Wednesday 28 September 2016

बिल्डिंग नहीं मिटटी के बर्तन बनाता है ये इंजीनियर, दुबई में जाते है बर्तन

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भिवानी/बहादुरगढ़। बहादुरगढ़ के शिल्पकार अतुल तिवारी को मिट्टी के बर्तन बनाने के हुनर ने विदेशों में भी पहचान दिला दी है। इनकी खासियत है कि मिट्टी से जटिल से जटिल वस्तुओं का निर्माण कर आकार देने में इन्हें महारत हासिल है। हमारी मिट्टी के बने बिरयानी पोट में दुबई के लोग बिरयानी बनाकर खाते हैं।
हाल ही में दुबई से उन्हें एक लाख और बिरयानी पोट बनाने का आर्डर मिला है। मिट्टी के दिए और तवे की डिमांड देश ही नहीं विदेशी शहरों में होने लगी। डिमांड बढ़ती देख उन्होंने कुछ अन्य कारीगरों को भी रख लिया। कुछ समय पहले तक वह मिट्टी के बर्तन बनाकर हाट मार्केट, एक्जीबिशन आदि में बेचते थे, जहां उनके हुनर के कद्रदान मिले और विदेशों से आर्डर मिलने शुरू हुए।
मन में रखें पॉजिटिव सोच
अतुल कहते हैं कि काम के लिए आपका पैमाना जितना अधिक होगा आपको उतनी ही कम समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। हमेशा सकारात्मक सोचें और पूरा मन लगाकर अपना काम करें। बिजनेस के साथ ही सामाजिक जिम्मेदारी भी समझें। मुनाफाखोरी की प्रवृत्ति पनपने दें।
बिना कैमिकल मिलाए नेचुरल तरीके से बनाते हैं बर्तन
उन्होंने बताया कि वे नेचुरल तरीके से बर्तनों को बनाते हैं। बिना किसी केमिकल के बहुत ज्यादा चिकनाई लाई जाती है। जिससे इनमें बनने वाला खाना शुद्ध पौष्टिक होता है। इसी वजह से गिलास, कटोरी, चम्मच, थाली, टिफिन बॉक्स, बोतल, कुल्हड़, बिरयानी पोट, तवा, दही हांडी, प्लेट, दोने आदि बर्तनों की मांग बढ़ रही है। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। इंसान के शरीर को रोज 18 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व मिलने चाहिए। जो केवल मिट्टी से ही आते हैं।
मिट्टी के दिए बनाने वाले से मिली प्रेरणा
अतुल ने बताया कि पहले वह सिरेमिक्स कंपनियों में मिट्टी का प्लांट लगाने का काम करते थे। 2002 में वह नीमराना की एक कंपनी में प्लांट लगाने गए तो वहां उसे मिट्टी के दिए बनाने वाले से प्रेरणा मिली। घर आकर काम करना शुरू कर दिया। 50 हजार की जमापूंजी इस काम में लगाई और मिट्टी के दिए और तवा बनाने का काम शुरू कर दिया। 2014 में उसने इस कारोबार को मॉडर्नाइज रंग में रंगने की कोशिश की। साइंटिफिक तरीके से मिट्टी की नई-नई चीजें विकसित की। इसके बाद तो यह कारोबार फर्राटे मारने लगा।

बिना बिजली के 24 घंटे ठंडा रहने वाला मकान बनाने का प्रयोग कर रहे हैं इंजीनियर अतुल

बेटा करता है तकनीकी सहयोग : अतुल खुद इंजीनियर हैं। अब इंजीनियरिंग कर लौटा उनका बेटा रजत भी इसी काम में लगा है। बेटा मृत्तिका शिल्पी तकनीक, सेरेमिक टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी उपलब्ध करता है। इससे वह अपने कारोबार को और चमकदार बना रहे हैं।
बनाना चाहते हैं मकान : अतुल नया प्रयोग करने में लगे हैं। यह प्रयोग रंग लाया तो ग्रामीण भारत में अपने आप में नया प्रयोग होगा। दरअसल वह एक ऐसा घर बनाना चाहते हैं, जो 24 घंटे ठंडा रहे, लेकिन बिजली की जरूरत न हो। यह मकान सिर्फ नेचुरल लाइट का इस्तेमाल करके मकान को ठंडा रखेगा।

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