Sunday 31 December 2017

 ईरान में सरकार और इस्लाम के खिलाफ भीषण प्रदर्शन शुरू...!
महिलाएं पुरुष सभी प्रदर्शन में शामिल...!
ईरान से बेहद अच्छी खबर आ रही है और यह खबर देख कर और पढ़ कर ऐसा लग रहा है कि जैसे इतिहास खुद को जरूर दोहराता है । करीब 5 दशकों तक कट्टर इस्लामी प्रतिबंधों में रहने के बाद अब ईरानी युवाओं को समझ में आ गया इस्लाम क्या है और आज ईरान की सड़कों पर लाखों युवतियां युवक अपने हिजाब फेककर खुलेआम सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं ,ईरानी अपने आर्यन मूल का वास्ता देकर अरब मूल ठुकरा रहे ... अरब खुदा को नकार रहे .आयातुल्ला खुमैनी मुर्दाबाद के नारे  लगा रहे है... ईस्लामिक शासन के जनक खुमैनी के चित्र जला, देश को धर्मनिरपेक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं ...
कल BBC पर दिखाया कि बहुत से पुलिसकर्मी अपनी वर्दी उतार कर क्रांति में शामिल हो रहे हैं हलाकि ईरान सरकार इस आंदोलन को बहुत निर्दयता से कुचल रही है कई जगह गोलीबारी भी हुई जिसमें कई प्रदर्शनकारी युवा मारे गए लेकिन ईरान के युवक और युवतियां डटे हुए है कि वह इस देश को इस्लाम से मुक्त करके रहेंगे... 
 जो ईरान पहले धर्मनिरपेक्ष था और  अमेरिका से भी ज्यादा एडवांस था वह अब एक इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान बन चुका था ... ईरान के शाह रजा पहलवी का तख्ता अयातुल्ला खुमैनी ने सिर्फ इस्लाम के नाम पर पलट दिया था और इसके लिए उसने तेहरान यूनिवर्सिटी के छात्रों का सहारा लिया था अयातुल्लाह खुमैनी ने लोगों को यह बताया था कि इस्लाम सबसे बड़ी चीज है और ये शाह पहलवी इतने उदारवादी हैं कि यह हम युवाओं को इस्लाम से दूर ले जा रहे हैं छात्रों को यह बात इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने ईरान की सड़कों पर इस्लामिक राज्य स्थापित करने के लिए आंदोलन किया और शाह पहलवी का तख्ता पलट दिया ...पहलवी अमेरिका भाग गए और वहां संसद से ऊपर भी एक मजलिस-ए-शूरा बनाई गई जिसमें देश के सभी मौलवी लोग थे और यदि कोई कानून संसद पास करती थी तो उसके बाद यह सूरा यानी मौलवियों का यह समूह उस पर निर्णय लेता था यह कानून लागू होगी या नही और अयातुल्लाह खुमैनी को ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता की पदवी दी गई

वहां की सरकार जिसे एक मौलाना रूहानी चला रहे है, उनके खिलाफ लोगों ने जबरजस्त और भीषण प्रदर्शन शुरू कर दिया है। लोगों ने इस्लाम विरोधी नारे लगाने शुरू किये है। मुसलमान ये भी नारे लगा रहे है की, "हम आर्यन की औलाद है, हम पर अरबी अल्लाह थोप दिया गया है", इस तरह के इस्लाम विरोधी नारे ईरान की सडकों पर सुने जा रहे है। लोग इस्लाम छोड़ने की बात कर रहे है। ये भी कह रहे है की, इस्लाम उनके देश को छोड़कर जाए।  - "हम आर्यन की औलाद है, हम पर अरबी अल्लाह थोपा गया, इस्लामिक शासन हमारा देश छोड़कर जाए"

प्रदर्शन सरकार और इस्लाम दोनों के खिलाफ चल रहा है...
 ईरान में कठमुल्लों ने युवाओं को खूब दबाकर रखा है धीरे-धीरे वहां के युवा इतने तंग हो गए यह ईरान की सड़कों पर बगावत पर उतर आए ...ईरान पहले एक पारसी देश ही था। बाद में इस्लामिक हमलावरों ने सभी का धर्मांतरण कर दिया। 1970 तक ईरान में काफी हद तक आज़ादी थी। फिर वहां पर शरिया इस्लामिक कानून लागू कर दिया गया। महिलाओं को बुर्कों में कैद कर दिया गया और अब 2017 आते आते ईरान के लोग इस्लामिक शासन से इस तरह परेशान हो गए है कि सड़कों पर भीषण प्रदर्शन करने लगे है। ईरान के लोग इस्लामिक धर्मगुरुओं को कह रहे है कि तुमपर शर्म है तुम हमारे देश को छोड़कर जाओ। महिलाओं ने भी बुर्का उतारना शुरू कर दिया है और ईरान की सडको पर भीषण प्रदर्शन चल रहा है।

कुछ दशकों बाद यही हाल सऊदी अरब में भी होने वाला है ...हलाकि सऊदी अरब में अमेरिका की एक पूरी टुकड़ी तैनात रहती है सऊदी अरब के जल सीमा में अमेरिका के दो युद्धपोत तैनात रहते हैं बदले में सऊदी अरब अमेरिका को तेल देता है और उसके बदले में अमेरिका सऊदी अरब में अपनी सेना तैनात करके सऊदी अरब में कानून और व्यवस्था लागू करने में सहयोग देता है । अमेरिका सऊदी अरब को मिसाइल शील्ड भी प्रदान करता है क्योंकि बगल के कतर और यमन सऊदी अरब के कट्टर दुश्मन है और यह दोनों कई बार सऊदी अरब पर मिसाइल से हमले करते रहते हैं लेकिन आज नहीं तो कल यही हाल सऊदी अरब का भी होगा
मजे की बात यह है कि अयातुल्ला खुमैनी के दादा उत्तरप्रदेश के बाराबंकी से ईरान गए थे और वह ख़ुमैन नामक कस्बे में बस गए थे खुमैनी शिया मुस्लिम थे अयातुल्ला खुमैनी के दादाजी बसरा में धार्मिक विधि करने के लिए गए थे और उन्हें बसरा से सटा हुआ ख़ुमैन इतना सुंदर लगा कि वही बस गए



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