Sunday 6 September 2015



 अजेय सिंह चौहान

इस फ़ोटो के वायरल होने से कुछ बदलने वाला है ??
क्या कुर्द और यज़्दीयों को ये अहसास है कि लड़ने की जगह वो सीरिया से भाग कर कितना गलत कर रहे हैं !
क्या धर्म किसी की पहचान होता है ? पूरा चाइना और जापान और कई देश बौध धर्म-पंत के अनुयायी हैं और बौध धर्म बिहार से फैला तो क्या सभी जापानी और चीनी बिहारी हो जाएँ ! अपनी सभ्यता, संस्कृति और समाज हमेशा किसी धर्म-पंत से बड़ा और महत्वपूर्ण होता है क्योंकि ये वृक्ष और शाखा हैं जिनके हम फल हैं ! और चीनी और जापानी इस बात को अच्छे से समझते और पालन करते हैं !
वैसे बौध धर्म-पंत ऐसी गलत बातें सिखाता भी नहीं है ! धर्म-पंत ईश्वर को समझने/पाने के रास्ते मात्र हैं और जब रास्ता गलत लगने लगे तो उसे बदलने देर नहीं करनी चाहिए !
दुनिया में अपने परिवार, समाज और राष्ट्र से अधिक महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं और अपना कर्म ईश्वर को पाने का ही मार्ग है क्योंकि ईश्वर ने आपको वही करने के लिए बनाया है, ना कि उसकी भक्ति ईबादत करने के लिए !
अगर आप अपना कर्म जो की परिवार को पालना, समाज में योगदान देना और राष्ट्र को मजबूत करना है, छोड़ कर ईश्वर को जानने में और उसकी भक्ति में लगते हैं तो आप ईश्वर के लिए बेकार हैं ! ठीक उसी प्रकार जैसे कारखाने में घूमने लिए बना पंखा घूमने की जगह आवाजें निकालने लगे तो उसे गलत/बेकार उत्पाद मान कर कबाड़ में फेंक दिया जाता है !

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