Saturday 1 October 2016

विज्ञान ने भी माना : पवित्र गंगा जल में है टीबी मिटाने की क्षमता ...
काफी समय से ये माना जाता है कि सनातन हिन्दू धर्म के करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक गंगा जल में रोगों से लडऩे की अद्भुत क्षमता है। मगर अब इस धार्मिक मान्यता को विज्ञान के एक नए अध्ययन से भी बल मिला है।
चंडीगढ़ के इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्रोलॉजी के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन कर कहा गया है कि – ” गंगा में टीबी और न्यूमोनिया जैसी बीमारियों से लडऩे की क्षमता है। ” इतना ही नहीं बल्कि गंगा में रोगों को ठीक करने की क्षमता का पुख्ता सबूत भी पेश किया है। अध्ययन अनुसार गंगा के पानी में ऐसे नए किस्म के वायरस और बैक्टीरिया होते हैं, जो पानी में गंदगी करने वाले बैक्टीरिया को खा जाते हैं। 3 घंटे में मर गए कॉलरा के जीवाणु 1896 के दौरान ब्रिटिश वैज्ञानिक ई हैनबरी हैनकिन ने पाया था कि कॉलरा के जीवाणु गंगा के पानी में तीन घंटे से ज्यादा देर तक जिंदा नहीं रह पाते हैं। मगर ये जीवाणु कहीं अन्य स्थान के शुद्ध पानी में भी मरते नहीं हैं। कई तरह के जीवाणुभोजी अर्थात अच्छे किस्म के बैक्टीरिया गंगा के पानी में पाए जाते हैं, जो टीबी, न्यूमोनिया, कॉलरा और मूत्र की बीमारियों को पैदा करने वाले बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं। इमटेक के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. शणमुगम मैयलराज का कहना है कि – ” हमें अध्ययन में गंगा में पाए जाने वाले कई अच्छे बैक्टीरिया और वायरस मिले, जो खराब बैक्टीरिया को खा जाते हैं। ” विज्ञान की दुनिया के लिए गंगा शोध का विषय है। हालांकि, कुछ शोधों में यह पहले भी कहा गया था कि गंगा में गंदगी पैदा नहीं होने की खास गुण है। जिसके कारण इसका पानी कभी सड़ता नहीं है। इसी कारण लोग इसका पानी बोतलों में वर्षों से लेकर रखते हैं।

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