Friday 26 August 2016

चिकित्सा विज्ञान ने भी समझी संस्कृत की महत्ता : अब डॉक्टर भी लेंगे संस्कृत ज्ञान
हाल ही में पटना स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स पटना में संस्कृत की पढ़ाई शुरू की गई है, जिसे लेकर मेडिकल छात्र बहुत उत्साहित दिख रहे हैं। नौ महीने के इस कोर्स के लिए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने एक संस्कृत शिक्षक नियुक्त किया है।
इस दौरान संस्कृत की पढ़ाई करने वालों को परीक्षा के बाद सर्टिफ़िकेट भी मिलेगा। सीट उपलब्धता के बाद चिकित्सक और अन्य कर्मचारी भी संस्कृत की पढ़ाई कर पाएंगे। फ़िलहाल अनिवार्य विषय न होने के कारण इसे पढ़ने वालों को हफ़्ते में छह घंटे की क्लास करनी होगी।
एम्स में अंतिम वर्ष के छात्र उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के सावन पांडेय, संस्कृत की पढ़ाई पर कहते हैं कि – ” अभी हम फ़ायदे-नुकसान के हिसाब से नहीं सोच रहे लेकिन बहुत सारे छात्र इसमें रुचि दिखा रहे हैं। यह भाषा सीखने के बाद हम इसमें उपलब्ध साम्रगी को जान पाएंगे। ”उत्तर प्रदेश के ही पुनीत शर्मा भी कुछ दूसरे छात्रों की तरह संस्कृत पढ़ाने की शुरुआत को एक अच्छी पहल मानते हैं।
छात्रों कि तरह संस्कृत की पढ़ाई को लेकर यहां के डॉक्टर भी उत्साहित हैं। यहाँ कार्यकर्त प्लास्टिक सर्जन वीणा कुमार का कहना है कि – ” संस्कृत पढ़ना स्कूल के पुराने दिनों में लौटने जैसा होगा। बहुत से पुराने ग्रंथ तो सिर्फ़ संस्कृत में ही उपलब्ध हैं। महर्षि सुश्रुत प्लास्टिक सर्जरी के पिता माने जाते हैं। उनकी भी बहुत सारी किताबें संस्कृत में हैं। ”
एम्स पटना में संस्कृत पढ़ाने की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश के अमेठी के विमलेश मिश्रा के कंधों पर है।संस्कृत की महत्ता व् पढ़ाने के तरीकों के बारे में विमलेश बताते हैं – ” शुरुआत हम संस्कृत की बुनियादी चीजों से चलकर ऋषि-मुनियों, महापुरुषों की जीवनी को छोटे-छोटे वाक्यों के ज़रिए बताकर भी पढ़ाया जाएगा। इस सूची में वेद व्यास, विवेकानंद, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे नाम शामिल हैं। ”
भगवाकरण के सवाल पर निदेशक का मुस्कुराता जवाब
  संस्कृत के बहाने शिक्षा के भगवाकरण को बढ़ावा दिए जाने के आरोपों पर एम्स निदेशक फ़िल्म अमर-प्रेम का गीत “कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना” गुनगुना कर अपना जवाब सामने रखते हैं।
निदेशक बताते हैं कि – ” इस भाषा के ज्ञान से डॉक्टर्स को ‘ह्यूमन बीईंग’ बनने में बड़ा लाभ होगा। आयुर्वेद और आयुष में ज़्यादातर मैटिरियल संस्कृत में ही है। संस्कृत में मानसिक शांति पर भी बहुत सामग्री उपलब्ध है। ”
संस्कृत की महत्ता समझाते हुए खुद पटना एम्स के निदेशक डाक्टर गिरीश कुमार सिंह कहते हैं कि यह कोर्स डाक्टरों के लिए बहुत उपयोगी है।

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