Wednesday 12 July 2017

 गुस्सा, घिन और अफसोस इस बात का है ...
हर्ष (बस मालिक का बेटा ड्राइविंग भी करता है )
मुकेश (क्लीनर, ड्राइविंग भी करता है)
सलीम (ड्राइवर, क्लीनिंग भी करता है)
कुछ लोग अचानक से बस के सामने आए, सलीम ने बस रोक दी। कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ड्राइविंग केबिन में ही मौजूद एक शख्स को गोली लगती है और वो ढेर हो जाता है। 
हर्ष, सलीम के सर पकड कर नीचे धकेलता है और उसको तेजी से बस दौडाने के लिए कहता है। दो गोलियां उसके भी लगती हैं। घायल हर्ष बस के एंट्री गेट को बंद करने के लिए रेंगता हुआ आगे बढ़ता है लेकिन गोलियां लगने की वजह से उसका हाथ साथ नहीं देता है। बस का क्लीनर कम ड्राइवर मुकेश आगे बढता और एंट्री गेट बंद कर देता है। इस दौरान उसके गाल को छेदते हुए एक गोली पीछे बैठी महिला को लगती है तो तुरंत मौके पर ढेर हो जाती है। हर्ष और मुकेश सलीम को बिना रुके तेजी से बस दौडाते रहने के लिए कहते हैं और लोगों को सीटों के नीचे छिपने के लिए कहते हैं। इन तीनों की मदद एक यात्री करता है जिसको भी दो गोलियां लगती हैं।
यानी हमारे पास टोटल चार हीरो थे (सलीम सहित) । मुझे सलीम से कोई गिला नहीं है। यकीनन उसने नेक काम किया।
लेकिन गुस्सा, घिन और अफसोस इस बात का है कि सरकार से लेकर लोग हर कोई अपनी-अपनी पसंद की कहानी और हीरो बनाने में लगे हैं।
कश्मीरियत को बुलंदी तक पहुंचाने के लिए उन्हें सच्चाई नहीं तथ्यों की सुविधा चाहिए जो कि सलीम से मिलती है।
सलीम एक फायरवॉल बनता है कश्मीरियत के हैवानी भरे नंगे नाच को छिपाने की जिससे देश में लोगों को लगे कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता और मारने वाला भी मुसलमान तो बचाने वाला भी मुसलमान, मुसलमान ही ब्रह्मा है, मुसलमान ही विष्णु है, मुसलमान ही महेश है। संपूर्ण सृष्टि में जो भी चर-अचर है उसका निर्माता, निर्देशक और डिस्ट्रीब्यूटर मुसलमान ही है।
ये पहली बार ऐसी कमजोर, गांडू, फट्टू, कायर और हिंजडों की सरकार बनी है जिसके पास उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम पूरे भारत में सत्ता है, कश्मीर में भी उन्हीं की सरकार है लेकिन इन हिंजडों को कश्मीरियत की पीपणी फूंकनी है।
ऐसी क्या मजबूरी है जो अल्टरनेटिव कहानी बना रहे हो, यात्री बता रहे हैं, बस सामने से रोकी गई, सबसे पहले आदमी ड्राइविंग केबिन में मरा, उसके बाद हमला एंट्री गेट पर हुआ फिर क्यों क्रॉस फाइरिंग की थ्योरी पढा रहे हो।
हीरो तो हर्ष जिसने तीन गोलियां खाकर भी वो किया जिससे सबकी जान बची वर्ना तुम्हारा हीरो तो सुन्न झप्प हो गया था। मुकेश भी जान पर खेलकर गेट बंद किया था, उसको भी गोली लगी, तुम्हारे हीरो को तो खरोंच भी नहीं आई।
असल में मुझे सलीम को हीरो बनाने की कोशिशों से कोई व्यक्तिगत तकलीफ नहीं है लेकिन सलीम का इस्तेमाल कर असल मुद्दे से बचकर भाग रहे रहे हिंजडों से कोफ्त हो रही है।
Narendra Modi Rajnath Singh तुम दोनों इस देश के सबसे घटिया, वाहियात, फट्टू और नाकारा नेता हो। तुम्हें वोट कश्मीरियत के झुनझुने या विकास का तबला बजाने के लिए नहीं दिया था, तुम्हें वोट दिया था कि हम हिंदू, बहुसंख्यक लोग इस अपने देश के संविधान प्रदत्त अधिकारों के तहत बिना किसी रोकटोक और बाधा के पूरे देश में आएं जाएं। क्या अजमेर जियारत पर आने वाले लोगों के लिए कोई कॉन्वॉय चलता है क्या, फिर अमरनाथ जाने वालों के लिए क्यों?
तीन साल कम नहीं होते, तीन साल में दूसरा विश्व युद्ध खत्म हो गया था। खैर, तुम्हारे बस का काम नहीं है ये क्योंकि तुम्हें सत्ता का लालच हो गया है। ये आज लिखवा लो कि वो तुम्हें अब फिर कभी दोबारा नहीं मिलेगी। कभी नहीं।
Yateendra Lawaniya

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