Tuesday 21 February 2017

मीडिया कहाँ है 
: मुसलमानों ने यूपी के अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में बांटे अफ़ज़ल बुरहान के कैलेंडर

हमारी गन्दी और क्रन्तिकारी मीडिया जो ये पता लगा लेती है, की सलमान खान ने आज कौन सी वाली दाल खाई, उस मीडिया को ये तस्वीरे न दिख रही है, और न ही वो देश को बताना और दिखाना चाहती है


ये तस्वीर गौर से देखिये, ये 4 इस्लामिक आतंकी है, इनका कैलेंडर बनाया गया है
और इस कैलेंडर में इनको हीरो बताया गया है, ये 2017 का ही कैलेंडर है, और ये कश्मीर में नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में बंटा है, इस यूनिवर्सिटी में अधिकतर छात्र और शिक्षक मुसलमान ही है, और इस यूनिवर्सिटी का जो वाईस चांसलर है, वो है पाकिस्तान परस्त फिल्मबाज़ नसीरुद्दीन शाह का भाई जमीरउद्दीन शाह
पुरे देश में जहाँ जहाँ भी कट्टरपंथी है, वहां इस तरह के हालात बने हुए है ये हमारे ही देश में एक मिनी पाकिस्तान की तरह है, जहाँ भारत विरोधी कारनामे होते रहते है, पर गज़ब की बात ये है की मीडिया को न ये खबर मिलती है, और न ही वो इसे लोगों को दिखाती है.

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मुसलमान तीन टाइप के होते हैं
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1- बहुत अमीर , जो गरीब मुसलमानों को पैसा देते हैं जिससे वो जेहाद के लिए हथियार ले सकें या बना सकें , ये जगह-जगह मस्जिद मदरसे बनवाते हैं जहाँ जेहादी शिक्षा चलती रहे , ये परदे के पीछे रहते हैं और बड़े ग्रुप हैंडल करते हैं , ये विदेशों में रहकर भी यहाँ के मुस्लिमों को धन उपलब्ध कराते हैं , लव जेहाद के लिए अरब देश से पैसा यहाँ भेजा जाता है
2- पढ़े लिखे मध्यम वर्गीय मुसलमान- ये हमारे समाज में हमारे बीच रह कर खुद कट्टर बने रहते हैं लेकिन शो नहीं करते और हिंदुओं को भी सेक्युलर बनने के लिए प्रेरित करते हैं , उनकी सदा कोशिश रहती है कि वो हिंदुओं के मन में मुसलमानों की एक अच्छी छवि प्रस्तुत करते रहें .... कहीं भी कोई आतंकी घटना हो तो वो उन्हें भटका हुआ बताते हैं , या अल्पसंख्यों पर अन्याय हो रहा है जैसी रटी रटाई बातें करके बरगलाते हैं और अलतकैया को अंजाम देते हैं , ये दंगे फसाद नहीं करते लेकिन जेहाद के रूप में लव जेहाद को भली प्रकार अंजाम देते हैं ......... दंगों में ये खामोश रहते हैं और आपको मरता देखकर भी बचाने नहीं आते , इनका यही रोल होता है
3- निम्न वर्गीय मुसलमान - ये मुसलमान आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं लेकिन इन्हें अत्यंत अमीर मुसलमानों से जेहाद के लिए धन मिलता है .... लव जेहाद करना इनका प्रिय शगल होता है .... हथियारों की फैक्ट्री में अवैध हथियार , बम बारूद यही बनाते हैं ..... दंगों में इनका मुख्य रोल होता है , जेहाद के सिपाही यही होते हैं और दंगों में यही मारे भी जाते हैं ..... इनके मरने के बाद सरकार से पैसा तो मिलता ही है इसके अलावा धनाढ्य मुस्लिम भी इनके परिवार की आर्थिक सहायता हेतु धन देते हैं
इसी तरह हिन्दू की भी तीन टाइप होती है
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1- अत्यंत धनाढ्य हिन्दू --- ये महा सेक्युलर होते हैं , अगर एक दो न भी हो तो भी इन्हें किसी से कुछ लेना देना नहीं होता है ........ इनका एक ही काम होता है ...... सरकार कोई भी आये हमारा काम रुकना नहीं चाहिए ...... इनका बिजनेस इनका माई बाप ...... कभी हिन्दू समाज पर कोई मुसीबत आये तो बमुश्किल ये अपना धन दान करते हैं ........
2- मध्यम वर्गीय , नौकरी पेशा या व्यापारी ..... ये सेक्युलर और कट्टर दोनों तरह के होते हैं ....... इनमें कट्टर हिन्दू एक दूसरे की टांग खींचते रहते हैं ...... अगर कोई सच्चा हिन्दू दिल से समाज और देश हित की सोचे तो उसे ही घात देते हैं ........... बाकी इस वर्ग के युवाओं का एक बड़ा वर्ग सेक्युलरिज़्म अपना चुका जिन्हें कोई फर्क नहीं कि देश के हालात क्या हैं .......... और एक वर्ग है कट्टर हिंदुओं का जो सब समझ रहे हैं , समझा भी रहे हैं पर नक्कारखाने में तूती की आवाज़ बन कर रह जा रहे हैं , रही सही कसर जातिवाद खत्म कर देती है
3 - अत्यंत गरीब वर्ग -- जो सब देख रहा है समझ रहा है पर वो भी जाति व्यवस्था का मारा है , हिंदुओं को आपस में लड़ाने के लिए मध्यम वर्गीय हिन्दू और नेता इनका इस्तेमाल करते हैं ...... ये देश के लिए करना भी चाहें तो आर्थिक रूप से कमजोर हैं ....... दंगों में सबसे बड़ी भेंट इन्हीं की चढ़ती है और सबसे जबरदस्त लोहा ये ही जेहादियों से ले सकते हैं ये कटु सत्य है ....... अगर इन्हें जातिव्यवस्था की गन्दगी से निकाला जाये और आर्थिक मदद दी जाये तो हिन्दू समाज का चक्रव्यूह तोडना आसान होगा।
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