Tuesday 12 January 2016

            भारत में गरीबों की सेवा के नाम पर ढिंढोरा पीटने वाली मिशनरी संस्थायें किसी इस्लामी देश में तो बहुत दूर की बात है, भारत में ही उन इलाकों में “सेवा”(???) करने नहीं जातीं, जिन जिलों या मोहल्ले में मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है।

          ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मुस्लिम पिछड़े, गरीब और अशिक्षित नहीं हैं? और उन्हें मिशनरी सेवा की जरूरत नहीं है?… बिलकुल है, और सेवा करना भी चाहिये, मुस्लिम बस्तियों में विभिन्न शिक्षा प्रकल्प चलाने चाहिये, लेकिन इससे मिशनरी का “असली” मकसद हल नहीं होता, फ़िर भला वे मुस्लिम बहुल इलाकों में सेवा क्यों करने लगीं।

          हिन्दू-दलित आदिवासियों को बरगलाना आसान होता है, क्योंकि जहाँ हिन्दू बहुसंख्यक होता है वहाँ धार्मिक स्वतंत्रता होती है, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता होती है, लोकतन्त्र होता है… लेकिन जहाँ मुस्लिम बहुसंख्यक होता है वहाँ…………… 

          तो इस बात को अलग से साबित करने की आवश्यकता नहीं है कि, धीरे-धीरे जनसंख्या बढ़ाकर और बांग्लादेश के रास्ते घुसपैठ बढ़ाकर भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्से में मुस्लिम बहुल जिले बढ़ते जा रहे हैं तब देश के सामने क्या चुनौतियाँ हैं।

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Amit Thakur
   
ओवैसी बिलकुल सही था 15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो हम 15 करोड़ मुसलमान 100 करोड़ हिन्दुओ को काट डालेगे |... बाबरी मस्जिद को गिराने के दौरान पुरे देश से 2- 2.5  हिन्दुओ की भीड़ जुटी थी |...
और यहाँ पश्चिम बंगाल के छोटे से कसबे मालदा में 2.5 लाख मुसलमान | इसका मतलब है की मालदा में हर एक मुसलमान सड़क पर था और उसने उत्पात मचाया |...
ये सोच कर ही भयानक लगता है | अगर ये देश में साम्प्रदायिकता नहीं है तो क्या है |...

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