Sunday 14 February 2016

फ्रांस से राफेल विमानों की खरीद के मामले में "अपने गुज्जू भाई" ने जबरदस्त बार्गेनिंग करते हुए 85,000 करोड़ में भारत को बेचे जाने वाले 36 राफेल विमानों की खरीद का भाव 60,000 करोड़ करवा लिया है. जैसा कि सभी जानते हैं "मोलभाव" के मामले गुज्जू भाई शानदार होते हैं. शुरुआत में फ्रांस ने 2015 की "बेस प्राईज़" पर इन विमानों का सौदा करने की पेशकश की थी, लेकिन लगातार दो माह तक बातचीत करने के बाद भारत ने 2011 की "बेस प्राईज़" को आधार मानते हुए यह सौदा 60,000 करोड़ में किया है...
यानी सीधे-सीधे देश की 25,000 करोड़ रूपए की बचत...

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सागर मंथन के दौर से गुजर रहा देश, विष के बाद अमृत निकलेगा




दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के परिसर में एक आयोजन के दौरान कथित भारतविरोधी नारेबाजी पर गुस्से का इजहार करते हुए मशहूर अभिनेता अनुपम खेर ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देश की एकता को खंडित करने का किसी को भी अधिकार नहीं है। शहर में एक नाट्य प्रस्तुति के लिये आये खेर ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा, ‘भारत की राजधानी के बड़े विश्वविद्यालय जेएनयू में कुछ लोग जमा होकर देश की बर्बादी के नारे आखिर कैसे लगा सकते हैं? यह अभिव्यक्ति की आखिर कौन सी स्वतंत्रता है, जिससे देश की एकता को खतरा हो।’
60 वर्षीय अभिनेता ने कहा, ‘आप किसी सरकार से नाखुश होकर उसके खिलाफ नारेबाजी कर सकते हैं। लेकिन देश की एकता को खंडित करने का किसी को कोई अधिकार नहीं है। देश की बर्बादी के नारे लगाये जाने के मामले में माफी का सवाल ही नहीं उठता।’ खेर ने जेएनयू की घटना को लेकर जारी सियासत पर भी नाराजगी जतायी। उन्होंने कहा, ‘दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि वह जिलाधिकारी से जेएनयू की घटना की जांच करायेंगे। क्या केजरीवाल ने इस घटना से संबंधित वीडियो नहीं देखा है?’ उन्होंने कहा, ‘देश सागर मंथन की प्रक्रिया से गुजर रहा है और लोगों के चेहरों से नकाब उतर रहे हैं। मुझे लगता है कि इस मंथन से विष के बाद अमृत भी निकलेगा।’
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Jitendra Pratap Singh
मैंने टीवी पर देखा की वामपंथी नेता जेएनयू में जा रहे है .. डी राजा एक दिन फोर्ड एंडेवर एसयूवी में आये तो दुसरे दिन टयोटा इनोवा में .. प्रकाश करात अपनी फेवरेट मर्सिडीज में आये .. और सीताराम येचुरी सुजुकी की एसयूवी में आये .. ये दृश मै अपनी कल्पना से नही बल्कि एएनआई के द्वारा ट्विट किये गये विडिओ और फोटो से लिख रहा हूँ ...
इस दुनिया में वामपंथीयो और वामपंथ से बड़ा दोगला पाखंड कुछ और नही होगा .. खुद तो पूंजीवाद और पूंजीपति देशो का विरोध करते है ..लेकिन पूंजीवादी देशो के उत्पाद खरीदकर उनका बढ़ावा भी देते है ...पूरी जिन्दगी ये अमेरिका का खिलाफत करते है .. लेकिन सीताराम येचुरी अपने बच्चे को अमेरिका में पढने के लिए भेजते है बाद में उनका बेटा अमेरिका में ही नौकरी भी करता है ..
अब कन्हैया के इस परिवार को देखिये ... बाप लकवाग्रस्त है .. और भीख मांगता है .. माँ लोगो में घरो में खेतो में मजदूरी करती है .. भाई बहन गरीबी की वजह से पढाई नही करते बल्कि मजदूरी करते है .. माँ कहती है की मैंने पेट काट काटकर बेटे को पीएचडी करने दिल्ली भेजा था ..सोचा था बेटा पढ़ लिखकर सहारा बनेगा और इस बुढ़ापे में हम जो मेहनत कर रहे है उससे छुटकारा दिलाएगा .. बाप कहता है बेटे को वहां बरगला दिया गया है .. अब वो फोन भी नही करता .. घर भी नही आता .. कहता है मुझे मरा मान लो ..मै अब क्रांति को समर्पित हो चूका हूँ ...
सोचिये ... आखिर ये वामपंथी घाघ कैसे किसी गाँव से पढने के लिए आने वाले गरीब बच्चों को बरगलाकर अपनी राजनीती की रोटियां सेकते है ... लेकिन इन बच्चों के पास क्या अपना खुद का दिमाग नही होता ? आखिर ये क्यों नही सोचते की जिस अमेरिका को इनके नेता शैतान बोलते है उसी अमेरिका की फोर्ड कम्पनी के एसयूवी से क्यों चलते है ? ये खुद गरीबो मजदूरों की बात करते है लेकिन दिल्ली में बड़े बड़े बंगलो में रहते है ...अपने बच्चो के सुंदर भविष्य के लिए उन्हें अमेरिका पढने के लिए भेजते है .




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