Monday 25 January 2016

एक आर्य संन्यासी की डायरी पृष्ठ 637 संस्करण भाद्रपद 2037 
अजमेर के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नेहरू आए
वेद संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में नेहरू ने कहा,..."इस देश में हमेशा से ही शरणार्थियों का स्वागत किया गया है। यहाँ शक आए, हूण आए, मुस्लिम आए, अंग्रेज आए, आर्य आए और यहाँ की संस्कृति में घुलमिल गए" !!
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मुख्य अतिथि आर्य संन्यासी अपने मंच से उठे और नेहरू को जोरदार थप्पड़ जड़ दिया.. और माइक अपनी ओर करके संन्यासी बोल
"आर्य कही से आए नही, यही के मूल निवासी है। सबूत के तौर पर मैं हूँ..मेरे बाप दादा सब यही पैदा ..बाप दादा भी सब यही पैदा हुए, लेकिन आप इस देश के मूल निवासी नही••आपकी रगो में हिंदुस्तानी नही अरबी खून है।आपकी जगह पटेल प्रधानमंत्री होते तो हम चीन से हारते नही बल्कि तिब्बत भी भारत का अभिन्न अंग होता।
विदेह गाथा: एक आर्य संन्यासी की डायरी पृष्ठ 637 संस्करण भाद्रपद 2037 विक्रमी•••से साभार।
बाद में इन आर्य संन्यासी ने एक किताब लिखी: उत्थान और पतन जो 1963 में प्रतिबंधित कर दी गई...

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बिकाऊ मीडिया छोड़ो :- फेसबुक समाचार पड़ो
मोदी सरकार को चाहिए मीडिया की जांच करवानी चाहिए!
भाइयों , मीडिया की जांच होनी चाहिए वह कौन से कारण है कि मीडिया हमेशा हिंदू के खिलाफ बोलता है
वह कौन सा कनेक्शन है जिसके दम पर मिडिया कभी मुसलमानो के खिलाफ नही बोलता ?वह कौन सा कनेक्शन है कि आमिर सलमान व शाहरुख की फिल्मे सुपरहिट कराने के लिये मिडिया परेशान रहता है?आखिर क्यो भारतीय मिडिया मुसलमानो के दंगो आगजनी को छुपाती है? कहीं फंडिंग दाऊद तो नहीं करता है इनको यह एक बडा षडयन्त्र है जिसका भेद हर भारतीय को जानना जरुरी है
 अगर ऐसा है तो यह बहुत ही खतरनाक है यह मीडिया होता है जो लोगों के विचारों को प्रभावित करता है m e d i होता है जो लोगों को किसी काम को करने के लिए उत्साहित करता है लेकिन हमारा मीडिया तो हिंदुओं के खिलाफ चल रहा है यह तो अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए भी खिलाफ चल रहा है यह मीडिया लोगों को सही खबर देता है लेकिन हमारा मीडिया तो बिल्कुल हिंदूओ में खिलाफ है ,मोदी सरकार को चाहिए मीडिया की जांच करवानी चाहिए !
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बोस बाबू ने अखबार में पढ़ी थी

 अपनी ही मौत की खबर...


Colonel nizamuddin
सामने आए नेताजी के ड्राइवर कर्नल निजामुद्दीन, फिर जो बताया पढ़कर हैरान जाएंगे आप
रणविजय सिंह
आजमगढ़. नेता जी सुभाष चंद्र बोस की विमान हादसे में मौत के दावे लाख किए जाएं, लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जो इसे सिरे से खारिज करता है। यह कोई और नहीं बल्कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के वाहन चालक कर्नल निजामुद्दीन हैं। जिनका दावा है कि विमान हादसा 18 अगस्त 1945 को हुआ था, लेकिन 20 अगस्त 1947 को उनकी नेता जी से अंतिम मुलाकात वर्मा के सितांग में नदी के किनारे हुई थी। वहां से जाते समय नेताजी ने जीवन रहने पर फिर मिलने का वादा किया था, साथ ही यह भी कहा था कि सैनिको को भारत भेज देना।
 कर्नल की माने तो नेताजी अपनी मौत की खबर खुद अखबार में पढ़े थे और उन्हें इस बात की भनक भी लग गई थी कि कांग्रेस और अंग्रेजों के बीच उन्हें पकड़वाने का समझौता हो चुका है। यही कारण था कि नेताजी 20 अगस्त को नदी के रास्ते कहीं चले गये और फिर नहीं लौटे न ही उनसे बात हुई।
 कर्नल यहां तक कहते हैं कि वे चालक के साथ ही उनके सुरक्षा गार्ड भी थे, लेकिन उन्होंने कभी नेताजी को खिलखिलाकर हंसते नहीं देखा। बस हमेशा मुस्कुराते रहते थे। निजामुद्दीन बताते हैं कि 18 अगस्त 1945 को जब विमान हादसे के बाद नेता जी की मौत की खबर फैली तो सभी निराश थे, लेकिन नेताजी ने 20 अगस्त 1945 को वायरलेस पर फोन कर सितांग में एक छोटी नदी के पनघट पर बुलाया था। वहां जब नेता जी आए तो उनके साथ एक मद्रासी और कुछ जापानी लोग भी थे। उन्होंने कहा कि अब यहां रहना ठीक नहीं है। मैनें अपनी मौत की खबर अखबार में पढ़ी है और यह भी पता चला है कि कांग्रेस और अंग्रेजों में मुझे पकड़वाने के लिए समझौता हो चुका है। मैं वोट से चला जाउंगा। तुम लोग अपने सारे प्रूफ जला देना और सैनिकों को भारत भेज देना। इसके बाद नेता जी सिंताग से वोट से चले गए। वोट पर बैठने के बाद पूछने पर भी, उन्होंने नहीं बताया कि कहां जा रहे हैं। इतना जरूर कहा कि जीवन रहा तो फिर मिलेंगे। इसके बाद नेता जी का वायरलेस पर फोन आया कि वे पहुंच गए हैं। कहां नहीं बताए। इसके बाद नेताजी की कोई खबर उन्हें नहीं मिली।






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