें उखाड़ने वाले आई जी वंजारा और उनकी एस आ
ई टी को आठ वर्षों तक इसने जेल में सड़ाया और यहां तक की तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को इसने 13 घंटों तक यातना के दौर से गुजारा।
#8. स्पेक्ट्रम हो या ऑगस्टा वेस्टलैण्ड, सभी घोटालों के बीच में सबसे बड़ा दलाल यदि कोई था तो अहमद पटेल !
सोनिया गांधी द्वारा हमेशा इसका पक्ष लिए जाने के कारण और पार्टी के भीतर वर्चस्व कायम करने की होड़ के चलते राहुल गांधी और इसके बीच मे तनातनी रहती थी। यहां तक कि अभी इसे राज्यसभा में घुसाने के मुद्दे पर सोनिया द्वारा बुलाई गई AICC की इमरजेंसी मीटिंग में वायरल फीवर के बहाने राहुल गांधी ने भाग तक नहीं लिया। भीतरखाने कांग्रेस में ये माना ही जाता है कि "अज्ञात कारणों" के चलते सोनिया राहुल से भी अधिक इसका पक्ष लेते हुए पार्टी के निर्णय लेती रही है।
#9. नोएडा, जम्मू, हिमाचल, चेन्नई, दिल्ली, जोधपुर, उदयपुर आदि भारत के और भी कई प्रदेशों के भीतरी हिस्सों की यात्रा कीजिए, बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों की गंदी बस्तियों के रूप में आपको अहमद पटेल द्वारा देश से की गई ग़द्दारी स्पष्ट दिखाई देगी। ये लोग दरअसल इस्लाम के लड़ाकों के रूप में स्थापित किए गए हैं जो अहमद पटेल के एक इशारे पर किसी भी समय देश की सीमाओं के भीतर युद्ध के से हालात पैदा कर सकते हैं।
राज्यसभा की मात्र एक् सीट के लिए कांग्रेस ने किसी स्टेट इलेक्शन्स जितनी ताक़त झौंक दी, इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि सोनिया के लिए ये शख्स लाइफ लाइन की सी अहमियत रखता है। 
वर्तमान सरकार की इसके प्रति क्या सोच है, मैं नहीं जानता, पर इतना तय मानिए कि इस पर किया गया वार रावण की नाभि पर किया गया वार साबित होगा...
उदय रामदेव जी

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