Friday 12 February 2016



नई दिल्ली. जेएनयू में देश विरोधी नारेबाजी के खिलाफ रिटायर्ड फौजियों ने आवाज उठाई है। शनिवार को एनडीए के रिटायर्ड अफसरों ने कहा कि अगर यूनिवर्सिटी में एंटी नेशनल एक्टिविटीज जारी रहीं तो हम अपनी डिग्री लौटा देंगे। पूर्व सैनिकों ने लिखा वीसी को लेटर...
- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व सैनिकों ने यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को एक लेटर लिखा है।
- 1978 बैच के एनडीए अफसरों ने लिखा है कि उन्हें अब जेएनयू से जुड़ा होने में दिक्कत महसूस हो रही है। क्योंकि यह एंटी नेशनल एक्टिविटीज का अड्डा बन गया है।
- उनका कहना है कि अगर ऐसी एक्टिविटीज को इजाजत दी जाती है तो हम डिग्रियां वापस करने को मजबूर हो जाएंगे।
होम मिनिस्टर से मुलाकात कर रहे हैं लेफ्ट के नेता
- सीपीआई लीडर डी. राजा शनिवार सुबह 11 बजे जेएनयू मसले पर राजनाथ सिंह से मुलाकात करने पहुंचे। उनके साथ जेडीयू नेता केसी त्यागी भी हैं।
- कुछ देर बाद सीपीएम के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी भी मुलाकात करने पहुंचेंगे।
- शुक्रवार को जेएनयू स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी का लेफ्ट पार्टीज ने विरोध किया था।
- सीताराम येचुरी ने शुक्रवार को कहा था, ''जेएनयू में ये क्या हो रहा है, पुलिस स्टूडेंट्स को हॉस्टल से उठा रही है। आखिरी बार ऐसा इमरजेंसी में देखा था।''
- वहीं नेता डी. राजा ने कहा, “आरएसएस वामपंथी आंदोलन को देशभक्ति सिखाने की कोशि‍श न करे।''
प्रेस क्लब में लगे थे पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे...
- 9 फरवरी को जेएनयू में संसद पर आतंकी हमले के दोषी अफजल गुरु और मकबूल भट को लेकर एक प्रोग्राम था। लेकिन विरोध हुआ और कुछ स्टूडेंट्स ने आतंकियों के फेवर में इंडिया गो बैक के नारे लगाए थे।
- इसके बाद 10 फरवरी की रात दिल्ली प्रेस क्लब में प्रोग्राम के दौरान कुछ लोगों ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे।
- जेएनयू के मामले में बीजेपी सांसद महेश गिरी और एबीवीपी ने बसंतकुंज थाने में केस दर्ज कराया।
- वहीं, प्रेस क्लब में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने पर दिल्ली पुलिस ने खुद केस दर्ज किया, जिसमें अलगाववादी नेता एसएआर गिलानी मुख्य आरोपी है।
- दिल्ली पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह (124ए) और आपराधिक साजिश रचने (120बी) की धाराओं में केस दर्ज किया है।
क्या हुआ था जेएनयू में?
- लेफ्ट स्टूडेंट ग्रुप्स ने संसद अटैक के दोषी अफजल गुरु और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के को-फाउंडर मकबूल भट की याद में एक प्रोग्राम ऑर्गनाइज किया था।
- इस प्रोग्राम को पहले इजाजत को मिल गई थी। लेकिन एबीवीपी ने इसके खिलाफ यूनिवर्सिटी के वीसी एम. जगदीश कुमार के पास शिकायत की।
- इसके बाद जेएनयू एडमिनिस्ट्रेशन ने परमिशन वापस ले ली।
- प्रोग्राम साबरमती हॉस्टल के सामने 9 फरवरी को शाम 5 बजे होना था।
- टेंशन तब बढ़नी शुरू हुई जब परमिशन कैंसल करने के बावजूद प्रोग्राम हुआ। एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया।
- प्रोग्राम होने से नाराज एबीवीपी ने बुधवार को जेएनयू कैम्पस में बंद बुलाया।
- बता दें कि अफजल को 9 फरवरी 2013 और मकबूल भट को 11 फरवरी 1984 को फांसी दी गई थी।
क्या कहा था वीसी ने?
- जगदीश कुमार के मुताबिक, "यूनिवर्सिटी के वीसी के होने के नाते यह मेरी रिस्पॉन्सिबिलिटी है कि कैम्पस में शांति बनी रहे।"
- "कैम्पस के अफसरों ने मीटिंग कर यह फैसला लिया कि इस इवेंट की इजाजत नहीं दी जा सकती। हमने ऑर्गनाइजर्स को भी बताया था कि प्रोग्राम की परमिशन कैंसल कर दी गई है।"
पुलिस ने क्या कहा था?
- वसंतकुंज पुलिस स्टेशन के एसएचओ के मुताबिक, "जेएनयू एडमिनिस्ट्रेशन ने हमें इन्फॉर्म किया था कि यूनिवर्सिटी में एक कॉन्ट्रोवर्शियल मुद्दे को लेकर अलग-अलग स्टूडेंट्स के दो गुटों बीच टकराव हो सकता है। इसी के चलते पुलिस कैम्पस में मौजूद थी।"
- "कैम्पस में कोई घटना नहीं घटी, लेकिन पुलिस ने सावधानी बरतते हुए सारी तैयारियां कर ली थीं।"
क्या कहना था स्टूडेंट लीडर्स का?
- जेएनयू स्टूडेंट यूनियन (JNUSU) के ज्वाइंट सेक्रेटरी सौरभ कुमार शर्मा ने कहा था, "परमिशन रद्द कर देने के बावजूद यह इवेंट हुआ। न केवल साबरमती होस्टल के बाहर प्रोटेस्ट हुआ, बल्कि गंगा ढाबे तक मार्च भी निकाला गया।"
- जेएनयूएसयू के प्रेसिडेंट और आइसा लीडर कन्हैया कुमार के मुताबिक, "लेफ्ट ऑर्गनाइजेशन फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने के अधिकार को छीनने के खिलाफ है, इसलिए हमने प्रोग्राम को सपोर्ट किया।"
- कन्हैया के मुताबिक, "एडमिनिस्ट्रेशन ने लास्ट मोमेंट पर ऑर्गनाइजर्स को बताया कि परमिशन कैंसल कर दी गई है। ऑर्गनाइजर्स ने भी वक्त पर जानकारी न मिलने की बात कही थी।"
- इस पर एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने कहा कि यहां न तो पुलिस थी और न ही कोई गार्ड था।







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