Thursday 8 October 2015

पैगम्बर जिस स्थान पर 28 साल तक रहा अरब सरकार ने उस मस्जिद को नेस्तनाबूद कर दिया
यह बात बड़ी हैरत में डालती है कि जो लोग मस्जिद तो दूर एक कब्र के टूट जाने पर हमारे 
े यहां चीख-पुकार मचा देते हैं, किसी मस्जिद या दरगाह पर कोई गुलाल डाल दे तो उनका इस्लाम "खतरे में" पड़ जाता है। वही लोग इस्लाम के संस्थापक हजरत मोहम्मद पैमम्बर के घर पर बुलडोजर चलने पर मुंह पर ताला लगा लेते हैं।
 क्या सऊदी राजा से मुसलमान इतने भयभीत हैं या फिर सऊदी का पेट्रो डालर इतना चमकदार है कि उसकी चकाचौंध में न तो इस्लाम याद रहता है और न ही पैगम्बर हजरत मोहम्मद ?
 जिन यहूदियों और ईसाइयों को मुसलमान गाली देते नहीं थकते उन्होंने "क्रूसेड" में भी मोहम्मद और इस्लाम का वैसा अपमान नहीं किया होगा जैसा स्वयं काबे का संरक्षक और सेवक (खादेमुल हरमेन) कहलाने वाले सऊदी राजा के परिवार ने किया है। 
मक्का स्थित हजरत मोहम्मद पैगम्बर का जिस घर में जन्म हुआ था, उस घर को ही इस बार सऊदी राजा ने बुलडोजर से ध्वस्त करा दिया। लेकिन बात-बात पर मुसलमानों के लिए आंसू बहाने वाले भारत के सेकुलर नेता, हमारे समाजवादी और साम्यवादी, जो मुसलमानों के लिए पलक पांवड़े बिछाने का दावा करते हैं, वे भी सऊदी अरब की इस घटना पर चुप रहे। क्यों? क्योंकि मामला किसी पराए देश में हस्तक्षेप करने का था? अयोध्या में जो घटना घटी थी उस पर तो अब तक विलाप जारी है, लेकिन मुसलमानों के ये तथाकथित समर्थक मोहम्मद के घर पर बुलडोजर चलने पर चुप्पी साधे हुए हैं, भला क्यों?

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