Sunday 26 June 2016

महाराष्ट्र के नए भगीरथ बने बॉलीवुड एक्टर नाना पाटेकर

 अपने क्षेत्र में ख्याति और विश्वसनीयता अर्जित कर चुकी कोई शख्सियत समाज को कुछ देने के लिए निकल पड़े तो वह कितना बड़ा परिवर्तन ला सकती है, इसकी जीती-जागती मिसाल हैं सिने अभिनेता नाना पाटेकर। जिनकी पहल पर सूखाग्रस्त महाराष्ट्र में कई सूखे-पटे नालों को कुछ ही महीनों में छोटी-मोटी नदी जैसा रूप दिया जा चुका है। ऐसे ही 15 किलोमीटर लंबे एक पुनर्जीवित नाले को ग्रामवासियों ने नाना पाटेकर के संगठन के नाम पर 'नाम नदी' कहना शुरू कर दिया है।

मराठवाड़ा के परभणी जनपद में झरी गांव के सरपंच कांतराव देशमुख झरीकर अपने बचपन में गांव से बहते एक नाले को देखा करते थे। समय के साथ-साथ नाला पटने लगा और धीरे-धीरे गायब ही हो गया। पिछले तीन वर्षों से महाराष्ट्र में लगातार पड़ते आ रहे सूखे के कारण ग्रामवासियों को पानी की चिंता हुई, तो सूखे नाले की याद आई। देशमुख ने करीब 15 किलोमीटर लंबे इस नाले को गहरा और चौड़ा करने का बीड़ा उठाया।

 नाले की खुदाई का काम तो मई 2015 से ही शुरू हुआ था। लेकिन पिछले साल सितंबर में नाना पाटेकर और मराठी अभिनेता मकरंद अनासपुरे द्वारा स्थापित नाम फाउंडेशन ने इस नाला खुदाई काम में सहयोग करना शुरू किया तो आस-पड़ोस के ग्रामवासियों में जैसे नई ऊर्जा भर गई। कांतराव देशमुख बताते हैं कि महिलाओं ने अपने जेवर तक बेचकर इस काम में योगदान किया। नतीजा सामने है। जहां कभी 20 फुट चौड़ा और मात्र डेढ़ फुट गहरा नाला दिखता दिखता था। आज 140 मीटर चौड़ी एवं 20 से 40 फुट गहरी नहर लगभग 15 किलोमीटर की दूरी में फैली दिखाई देती है।

नाम फाउंडेशन ने सिर्फ झरी गांव में ही यह काम नहीं किया है। पूरे महाराष्ट्र में इस फाउंडेशन ने 500 किलोमीटर से अधिक के नालों को पुनरुज्जीवन प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई है। इन नालों को गहरा करके जगह-जगह छोटे बांध बनाए गए हैं। ताकि बरसात के दिनों में पानी भरने के बाद उस क्षेत्र का पानी उसी क्षेत्र में रोका जा सके। यह तकनीक भूमिगत जलस्तर बढ़ाने में कारगर सिद्ध होगी। इसका लाभ पिछले 10 दिनों में मराठवाड़ा में ही प्रारंभिक बरसात में ही दिखने भी लगा है। हालांकि इस तरह के कामों में कई जगह सरकार की ओर से चलाई जा रही जलयुक्त शिवार योजना के तहत आने वाले फंड का भी इस्तेमाल किया जाता है। 

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