Monday 12 October 2015

डियर Shobhaa De आंटी...
आपका कहना हैं की "मांस तो मांस होता है, चाहे गाय का हो या बकरे का ? फिर हिन्दू जानवरों के प्रति अलग-अलग व्यवहार करके क्यों ढोंग करते है की बकरा काटो पर गाय मत काटो, ये मूर्खता है की नहीं "
तो डियर अशोभा सुन मर्द तो मर्द होता है, चाहे भाई हो या पति, या बेटा... फिर तीनो के साथ आप अलग-अलग व्यवहार क्यों करती है ? क्या संतान पैदा करने के लिए पति जरुरी है ? भाई के साथ भी वही व्यवहार लिया जा सकता है जो आप पति के साथ करती है, ये आप की मूर्खता है की नहीं ?
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यहाँ प्रश्न मांस का नहीं आस्था और भावना का है जिस तरह भाई पति, और बेटा का सम्बन्ध भावना और आस्था के आधार पर चलता है, उसी प्रकार गाय, बकरे या कोई पशु भी हमारे भावना का आधार पर व्यवहृत होता है ॥

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