Sunday 19 June 2016

m3diya

भारत के पुरातन ज्ञान और परंपरा को नकार कर किया गया विकास न तो पूरी तरह जनहित में होगा और न ही प्रकृति का पोषक होगा. पुरातन ज्ञान और परंपरा को नजरअंदाज कर किये विकास का ही परिणाम आज देखने को मिल रहा है. इस विकास के दुष्परिणामों से चौतरफा चिंता हो रही है और प्रकृति को बचाने की गुहार लगायी जा रही है. इसलिए इन तीनों का समन्वय कर विकास की आधारशिला रखनी चाहिए.
                                                    डॉ. मोहन भागवत 
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