Saturday 14 January 2017

Sanjay Dwivedy

*आखिर इतनी मुर्ख  स्त्रियां हिन्दुओ के यहाँ ही क्यों पैदा हो रही।है ?*
*क्या इसका जवाब हिन्दू समाज खोजेगा?*
या ऐसे ही मूर्खता और खुद के जड़ से समाप्ति तक अपने नींद में सोया रहेगा)।
वह थीं गोरी चिट्टी,खूबसूरत खत्री हिन्दू, एमबीबीएस,एमएस, डॉक्टर, महिला रोग विभाग की विभागाध्यक्ष, इतना बड़ा पद और आयु बमुश्किल 30 वर्ष,अविवाहित !! डॉक्टर साहिबा अपनी स्वास्थ्य विभाग की कार से अस्पताल आती-जाती थी ! कार के ड्राइवर महबूब मियां उम्र 25-26 साल,पढ़ाई आठवी पास ,दरमियाना कद,रंग गेहुआ,अच्छा गठा शरीर !! पहले तो ड्राइवर,ड्राइवर की औकात में ही रहा,मगर धीरे- धीरे उसने लगभग नामुमकिन से काम यानी डॉक्टरनी साहिबा पर जेहाद ए मोहब्बत का दांव खेलना शुरू किया !
वर्दी उतर गई,शानदार लिवास में महबूब मियां रहने लगे,डॉक्टरनी की घरेलु मदद भी होने लगी ,डॉक्टरनी को बताया कि हम भी हिंदु थे सिर्फ एक पीढ़ी पहले तक !! मगर 'लोगों' ने इतना सताया कि वालिद को इस्लाम कुबूल करना पड़ा,हालाँकि दिल से अभी तक हिंदु ही हैं !
बात आगे बढ़ी, इत्तेहाद,हिंदु-मुस्लिम एकता और खून के एक ही रंग लाल होने की बाते होने लगी ! शेरो-शायरी भी शुरू हुई, डॉक्टरनी को लगने लगा कि बेशक ड्राइवर है,सिर्फ आठ तक पढ़ा है,गरीब है मगर है ज़हीन और भरोसे लायक !
डॉक्टरनी खुलने लगीं ,महबूब ने एक दिन बग़ैर डरे प्रेम निवेदन किया - डॉक्टरनी ने शायद कमज़ोर क्षणों में हाँ कर दी ! सम्बन्ध बने और गोपनीयता की दीवार के पीछे एक ऊंचाइयों तक पहुँच गए ! हिंदु-मुस्लिम की दीवार डॉक्टरनी ने तोड़ दी ! लेकिन महबूब का मकसद सिर्फ यहीं तक महदूद नहीं था !
सिर्फ 15 दिन में, खूबसूरत, MBBS, MS, खत्री हिंदु सरकारी डॉक्टर अपने परिवार के भरसक विरोध के वाबजूद ,कुछ 'कमज़ोर क्षणों' की बदौलत एक लफंगे मुस्लिम ड्राइवर के साथ निकाह करने के लिए मजबूर हो गई ! मगर दोस्त, यह सच्चा किस्सा अभी भी खत्म नहीं हुआ !
डॉक्टरनी 5 साल में 3 मुस्लिम नामधारी बच्चों की माँ बन गईं ,ड्राइवर साहेब कभी -कभी तनखाह लेने अस्पताल जाते थे ! डॉक्टरनी ने बदनामी के चलते दूसरे शहर ट्रांसफर कराया ! मगर ड्राइवर ने लखनऊ से भागदौड़ और राजनीतिक संपर्कों के चलते पुनः डॉक्टरनी को वापस बुला लिया !
डॉक्टरनी ने सरकारी नौकरी के वाबजूद शहर के सबसे समृद्ध इलाके में अस्पताल खोल दिया ,और अस्पताल के मालिक बने महबूब मियां ड्राइवर ! ड्राइवर साहेब ,आज एक राजनीतिक दल के स्थानीय सर्वेसर्वा हैं,लखनऊ तक हनक है , लक्सरी गाड़ियों का काफिला है महबूब 'ड्राइवर' के पास ! महबूब मियां कई मज़हबी इदारों के मुतवल्ली हैं !
डॉक्टरनी सरकारी नौकरी छोड़ चुकी हैं और बुरका और हिजाब उनकी मज़हबी पहचान बन चुके हैं ! और आज भी महबूब मियां को पाल रही हैं, डॉक्टरनी की संपूर्ण अकूत संपत्ति ,महबूब मियां के नाम से है !
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