Tuesday 25 July 2017

चीन के ऊपर ऋण उसकी कई ट्रिलियन GDP का 282% गुना है*।
लन्दन के इकोनामिक टाइम्स का सन्दर्भ देते हुए INDIA TODAY में अमेरिका, चीन और भारत की आर्थिक स्थिति पर एक विवरण छपा है। जिसके अनुसार:-
1..वर्ष 2015 के बाद से भारत विश्व मे सबसे उभरती हुई इकोनामी है जो नरेंद मोदी के अथक प्रयासो के फलस्वरूप वर्ष 2020 तक कई क्षेत्रो में चीन से आगे निकल जायेगी।
2..इकोनामिक टाइम्स कहता है कि कर्ज आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है लेकिन चीन के ऊपर तो कर्ज का अंबार है।
कर्ज GDP से 150 गुना से ज्यादा नही होना चाहिए जबकि चीन के ऊपर ऋण उसकी कई ट्रिलियन GDP का 282% गुना है। इकोनॉमिक्स कहता है कि वैसे तो अमेरिका के ऊपर उसकी GDP का 331%गुना ज्यादा रिन है लेकिन अमेरिकी अर्थव्यवस्था सुधार पर है और चीन की और नीचे जा रही है।
3..भारत के ऊपर ऋण उसकी GDP का 135% है जो संतुलित तो है ही,पिछले 3 सालों से घटता भी जा रहा है।
4... चीन का कुल निर्यात उसकी GDP का 21% है जो मैनुफेक्चरिंग ड्राइवेन है जिसमे से 18% केवल अमेरिका को जाता है। जो चीन की GDP का 4% है। चीन को यंहा खतरा यह हो गया कि डोनॉल्ड ट्रंम्प का चीन के राष्ट्रपति से समझौता हुआ है कि वे चीन से आयात घटाते रहेगे ताकि उनकी मैनुफेक्चरिंग अमेरिका में हो और यंहा रोजगार बढ़े।
5..चीन के विपरीत भारत की मैनुफेक्चरिंग ड्राइवेन लोकल उपयोग के ऊपर आधारित है जो कम के बजाय ज्यादा ही होती जाएगी।
6.. भारत अपने services sector का export करता है जिसके भविष्य में और बढ़ने की अपार सम्भावनाये है।
वांशिगटन में ट्रंम्प-मोदी मुलाकात वार्ता में यह तय हुआ है कि अमेरिका भारत से services sector में आयात बढ़ाएगा।
7..अब चीन के निर्यात की कुंजी ट्रंम्प के हाथ मे। जैसे-जैसे
ट्रंम्प अमेरिका में चीन से आयात किये जाने वाले मैनुफेक्चरिंग गुड्स की मैनुफेक्चरिंग यूनिट्स अमेरिका में लगाते जाएंगे वैसे-वैसे चीन का निर्यात घटता जाएगा फलस्वरूप चीन की GDP भी घटेगी।
8..चीनी बैंक दिवालाइया होने की कगार पर खड़े है क्योंकि उनके द्वारा चीन में दिए गए ऋण की रिकवरी लगभग शून्य है।

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