Saturday 12 March 2016

सन् 1947 का विभाजन और मुस्लिम ISIS ( इस्लामिक स्टेट )- भाग - 04 -----

हिंदुस्तान की स्थिति 1906 तक तो ठीक ही थी कोई हिन्दू मुस्लिम की बात नहीं थी लेकिन सन 1906 मे काँग्रेस से हटकर मुसलमानो ने अपना अलग संगठन " मुस्लिम लीग " बनाया । इससे हिन्दुस्तान की जनता धीरे धीरे दो भागों मे विभाजित होने लगी । इधर गांधी जी की स्वदेशी मुहिम और स्वदेशी भाषा ने उन्हे आम जनता से जोड़ दिया था जैसे वर्तमान मे क्षेत्रीय नेता जैसे लालू यादव, नितीश कुमार , जयललिता, ममता बनर्जी आदि । गांधी जी के इसी पहनावे से कुछ नेता खुश नहीं थे । परंतु सामने कुछ नहीं कहते थे । गांधी जी नेहरू के बाद जिसे सबसे ज्यादा पसंद कराते थे वह थे मोहम्मद आली जिन्ना ।
मोहम्मद आली जिन्ना नाम के मुसलमान थे क्योंकि सब जानते थे की वह ब्याज ( सूदखोरी ) का काम करते थे, उन्हे सूअर का मांस और शराब बहुत पसंद थी तथा वह छोटे बच्चो से सेक्स करने के आदि थे । यह सब बाते इस्लाम मे हराम थी परंतु उनपर पैसा बहुत था और उनको अंग्रेजों की तरह रहना पसंद था इसलिए वह अंग्रेजों के खास चहेते थे । उन्होने उन्हे गांधी जी के साथ किया जो और बाद मे मुस्लिम लिंग का अध्यक्ष १९१६ में बने और धीरे धीरे वे कांग्रेस से विमुख होने लगे। १९२० में उन्होने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। मोहम्मद आली जिन्ना ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ( उत्तर प्रदेश के केबिनेट मंत्री आजम खान के दादा जिनके नाम से आजम खान ने जौहर यूनिवर्सिटी रामपुर मे खोली है ) तथा सैयद बाजिर हसन नाम के दो लोगों के साथ मुस्लिम लिंग जॉइन जारी थी बाद मे इन्ही दोनों ( मौलाना मोहम्मद अली जौहर तथा सैयद बाजिर हसन ) के साथ मौलाना इकबाल के कहने पर " इस्लामिक राष्ट्र " पाकिस्तान की मांग की गई और उसके लिए हिंसक आंदोलन भी किए गए । यदि कहा जाए की जिन्ना के बाद यदि पाकिस्तान को बनाने मे यही कोई व्यक्ति पीछे से अंग्रेजों के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था तो वह था मौलाना मोहम्मद आली जौहर ।
एक हिन्दू आर्य समाजी प्रकाशक ने रंगीला रसूल नामक पुस्तक प्रकाशित की थी,जिसमें मोहम्मद साहब के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई थी। इससे मुस्लिम सम्प्रदाय में क्रोध व उत्तेजना की लहर फैल गई। एक मुस्लिम कारपेन्टर इस्लामुद्दीन ने पुस्तक प्रकाशक की हत्या कर दी। इस कातिल की ओर से पैरवी जिन्ना ने की। इस प्रकार हिन्दू और मुसलमानों के बीच की खाई बढती गई। जिन्ना का सोचना था कि हिन्दू बाहुल्य देश में मुसलमानों का हित सुरक्षित नहीं है और वे अलग राष्ट्र की कल्पना करने लगे। इतना ही नहीं जिन्ना ने गांधी जी के अंग्रेजों के विरुध्द चलाए गए खिलाफत आन्दोलन का विरोध भी किया।१९४२ में चलाए गए भारत छोडो आन्दोलन का भी जिन्ना विरोध करते रहे।
जिन्ना ने अपने घनिष्ठ मित्र पारसी सम्प्रदाय के दिन्शा पेटिट की सुपुत्री रतनबाई पेटिट से ४० वर्ष की उम्र में शादी की। जिन्ना रतनबाई से उम्र में २४ वर्ष बडे थे। १९१९ में इनके यहां पुत्री का जन्म हुआ,जिसका नाम दीना जिन्ना रखा गया। दीना जिन्ना ने नेविली वाडिया से शादी करके इतिहास दुहरा दिया। जिन्ना ने दिन्शा की इच्छा के विरुध्द शादी की,तो दीना ने जिन्ना की इच्छा के विरुध्द पुन:पारसी युवक से शादी की। दीना के सुपुत्र और जिन्ना के नवासे नुस्ली वाडिया बाम्बे के प्रसिध्द उद्योगपति रहे हैं। सन १९७० में दीना वाडिया ने जिन्ना हाउस पर आधिपत्य के लिए कोर्ट में याचिका दायर की किन्तु फैसला विपरित रहा। आजकल जिन्ना हाउस भारत सरककार के आधिपत्य में है।
मैंने 1947 के विभाजन को ISIS से क्यो जोड़ा , उसका कारण यही है कि जिस तरह का खून खराबा ISIS अरब मे इस समय कर रही है ऐसा हिंदुस्तान मे सन् 1947 मे हो चुका है और उसके परिणाम स्वरूप इस्लामिक राष्ट्र का निर्माण भी हुआ पाकिस्तान जो बाद मे दो भाँगों मे बंटा पाकिस्तान और बांगलादेश । पाकिस्तान कि सेना ने वहाँ के हिंदुओं को कत्ल करने मे कोई कसर नहीं छोड़ी । मेरे द्वारा इस लेख के माध्यम से उन लोगो को बेनकाब करना है जिनकी वजह से एक इस्लामिक स्टेट का निर्माण हुआ और आने वाले समय मे फिर एक इस्लामिक स्टेट विभाजित होने कि स्थिति बनेगी । यह निर्णय आपको करना है कि मैं कहाँ तक गलत हूँ और कहाँ तक सही । परंतु मैं अभी इसे लिखना जारी रखूँगा । 

                                                                                                       ------ विकास खुराना






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