Thursday 10 March 2016

मीडिया के कैमरों की नजरे सिर्फ ग्लैमर पर ही रहती है .. बड़े बड़े शहरो में रहने वाली बड़ी बिंदी गैंग की लम्पट महिलाओ को मीडिया में कई घंटो का प्रसारण मिलता है...
लेकिन गुजरात के दूरदराज वलसाड जिले के एक आदिवासी महिला का संघर्ष और उसके सफलता की कहानी को ये मीडिया के कुत्ते कभी सूंघ नही सकते ..
बीस साल पहले जब ये आदिवासी महिला सब्जी बेचने ट्रक पर जा रही थी तब एक भीषण एक्सीडेंट में इसके दोनों हाथ कट गये थे .. अस्पताल में बिस्तर पर लेटे हुए ये आत्महत्या के लिए सोचती थी.. लेकिन बगल में लेटा नवजात बच्चे का मुंह देखकर इसने नये सिरे से जीवन जीने का निर्धार किया .. इन्होने बिना हाथो के ही खेती और घर का सारा काम करना सीख लिया ..और आज इनका एक बेटा इंजीनियरिंग करके अच्छी जॉब करता है.. और ये अपने खेतो और बगीचे में फसल उगाती है...

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