Wednesday 5 July 2017


*ये हैं इजराइल..!
 जीवटता, जिजीविषा और स्वाभिमान का जिवंत प्रतीक...
 - प्रशांत पोल*
मात्र अस्सी लाख जनसँख्या का यह देश. तीन से चार घंटे में देश के एक कोने से दुसरे कोने की यात्रा संपन्न होती हैं. मात्र दो प्रतिशत पानी के भण्डार वाला देश. प्राकृतिक संसाधन नहीं के बराबर.
 यह राजनितीक जीवंतता और राजनीतिक समझ की पराकाष्ठा का देश हैं. इस छोटे से देश में कुल १२ दल हैं. आज तक कोई भी दल अपने बल बूते पर सरकार नहीं बना पाया हैं.*पर – देश की सुरक्षा, देश का सम्मान, देश का स्वाभिमान और देश हित... इन बातों पर पूर्ण एका हैं. इन मुद्दों पर कोई भी दल न समझौता करता हैं, और न ही सरकार गिराने की धमकी देता हैं. इजराइल का अपना ‘नॅशनल अजेंडा’, जिसका सम्मान सभी दल करते हैं.*
१४ मई, १९४८ को जब इजराइल बना, तब दुनिया के सभी देशों से यहूदी (ज्यू) वहां आये थे. अपने भारत से भी ‘बेने इजराइल’ समुदाय के हजारों लोग वहां स्थलांतरित हुए थे. अनेक देशों से आने वाले लोगों की बोली भाषाएं भी अलग अलग थी. अब प्रश्न उठा की देश की भाषा क्या होना चाहिए..? उनकी अपनी हिब्रू भाषा तो पिछले दो हजार वर्षों से मृतवत पडी थी. बहुत कम लोग हिब्रू जानते थे. इस भाषा में साहित्य बहुत कम था. नया तो था ही नहीं. अतः किसी ने सुझाव दिया की अंग्रेजी को देश की संपर्क भाषा बनाई जाए.
*पर स्वाभिमानी ज्यू इसे कैसे बर्दाश्त करते..? उन्होंने कहा, ‘हमारी अपनी हिब्रू भाषा ही इस देश के बोलचाल की राष्ट्रीय भाषा बनेगी.’*
निर्णय तो लिया. लेकिन व्यवहारिक कठिनाइयां सामने थी. बहुत कम लोग हिब्रू जानते थे. इसलिए इजराइल सरकार ने मात्र दो महीने में हिब्रू सिखाने का पाठ्यक्रम बनाया. और फिर शुरू हुआ, दुनिया का एक बड़ा भाषाई अभियान..! पाँच वर्ष का.
इस अभियान के अंतर्गत पूरे इजराइल में जो भी व्यक्ति हिब्रू जानती था, वह दिन में ११ बजे से १ बजे तक अपने निकट के शाला में जाकर हिब्रू पढ़ाता था. अब इससे बच्चे तो पाँच वर्षों में हिब्रू सीख जायेंगे. बड़ों का क्या..?
इस का उत्तर भी था. शाला में पढने वाले बच्चे प्रतिदिन शाम ७ से ८ बजे तक अपने माता-पिता और आस पड़ोस के बुजुर्गों को हिब्रू पढ़ाते थे. अब बच्चों ने पढ़ाने में गलती की तो..? जो सहज स्वाभाविक भी था. इसका उत्तर भी उनके पास था. अगस्त १९४८ से मई १९५३ तक प्रतिदिन हिब्रू का मानक (स्टैण्डर्ड) पाठ, इजराइल के रेडियो से प्रसारित होता था. अर्थात जहां बच्चे गलती करेंगे, वहां पर बुजुर्ग रेडियो के माध्यम से ठीक से समझ सकेंगे.
और मात्र पाँच वर्षों में, सन १९५३ में, इस अभियान के बंद होने के समय, सारा इजराइल हिब्रू के मामले में शत प्रतिशत साक्षर हो चुका था..!
आज हिब्रू में अनेक शोध प्रबंध लिखे जा चुके हैं. इतने छोटे से राष्ट्र में इंजीनियरिंग और मेडिकल से लेकर सारी उच्च शिक्षा हिब्रू में होती हैं. इजराइल को समझने के लिए बाहर के छात्र हिब्रू पढने लगे हैं..!
*ये हैं इजराइल..! जीवटता, जिजीविषा और स्वाभिमान का जिवंत प्रतीक..!*
ऐसे राष्ट्र में पहली बार हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी राजनयीक दौरे पर गए हैं.
हम सब के लिए यह निश्चित ही ऐतिहासिक घटना हैं.!- प्रशांत पोल
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●●तकनीकी का जादूगर है इजरायल... यकीन कीजिए वह रेतीले रेगिस्तान में मछली पालन करता है।जल प्रबन्धन में ऐसी महारत हासिल है कि कृषक हवा से पानी निकाल कर सिचाई कर लेते हैं।
●● जल प्रबन्धन की ऐसी विकसित तकनीक कि इजरायल की मदद से हरियाणा में कुछ किसानों ने 65%कम पानी का उपयोग कर तीगुनी फसल उपजा ली। कम पानी वाला यह देश कृषि क्रांति भारत में ला देगा।
#विज्ञान और युद्ध तकनीकी में भी अग्रणी है यह देश।
●●विज्ञान के विकास में जितना यहूदियों का योगदान है उतना किसी कौम का नहीं है।आईंस्टीन ने वह सूत्र दिया जो परमाणु बम के निर्माण का आधार बना...E=mc square...वह यहूदी था।परमाणु बम बनाने वाला वैज्ञानिक #आटोहान भी यहूदी था।इसी के बनाये एटम बम हीरोशिमा और नागासाकी में अमेरिका ने 1945 में में गिराकर सेकेण्ड वर्डवार में जापान को परास्त किया था।
●●अमेरिकी सत्ता के गलियारों में यहूदियों की धमक है और अमेरिका के सर्वोच्च महत्वपूर्ण न्यूयॉर्क शहर में 80% यहूदी ही है।
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