Tuesday 31 January 2017


..*ब्रह्म मुहूर्त में उठने की परंपरा क्यों ?*
रात्रि के अंतिम प्रहर के तत्काबाद का समय को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। सूर्योदय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घण्टे) पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में ही जग जाना चाहिये। इस समय सोना शास्त्र निषिद्ध है।
ब्रह्म मुहूर्त यानी अनुकूल समय।
रात्रि का अंतिम प्रहर अर्थात प्रात: 4 से 5.30 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहा गया है।*
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*“ब्रह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी”।*
(ब्रह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्य का नाश करने वाली होती है।)
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सिख मत में इस समय के लिए बेहद सुन्दर नाम है--*"अमृत वेला"* ईश्वर भक्ति के लिए यह महत्व स्वयं ही साबित हो जाता है। ईश्वर भक्ति के लिए यह सर्वश्रेष्ठ समय है। इस समय उठने से मनुष्य को सौंदर्य, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य आदि की प्राप्ति होती है। उसका मन शांत और तन पवित्र होता है।
*ब्रह्म मुहूर्त* में उठना हमारे जीवन के लिए बहुत लाभकारी है। इससे हमारा शरीर स्वस्थ होता है और दिनभर स्फूर्ति बनी रहती है। स्वस्थ रहने और सफल होने का यह ऐसा फार्मूला है जिसमें खर्च कुछ नहीं होता। केवल आलस्य छोड़ने की जरूरत है।
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*पौराणिक महत्व* -- वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्रीहनुमान ब्रह्ममुहूर्त में ही अशोक वाटिका पहुंचे। जहां उन्होंने वेद मंत्रो का पाठ करते माता सीता को सुना
शास्त्रों में भी इसका उल्लेख है--
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*वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति।*
*ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा॥*
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अर्थात- ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य, आयु आदि की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से शरीर कमल की तरह सुंदर हो जाता हे।
*ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति :--*
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ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति का गहरा नाता है। इस समय में पशु-पक्षी जाग जाते हैं। उनका मधुर कलरव शुरू हो जाता है। कमल का फूल भी खिल उठता है। मुर्गे बांग देने लगते हैं। एक तरह से प्रकृति भी ब्रह्म मुहूर्त में चैतन्य हो जाती है। यह प्रतीक है उठने, जागने का। प्रकृति हमें संदेश देती है ब्रह्म मुहूर्त में उठने के लिए।
*इसलिए मिलती है सफलता व समृद्धि*
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आयुर्वेद के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। यही कारण है कि इस समय बहने वाली वायु को अमृततुल्य कहा गया है। इसके अलावा यह समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है
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*ब्रह्ममुहूर्त के धार्मिक, पौराणिक व व्यावहारिक पहलुओं और लाभ को जानकर हर रोज इस शुभ घड़ी में जागना शुरू करें तो बेहतर नतीजे मिलेंगे।*
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ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाला व्यक्ति सफल, सुखी और समृद्ध होता है, क्यों? क्योंकि जल्दी उठने से दिनभर के कार्यों और योजनाओं को बनाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। इसलिए न केवल जीवन सफल होता है। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने वाला हर व्यक्ति सुखी और समृद्ध हो सकता है। कारण वह जो काम करता है उसमें उसकी प्रगति होती है। विद्यार्थी परीक्षा में सफल रहता है। जॉब (नौकरी) करने वाले से बॉस खुश रहता है। बिजनेसमैन अच्छी कमाई कर सकता है। बीमार आदमी की आय तो प्रभावित होती ही है, उल्टे खर्च बढऩे लगता है। सफलता उसी के कदम चूमती है जो समय का सदुपयोग करे और स्वस्थ रहे। अत: स्वस्थ और सफल रहना है तो ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
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*वेदों में भी ब्रह्म मुहूर्त में उठने का महत्व और उससे होने वाले लाभ का उल्लेख किया गया है।*
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प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृह्यनिधत्तो।
तेन प्रजां वर्धयमान आयू रायस्पोषेण सचेत सुवीर:॥ - ऋग्वेद-1/125/1
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अर्थात- सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसीलिए बुद्धिमान लोग इस समय को व्यर्थ नहीं गंवाते। सुबह जल्दी उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ, सुखी, ताकतवाला और दीर्घायु होता है।
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यद्य सूर उदितोऽनागा मित्रोऽर्यमा। सुवाति सविता भग:॥ - सामवेद-35
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अर्थात- व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले शौच व स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान की उपासना करना चाहिए। इस समय की शुद्ध व निर्मल हवा से स्वास्थ्य और संपत्ति की वृद्धि होती है।
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उद्यन्त्सूर्यं इव सुप्तानां द्विषतां वर्च आददे। अथर्ववेद- 7/16/२
अर्थात- सूरज उगने के बाद भी जो नहीं उठते या जागते उनका तेज खत्म हो जाता है।
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*व्यावहारिक महत्व* - व्यावहारिक रूप से अच्छी सेहत, ताजगी और ऊर्जा पाने के लिए ब्रह्ममुहूर्त बेहतर समय है। क्योंकि रात की नींद के बाद पिछले दिन की शारीरिक और मानसिक थकान उतर जाने पर दिमाग शांत और स्थिर रहता है। वातावरण और हवा भी स्वच्छ होती है!
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*जैविक घड़ी पर आधारित शरीर की दिनचर्या*
*प्रातः 3 से 5* – इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से फेफड़ों में होती है। थोड़ा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना । इस समय दीर्घ श्वसन करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता खूब विकसित होती है। उन्हें शुद्ध वायु (आक्सीजन) और ऋण आयन विपुल मात्रा में मिलने से शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते है, और सोते रहने वालों का जीवन निस्तेज हो जाता है ।
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*प्रातः 5 से 7* – इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से आंत में होती है। प्रातः जागरण से लेकर सुबह 7 बजे के बीच मल-त्याग एवं स्नान का लेना चाहिए । सुबह 7 के बाद जो मल-त्याग करते है उनकी आँतें मल में से त्याज्य द्रवांश का शोषण कर मल को सुखा देती हैं। इससे कब्ज तथा कई अन्य रोग उत्पन्न होते हैं।
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*प्रातः 7 से 9* – इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से आमाशय में होती है। यह समय भोजन के लिए उपर्युक्त है । इस समय पाचक रस अधिक बनते हैं। भोजन के बीच-बीच में गुनगुना पानी (अनुकूलता अनुसार) घूँट-घूँट पिये।
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*प्रातः 11 से 1* – इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से हृदय में होती है।
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*दोपहर 12 बजे* के आस–पास मध्याह्न – संध्या (आराम) करने की हमारी संस्कृति में विधान है। इसी लिए भोजन वर्जित है । इस समय तरल पदार्थ ले सकते है। जैसे मट्ठा पी सकते है। दही खा सकते है ।
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*दोपहर 1 से 3* -- इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से छोटी आंत में होती है। इसका कार्य आहार से मिले पोषक तत्त्वों का अवशोषण व व्यर्थ पदार्थों को बड़ी आँत की ओर धकेलना है। भोजन के बाद प्यास अनुरूप पानी पीना चाहिए । इस समय भोजन करने अथवा सोने से पोषक आहार-रस के शोषण में अवरोध उत्पन्न होता है व शरीर रोगी तथा दुर्बल हो जाता है ।
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*दोपहर 3 से 5* -- इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से मूत्राशय में होती है । 2-4 घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र-त्याग की प्रवृति होती है।
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*शाम 5 से 7* -- इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से गुर्दे में होती है । इस समय हल्का भोजन कर लेना चाहिए । शाम को सूर्यास्त से 40 मिनट पहले भोजन कर लेना उत्तम रहेगा। सूर्यास्त के 10 मिनट पहले से 10 मिनट बाद तक (संध्याकाल) भोजन न करे। शाम को भोजन के तीन घंटे बाद दूध पी सकते है । देर रात को किया गया भोजन सुस्ती लाता है यह अनुभवगम्य है।
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*रात्री 7 से 9* -- इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से मस्तिष्क में होती है । इस समय मस्तिष्क विशेष रूप से सक्रिय रहता है । अतः प्रातःकाल के अलावा इस काल में पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है । आधुनिक अन्वेषण से भी इसकी पुष्टी हुई है।
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*रात्री 9 से 11* -- इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी में स्थित मेरुरज्जु में होती है। इस समय पीठ के बल या बायीं करवट लेकर विश्राम करने से मेरूरज्जु को प्राप्त शक्ति को ग्रहण करने में मदद मिलती है। इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांति प्रदान करती है । इस समय का जागरण शरीर व बुद्धि को थका देता है । यदि इस समय भोजन किया जाय तो वह सुबह तक जठर में पड़ा रहता है, पचता नहीं और उसके सड़ने से हानिकारक द्रव्य पैदा होते हैं जो अम्ल (एसिड) के साथ आँतों में जाने से रोग उत्पन्न करते हैं। इसलिए इस समय भोजन करना खतरनाक है।
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*रात्री 11 से 1* -- इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से पित्ताशय में होती है । इस समय का जागरण पित्त-विकार, अनिद्रा , नेत्ररोग उत्पन्न करता है व बुढ़ापा जल्दी लाता है । इस समय नई कोशिकाएं बनती है ।
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*रात्री 1 से 3* -- इस समय जीवनी-शक्ति विशेष रूप से लीवर में होती है । अन्न का सूक्ष्म पाचन करना यह यकृत का कार्य है। इस समय का जागरण यकृत (लीवर) व पाचन-तंत्र को बिगाड़ देता है । इस समय यदि जागते रहे तो शरीर नींद के वशीभूत होने लगता है, दृष्टि मंद होती है और शरीर की प्रतिक्रियाएं मंद होती हैं। अतः इस समय सड़क दुर्घटनाएँ अधिक होती हैं।
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*नोट* ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यों ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है। अतः प्रातः एवं शाम के भोजन की मात्रा ऐसी रखे, जिससे ऊपर बताए भोजन के समय में खुलकर भूख लगे। जमीन पर कुछ बिछाकर सुखासन में बैठकर ही भोजन करें। इस आसन में मूलाधार चक्र सक्रिय होने से जठराग्नि प्रदीप्त रहती है। कुर्सी पर बैठकर भोजन करने में पाचनशक्ति कमजोर तथा खड़े होकर भोजन करने से तो बिल्कुल नहींवत् हो जाती है। इसलिए ʹबुफे डिनरʹ से बचना चाहिए।
पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का लाभ लेने हेतु सिर पूर्व या दक्षिण दिशा में करके ही सोयें, अन्यथा अनिद्रा जैसी तकलीफें होती हैं।
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*शरीर की जैविक घड़ी को ठीक ढंग से चलाने हेतु रात्रि को बत्ती बंद करके सोयें। इस संदर्भ में हुए शोध चौंकाने वाले हैं। देर रात तक कार्य या अध्ययन करने से और बत्ती चालू रख के सोने से जैविक घड़ी निष्क्रिय होकर भयंकर स्वास्थ्य-संबंधी हानियाँ होती हैं। अँधेरे में सोने से यह जैविक घड़ी ठीक ढंग से चलती है।
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*आजकल पाये जाने वाले अधिकांश रोगों का कारण अस्त-व्यस्त दिनचर्या व विपरीत आहार ही है। हम अपनी दिनचर्या शरीर की जैविक घड़ी के अनुरूप बनाये रखें तो शरीर के विभिन्न अंगों की सक्रियता का हमें अनायास ही लाभ मिलेगा। इस प्रकार थोड़ी-सी सजगता हमें स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती हैं।
पाकिस्तान के अन्दर घुस कर की गई सर्जिकल स्ट्राइक: सामने आए दस्तावेज
 पढ़ें बहादुर सैनिकों ने कैसे दिया था मिशन को अंजाम.!!!
लाइन ऑफ कंट्रोल के दूसरी ओर पाक समर्थित आतंकी संगठनों के खिलाफ भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक की आधिकारिक डिटेल्स पहली बार सामने आई हैं। सेना की कार्रवाई की डिटेल्स में एक अफसर के उस पराक्रम का भी जिक्र है, जिसने अकेले ही नजदीक लड़ाई में चार लक्ष्यों को तबाह कर दिया। इसके अलावा, एक स्नाइपर, जिसने एक बंकर में छिपे दुश्मनों को निशाना बनाया और उस टीम की बहादुरी का भी जिक्र है, जिसने घटनास्थल पर मौजूद पाकिस्तानी सैनिकों को जानमाल का बड़ा नुकसान पहुंचाया।
इकनॉमिक टाइम्स ने वे दस्तावेज जुटाए हैं, जिनके आधार वीरता मेडल दिए गए। इससे मेडल हासिल करने वाले सैनिकों की बहादुरी का खाका खींचा जा सकता है। सुरक्षा कारणों से उन सैनिकों के नाम गुप्त रखे गए हैं। रिकॉर्ड बताते हैं कि वीरता पदक पाने वाले छह सैनिकों ने खुद कम से कम 10 लक्ष्यों को तबाह किया। इनमें से अधिकतर ने नजदीकी लड़ाई में दुश्मनों को ठिकाने लगाया।
बीते साल 29 सितंबर को हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सेना ने एक बयान जारी किया था। इसमें कहा गया था कि एलओसी के दूसरी ओर की गई कार्रवाई में आतंकियों के लॉन्च पैड्स को भारी नुकसान पहुंचा है। हालांकि, उस वक्त अन्य कोई जानकारी शेयर नहीं की गई। यह भी नहीं बताया गया था कि भारत की कार्रवाई में कुल कितने आतंकी मारे गए? लेकिन अब पहली बार आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि इस हमले में आतंकियों के साथ-साथ पाकिस्तानी सेना को भी जानमाल का बड़ा नुकसान पहुंचा था।
सेना के रिकॉर्ड में दर्ज है, 'कार्रवाई के बाद दुश्मन के इंटरसेप्ट्स से इस बात की पुष्टि होती है कि आतंकवादियों के अलावा उनके ठिकाने भी तबाह हो गए। इसके अलावा, उन्हें मदद पहुंचाने वाले दुश्मन भी मारे गए।' चूंकि, दस्तावेज में इस सैन्य ऑपरेशन से जुड़ी पूरी डिटेल्स मौजूद नहीं है, लेकिन इससे अंदाजा लगाना आसान है कि आतंकी काफी ज्यादा तादाद में मारे गए।
रिकॉर्ड बताते हैं कि दो अफसरों ने खुद चार-चार को मारा। इनमें दुश्मनों के पहरेदार भी शामिल हैं, जिन्हें आमने-सामने की चुनौती में ठिकाने लगाया गया। वीरता पुरस्कार पाए एक सैनिक के बारे में रिकॉर्ड में दर्ज है, 'सैनिक अपने सहयोगी के साथ दुश्मन के ठिकाने पर पहुंचा और उसने खुले में दो संतरियों को मार गिराया। उसने यह सुनिश्चित किया कि पूरा ऑपरेशन बिना बाधा के पूरा किया जा सके। सैनिक ने चार दुश्मनों को नजदीकी लड़ाई में मार गिराया।' आगे लिखा है, 'सैनिक ने निर्णायक सोच, दृढ़ संकल्प और अदम्य साहस का परिचय देते हुए चार दुश्मनों को ठिकाने लगाया और यह सुनिश्चित किया कि कोई दुश्मन मौके से भाग न पाए।'
डिटेल्स से पता चलता है कि भारतीय सेना के अफसरों न केवल सामने से टीम का नेतृत्व किया बल्कि दुश्मनों के सामने कम संख्याबल के बावजूद साथी सैनिकों को बहादुरी के साथ लड़ने के लिए प्रेरित किया। वीरता पुरस्कार पाने वाले एक अफसर के बारे में लिखा है, 'आतंकियों और उनका साथ दे रहे दुश्मनों की तीखी जवाबी प्रतिक्रिया के बावजूद वह दुश्मनों से मोर्चा लेते रहे। इसके साथ ही वह अपनी टुकड़ी को दुश्मनों के ठिकानों को खत्म करने के लिए प्रेरित करते रहे।' आगे लिखा है, 'उनकी आक्रामकता और लगातार प्रेरणा से उनके लोगों ने कम संख्याबल होने के बावजूद जोरदार तरीके से दुश्मन पर हमला किया और उन्हें मानसिक तौर पर पंगु कर दिया।'
वहीं, एक सैनिक की बहादुरी का भी रिकॉर्ड में जिक्र है, जिसने अपने सहयोगियों को मुश्किल में देख सामने से हो रही फायरिंग की ओर ही दौड़ पड़ा ताकि दुश्मनों का ध्यान उस पर आ जाए। रिकॉर्ड में लिखा है, 'अनुभवी सैनिक ने जब यह देखा कि उसके पक्ष को जानमाल का नुकसान हो सकता है, तो उसने मौके की नजाकत को समझते हुए खुद की सेफ्टी को ताक पर रखकर फायरिंग कर रहे दुश्मनों की ओर दौड़ पड़ा और दो दुश्मनों को गोलियों से भून डाला।'
मिशन लीडर की भूमिका
हमला करने वाली टीम के कमांडर ने सामने ने नेतृत्व किया। उसने लक्ष्य पर पहुंचकर पहरा दे रहे दो दुश्मनों को सामने से चुनौती देकर ठिकाने लगाया। इसके बाद, जंगल में छिपी अपनी टीम को आदेश दिया कि वह मुख्य लक्ष्य पर हमला करे। बिना किसी व्यवधान के मिशन को अंजाम दिया गया। नजदीकी लड़ाई में दुश्मन के चार लक्ष्यों को तबाह कर दिया गया।
स्नाइपर ने लगाया अचूक निशाना
चौंकाने की रणनीति के तहत एक स्नाइपर दुश्मन से भरे इलाके में बिना नजर में आए पहुंच गया। वहां उसने बेहद दूर से ही बंकर के होल से नजर आ रहे एक दुश्मन को अपनी गोली से ठिकाने लगाया। हमले की जद में आने के बावजूद वह अपने उन साथियों को कवर फायर देता रहा, जो दुश्मनों से आमने-सामने मोर्चा ले रहे थे।
पादरियों के द्वारा बेहद तेजी से बढ़ते यौनाचार पर वेटिकन खामोश क्यों ?
[आर. एल. फ्रांसिस ]
जिनेवा स्थित एक संयुक्त राष्ट्र पैनल ने रोमन कैथोलिक पादरियों द्वारा हजारों बच्चों के यौन शोषण पर वेटिकन अधिकारियों की एक रिपोर्ट पर सुनवाई शुरु कर दी है। इसके पहले वेटिकन इस तरह की कोई जानकारी संयुक्त राष्ट्र के साथ साझा करने से इनकार करता रहा है। वेटिकन का शुरु से ही यह मत रहा है कि इन मामलों की जिम्मेदारी उन देशों की न्यायपालिकाओं की है जहां यह यौन शोषण हुए है। पादरियों द्वारा बच्चों के यौन शोषण के मामलों में सही प्रतिक्रिया नहीं देने के लिए वेटिकन की आलोचना की गई।
संयुक्त राष्ट्र में सुनवाई को लेकर पीड़ितों को उम्मीद है कि इस सुनवाई से चर्च की ‘‘गोपनीयता’’ की नीति का अंत होगा। पोप फ्रांसिस ने अपना पद सभालने के बाद कहा था कि यौन शोषण के मामलों को निपटाना चर्च की विश्रसनीयता बनाए रखने के लिए जरुरी है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक दी होल सी, वेटिकन सिटी के सदस्यों को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र की समिति के समक्ष इस मामले पर सफाई देनी होगी। वेटिकन की विधाई संस्था दी होली सी ने ‘संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौते’ पर दस्तखत किए है जिसके तहत वो बच्चों को संरक्षण और सही देखभाल के लिए कानूनी रुप में बाध्य है।
ऐसा पहली बार होगा जब संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समिति (यूएनसीआरसी) विस्तृत सवाल-जवाब करेगी और होल सी सार्वजनिक मंच पर अपना बचाव करेगा। वेटिकन पर आरोप है कि उसने पीड़ितों के बजाय बच्चों का शोषण करने वाले पादरियों का बचाव किया जिसकी वजह से हजारों बच्चों को यौन शोषण का शिकार होना पड़ा। पिछले साल जुलाई में संयुक्त राष्ट्र समिति ने वेटिकन से अनुरोध किया था कि वो साल 1995 के बाद से सामने आए यौन शोषण के सभी मामलों की विस्तृत जानकारी दे। दी होली सी से यह भी पूछा जा सकता है कि क्या अपराधों के दोषी पादरी, नन और साधुओं को दोषी पाए जाने के बाद भी बच्चों के संपर्क में रहने दिया गया, ऐसे लोगों के खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई की गई और क्या शिकायत करने वालों की आवाज दबाई गई?
पोप बेनेडिक्ट सौहलवें ने जब 19 अप्रैल 2005 को कैथोलिक चर्च की कमान संभाली थी तो उस समय कैथोलिक ईसाइयों को उनसे काफी उम्मीदें थी कि वह चर्च के कायदे-कानूनों में बदलाव लाएगें, सबसे विवादास्पपद मामला पादरियों द्वारा बच्चों के यौन उत्पीड़न से जुड़ा था जिसे लेकर मुकदमें तक हुए और कई देशों में पीड़ितों को चर्च द्वारा भारी मुआवजा भी देना पड़ा। सबसे दुखद यह कि पोप के आलोचकों ने उन पर ऐसे मामलों की लीपापोती करने में सहभागी होने के आरोप भी लगाए। दरअसल वेटिकन हजारों सालों से पूरे संसार पर अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता है। पोप जॉन पॉल द्वितीय ने साल 1999 के अपने भारत दौरे के दौरान इस तरह का साफ ऐलान ही कर दिया था।
पोप जॉन पॉल द्वितीय ने कहा था कि किस तरह ईसा की पहली सहस्राब्दी में यूरोपीय महाद्वीप को कैथोलिक चर्च ने पाया और दूसरी सहस्राब्दी आते आते उत्तर और दक्षिणी महाद्वीपों व अफ्रीका पर चर्च का वर्चस्व स्थापित हो गया और अब तीसरी सहस्राब्दी एशिया महाद्वीप की है। वेटिकन दावा कर रहा है कि चर्च की शरण में आने पर ही मानव जाति को अपने पापों से मुक्ति तथा स्वर्ग का साम्राज्य मिल सकता है। पूरे संसार को चर्च की शरण में लाने की योजना में लगे हुए चर्च के पास अपने अनुयायियों की पुकार को सुनने का समय ही नहीं है।
डेड हजार साल पहले कैथोलिक चर्च की शरण में आए अमेरिका और यूरोप के धर्मांतरित कैथलिकों के वंशज विगत कई दशकों से पोप के पास दुहोई दे रहे थे कि उन्हें चर्च के शोषण से बचाओं। वो चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे कि तुम्हारा पूरा सिस्टम ऊपर से नीचे तक पाप में डूबा हुआ है, परन्मु वेटिकन सुनने को ही तैयार नही था। ईसाई धर्म में अनेक चर्च एवं डिनोमिनेशन है पर इन सबमें रोमन कैथोलिक चर्च संख्या, बल और प्रभाव में सबसे अग्रणी भी है और सबसे ज्यादा पापाचार में लिप्त भी। इस चर्च के भीतर यह पापाचार कब से फैला हुआ है कहना कठिन है। भारत समेत अधिक्तर देशों में सधारण विश्वासियों के साथ साथ चर्च की नने (धर्म-बहने) भी यौन शोषण का शिकार रही है। हालही में इटली की एक नन ने एक बच्चे को जन्म दिया है और उसका नाम पोप फ्रंासिस के नाम पर रखा है। चर्च का दावा है कि नन को मालूम ही नही था कि वह गर्भवती है। लेकिन पाप का घड़ा तो भरता ही है और भर कर फूटता भी है।
अमेरिका और यूरोप में पचास साल पहले ही चर्च के प्रति विद्रोह के स्वर उठने लगे थे। साल 1963 में अमरीका के न्यू मैक्सिको स्थित ‘सर्वेन्ट्स आफ दि होली पोर्सलीट’ के प्रमुख ने पोप जॉन पाल छठ्म से मुलाकात करके चर्च के अंदर फैले अनाचार को खत्म करने की मांग की थी। वेटिकन ने फादर फिट्ज गेराल्ड की शिकायत को चर्च के हित की दुहाई देते हुए खारिज कर दिया। तब से अब तक वेटिकन में चार नये चेहरे आ चुके हैं-पोप जॉन पाल छट्म, पोप जॉन पाल द्वितीय, पोप बेनेडिक्ट सोहलवें और अब पोप फ्रांसिस। पिछले पचास सालो में न जाने कितनी शिकायते वेटिकन के पास पंहुची और प्रत्येक परमपिता पोप इस पर चुप्पी साधे बैठा रहा।
वेटिकन की चुप्पी को देखते हुए अमेरिका और यूरोप के विश्वासियों ने इसके विरुद्ध अनेक मंच गठित किए और उनकी सार्वजनिक अपील पर हजारों भुक्तभोगी, जो कल तक चुप थे, खुलकर सामने आ गए। नीदरलैंड में ‘हेल्प एण्ड लॉ लाइन’ और अमेरिका में ‘सर्वाइवर्स नेटवर्क फार एब्यूज्ड बाई चर्च’ के कारण पीड़ितों में साहस आया और जो पहले अपने को अकेला समझ कर या दूसरे दबावों के कारण चुप थे खुल कर सामने आने लगे है।
सोचने वाली बात यह है कि पापाचार को रोकने से अधिक महत्वपूर्ण वेटिकन का हित क्या हो सकता है? चर्च मत के अनुसार मनुष्य जन्म से ही पापी है और इस पाप कर्म से बाहर निकलने पर ही उसका उद्वार संभव है। ऐसे में चर्च को ऐसे पापाचारी पादरियों से मुक्त करना उसकी पहली चिन्ता होनी चाहिए। लेकिन वर्तमान समय में चर्च का लक्ष्य कुछ और ही है। वेटिकन ने एक बड़ा ही असान रास्ता पकड़ लिया है कि जिस पादरी के विरुद्व शिकायत मिले, उसका तुंरत तबादला कर दो या फिर उसका दायित्व बदल दो। तांकि चर्च के काम में कोई रुकावट न आए।
यूरोप और अमेरिका के कैथोलिक विश्वासियों के दिलो में सैकड़ों सालों से समाया वेटिकन का गौरव मंद होने लगा है। यूरोप और अमेरिका के विश्वासियों के बीच अपनी मंद पड़ती छवि को लेकर चिंतित चर्च ने नए क्षेत्रों में अपने पांव फैलाने शुरु कर दिए है। इस कार्य के लिए वह राज्यशक्ति का भी उपयोग कर रहा है। भारत में तेज रफतार से नए चर्च और नए डायसिस बनाए जा रहे है। यह काम कितनी तेजी से हो रहा है इसे केवल इस बात से ही समझा जा सकता है कि भारत में कार्यरत वेटिकन के राजदूत द्वारा तीन सालों के अंदर ही 25 बिशप बनाए गए है। हालाकि भारत के धर्मांतरित ईसाइयों की समस्याओं पर वेटिकन अपने कान बंद किए हुए है।
अबे गधे अजीज बर्नी और गधी राणा अय्यूब .. तू किस इस्लाम और किस हिन्दुत्व की बात कर रहा है ?? तू पहले ये देख .. जैसे बंदरो के हाथ मलमल का कपड़ा लग जाये तो उसका वो क्या हाल करता है .. सीरिया में न संघ था न मोदी .. फिर कैसे सीरिया की हालत ये हो गयी ..

[उपर सीरिया के शहर होम्स की एक ही लेन का फोटो है ... जिसे अजीज बर्नी जैसे कुत्तो ने नोच नोच कर बर्बाद कर दिया .. अब इनकी नजर भारत पर है ]

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क्या आप जानते है की एक बार सुधारवादी मुस्लिमो के एक आतंकी सन्गठन ने सऊदी अरब में मक्का की मस्जिद और काबा पर कब्जा कर लिया था ???
सउदी अरब में कई लोग ऐसे थे जो इस्लाम में परिवर्तन चाहते थे ..उनका नेता मोहम्मद अब्दुल्लाह-अल -कहतानी था .. जो एक दिन अपने हजारो समर्थको के साथ मक्का पर धावा बोलकर बड़ी मस्जिद पर कब्जा कर लिया ..और वहां मौजूद सभी सऊदी पुलिस और सेना के जवानो का कत्लेआम मचा दिया ...ये घटना 20 नवम्बर 1979 से 5 दिसम्बर 1979 तक चली थी ...
मुहम्मद अब्दुल्लाह ने मक्का की बड़ी मस्जिद से अपने आपको मुसलमानों का नया रहनुमा घोषित कर दिया ..और घोषणा किया की वो अब इस्लाम का "मैहदी" या मुक्तिदाता है | और दुनिया के सभी मुसलमानों को उसकी बातो का पालन करना चाहिए ...उसने वहां मौजूद कई देशो के हजयात्रियों को बंधक बना लिया था ... अफरातफरी मच गयी थी .. चारो तरफ कत्लेआम मचा हुआ था ..
फिर अंत से सऊदी अरब ने अमेरिका से मदद मांगी ... अमेरिकी कमांडो आये .. लेकिन एक समस्या आ गयी .. वो गैर मुस्लिम होने की वजह से अंदर नही जा सकते थे ... फिर कठमुल्लों ने इसका एक समाधान निकाला .. तय हुआ की एक ईसाई कार्डिनल बुलाया जाये .. पहले इन कमांडो को कलमा पढाकर मुस्लिम बनाया जाये ..फिर ओपरेशन के बाद इन्हें कार्डिनल वापस ईसाई बना देंगे ...
फिर भीषण लड़ाई हुई ... कुल 255 हाजी मारे गये .. मुहम्मद अब्दुल्लाह अपने समर्थको के साथ मारा गया .. और फिर अमेरिका की मदद से मक्का को सऊदी अरब ने फिर अपने कब्जे में लिया ..
B. A. — Bachelor of Arts
M. A. — Master of Arts
B. Sc. — Bachelor of Science
M. Sc. — Master of Science
B. Sc. Ag. — Bachelor of Science in
Agriculture
M. Sc. Ag. — Master of Science in Agriculture
M. B. B. S. — Bachelor of Medicine and Bachelor of Surgery
M. D. — Doctor of Medicine
M. S. — Master of Surgery
Ph. D. / D. Phil. — Doctor of Philosophy (Arts & Science)
D. Litt./Lit. — Doctor of Literature / Doctor of Letters
D. Sc. — Doctor of Science
B. Com. — Bachelor of Commerce
M. Com. — Master of Commerce
Dr. — Doctor
B. P. — Blood Pressure
Mr. — Mister
Mrs. — Mistress
M.S. — miss (used for female married & unmarried)
Miss — used before unmarried girls)
M. P. — Member of Parliament
M. L. A. — Member of Legislative Assembly
M. L. C. — Member of Legislative Council
P. M. — Prime Minister
C. M. — Chief Minister
C-in-C — Commander-In-Chief
L. D. C. — Lower Division Clerk
U. D. C. — Upper Division Clerk
Lt. Gov. — Lieutenant Governor
D. M. — District Magistrate
V. I. P. — Very Important Person
I. T. O. — Income Tax Officer
C. I. D. — Criminal Investigation Department
C/o — Care of
S/o — Son of
C. B. I. — Central Bureau of Investigation
G. P. O. — General Post Office
H. Q. — Head Quarters
E. O. E. — Errors and Omissions Excepted
Kg. — Kilogram
Kw. — Kilowatts
👉Gm. — Gram
👉Km. — Kilometer
👉Ltd. — Limited
👉M. P. H. — Miles Per Hour
👉KM. P. H. — Kilometre Per Hour
👉P. T. O. — Please Turn Over
👉P. W. D. — Public Works Department
👉C. P. W. D. — Central Public Works Department
👉U. S. A. — United States of America
👉U. K. — United Kingdom (England)
👉U. P. — Uttar Pradesh
👉M. P. — Madhya Pradesh
👉H. P. — Himachal Pradesh
👉U. N. O. — United Nations Organization
👉W. H. O. — World Health Organization
👉B. B. C. — British Broadcasting Corporation
👉B. C. — Before Christ
👉A. C. — Air Conditioned
👉I. G. — Inspector General (of Police)
👉D. I. G. — Deputy Inspector General (of Police)
👉S. S. P. — Senior Superintendent of Police
👉D. S. P. — Deputy Superintendent of Police
👉S. D. M. — Sub-Divisional Magistrate
👉S. M. — Station Master
👉A. S. M. — Assistant Station Master
👉V. C. — Vice-Chancellor
👉A. G. — Accountant General
👉C. R. — Confidential Report
👉I. A. S. — Indian Administrative Service
👉I. P. S. — Indian Police Service
👉I. F. S. — Indian Foreign Service or Indian
Forest Service
I. R. S. — Indian Revenue Service
👉P. C. S. — Provincial Civil Service
👉M. E. S. — Military Engineering Service
Full Form Of Some technical Words
VIRUS - Vital Information Resource
UnderSeized.
3G -3rd Generation.
GSM - Global System for Mobile
Communication.
CDMA - Code Divison Multiple
Access.
UMTS - Universal MobileTelecommunication
System.
SIM - Subscriber Identity Module .
AVI = Audio Video Interleave
RTS = Real Time Streaming
SIS = Symbian
OS Installer File
AMR = Adaptive Multi-Rate Codec
JAD = Java Application Descriptor
JAR = Java Archive
JAD = Java Application Descriptor
3GPP = 3rd Generation Partnership Project
3GP = 3rd Generation Project
MP3 = MPEG player lll
MP4 = MPEG-4 video file
AAC = Advanced Audio Coding
GIF= Graphic InterchangeableFormat
JPEG = Joint Photographic Expert Group
JPEG = Joint Photographic Expert Group
BMP = Bitmap
SWF = Shock Wave Flash
WMV = Windows Media Video
WMA = Windows Media Audio
WAV = Waveform Audio
PNG = Portable Network Graphics
DOC =Document (MicrosoftCorporation)
PDF = Portable Document Format
M3G = Mobile 3D Graphics
M4A = MPEG-4 Audio File
NTH = Nokia Theme (series 40)
THM = Themes (Sony Ericsson)
MMF =
Synthetic Music Mobile Application File
NRT = Nokia Ringtone
XMF = Extensible Music File
WBMP = Wireless Bitmap Image
DVX = DivX Video
HTML = Hyper Text Markup Language
WML =
Wireless Markup Language
CD -Compact Disk.
 DVD - Digital Versatile Disk.
 CRT - Cathode Ray Tube.
 DAT - Digital Audio Tape.
 DOS - Disk Operating System.
 GUI -Graphical
User Interface.
 HTTP - Hyper Text Transfer Protocol.
 IP - Internet Protocol.
 ISP - Internet Service Provider.
 TCP - Transmission Control Protocol.
 UPS - UninterruptiblePower Supply.
 HSDPA -High Speed Downlink PacketAccess.
 EDGE - Enhanced Data Rate for
 GSM- [GlobalSystem for Mobile
Communication]
Evolution.
 VHF - Very High Frequency.
 UHF - Ultra High Frequency.
 GPRS - General
PacketRadio Service.
 WAP - Wireless ApplicationProtocol.
 TCP - Transmission ControlProtocol.
 ARPANET - Advanced Research Project
Agency Network.
 IBM - International Business Machines.
 HP - Hewlett Packard.
 AM/FM - Amplitude
☞. *P D F* का मतलब है?
उत्तर:- *Portable Document Format.*
☞. *H T M L* का मतलब है?
उत्तर:- *Hyper Text Mark up Language.*
☞. *N E F T* का मतलब है?
उत्तर:- *National Electronic Fund Transfer.*
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उत्तर:- *Magnetic Inc Character Recognition.*
☞. *I F S C* का मतलब है?
उत्तर:- *Indian Financial System Code.*
☞. *I S P* का मतलब है?
उत्तर:- *Internet Service Provider.*
☞. *E C S* का मतलब है?
उत्तर:- *Electronic Clearing System.*
☞. *C S T* का मतलब है?
उत्तर:- *Central Sales Tax.*
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उत्तर:- *Cash Reserve Ratio.*
☞. *U D P* का मतलब है?
उत्तर:- *User Datagram Protocol.*
☞. *R T C* का मतलब है?
उत्तर:- *Real Time Clock.*
☞. *I P* का मतलब है?
उत्तर:- *Internet Protocol.*
.☞. *C A G* का मतलब है?
उत्तर:- *Comptroller and Auditor General.*
.☞. *F E R A* का मतलब है?
उत्तर:- *Foreign Exchange Regulation Act.*
☞. *I S R O* का मतलब है?
उत्तर:- *International Space Research organization.*
☞. *I S D N* का मतलब है?
उत्तर:- *Integrated Services Digital Network.*
.
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उत्तर:- *South Asian Association for Regional co –operation.*
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उत्तर:- *Gross Domestic Product.*
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उत्तर:- *Foreign Direct Investment .*
☞. *E P F O* का मतलब है?
उत्तर:- *Employees Provident Fund Organization.*
☞. *C R R* का मतलब है?
उत्तर:- *Cash Reserve Ratio.*
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उत्तर:- *Combined Finance & Revenue Accounts.*
☞. *GPF* का मतलब है?
उत्तर:- *General Provident Fund.*
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उत्तर:- *Global Mean Time.*
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उत्तर:- *Global Positioning System.*
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उत्तर:- *Gross National Product.*
☞. *SEU* का मतलब है?
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उत्तर:- *Yet Another Hierarchical Officious Oracle .*
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उत्तर:- *Wide Interactive Network Development forOffice work Solution .*
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उत्तर:- *Common Oriented Machine ParticularlyUnited and used under Technical and EducationalResearch.*
☞. *VIRUS* का मतलब है?
उत्तर:- *Vital Information Resources Under Siege.*
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उत्तर:- *Universal Mobile TelecommunicationsSystem.*
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उत्तर:- *Active-matrix organic light-emitting diode.*
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उत्तर:- *Organic light-emitting diode*
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