Friday 18 December 2015

कुछ मुस्लिम नेता कहते हैं हजारो बेगुनाहों का हत्यारा बग़दादी इस्लाम को बदनाम कर रहा है, लेकिन किसी ने उसको जान से मारने की धमकी नहीं दी उसको मारने पर कोई इनाम की घोषणा नही?
परन्तु कमलेश तिवारी के एक बयान से इस्लाम इतना बदनाम हो गया है की उनको जान से मारने की धमकी बहुत से लोगों द्वारा और खुल्लेआम इनाम की घोषणा...
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प्रधानमंत्री जिसने पूरी दुनिया को एक मंच पर ला कर खड़ा कर दिया और देश का नाम रोशन किया। हमारे लिए तोह यही से अच्छे दिनों की शुरूवात है। चीजो को अच्छा होने मैं थोडा वक़्त जरूर लगेगा, साथ देंगे तोह वक़्त कम लगेगा पर अच्छा वक़्त आएगा जरूर। यह एक भरोसा है देश के प्रधानमंत्री पर
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किसी भी धूर्त, सेकुलर सूअर ने निर्भया के बलात्कारी के रिहाई के खिलाफ अपना एवार्ड नही लौटाया ...
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रसूल की शान मे  गुस्ताखी...गन्दी मानसिकता,

 माफ़ नहीं करेगा मुस्लिम समुदाय

संभल (आर के त्यागी)ः
हिन्दू महासभा के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की गंदी मानसिकता है।  पैगम्बर इस्लाम की शान मे की गई गुस्ताखी के विरोध मे आयोजित विशाल हुजूम को बडी मस्जिद कुरेशियान मौहल्ले में सम्बोधित करते हुये शहर मुफती कारी आले नवी ने कहा कि रसूल की शान मे जो गुस्ताखी की गई है।  उन्होने सरकार की ओर से की गई कार्यवाही पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि सरकार ने आरोपी कमलेश तिवारी के खिलाफ मुकददमा दर्ज की जेल भेज देने की मांग की। नगर मुफती ने कहा कि देश का मुसलमान अमन और शान्ति के साथ रहना चाहता है लेकिन कुछ अमन के दुश्मन लोग एकता व भाई चारे को देखना नही चाहते है।
 इस तरह के बयान देकर न केवल मुसलमानो को आहत कर जज्बातों को भडका कर देश के अमन को खतरा पहुंचाने का प्रयास कर रहे है। एैसे लोग देश के लिये खतरा बन रहे है। उन्होने सरकार से इस तरह के सगंठनो पर प्रतिबन्ध लगाने के साथ विवाद पैदा कराने के कुचकं रच रहे लोगोे के खिलाफ सख्त कार्रवाई किये जाने हेतू उपजिलाधिकारी अमित कुमार को ज्ञापन सौप कर मांग की है।
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अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया, पिछले तीन साल में फोर्ड फाउंडेशन से 400,000 डॉलर प्राप्त किया गया है - अरुंधति राय
सीएनएन आईबीएन कार्यकर्ता अरुंधति रॉय के साथ एक विशेष साक्षात्कार में अन्ना हजारे  जनता के संत के रूप में खड़ा था, भले ही वह भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन आंदोलन के चालक नहीं था एक 'गांधीवादी तख्तापलट' के रूप में अन्ना के आंदोलन करार दिया था,। , वह वास्तव में भारत में अंतरराष्ट्रीय पूंजी की पहुंच बढ़ाने के लिए बहुराष्ट्रीय निगमों का एक एजेंडा है।










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