Tuesday 11 August 2015

इसमें कोई शक नहीं कि मीडिया को चलाने के पीछे अंडरवर्ल्ड और विदेशी ताकतें हो सकती हैं : Zee News on 8th Aug.
ऐसी मीडिया पर बैन ज़रूरी है.. अगर ये मोदी जी नहीं कर सकते, तो मेरे ख़याल से आगे इसे कोई नहीं करेगा:- डॉ.सुभाष चंद्रा, ज़ी न्यूज़
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 देखिये देश की मिडिया किस तरह भारत विरोधी गतिविधियों में लगी हुई है .
कुछ दिन पहले कश्मीर में जो आतंकवादी जिन्दा पकड़ा गया था ,उसे पकड़ने में दो युवको ने जान की बाजी लगा दी है .
उन दोनों युवको की पहचान मिडिया किस सफाई से जग जाहिर कर रही है ,उनके नाम उनके एड्रेस सभी कुछ जाहिर करके उन्हें आतंकवादियों के निशाने पर ला रही है ,ताकि इन दोनों युवको को आसानी से आतंकवादियों के हाथो मरवाया जाए और भविष्य में कोई भी युवक आतंक वादियो को पकड़ने का साहस न कर पाए .
उसी तरह २६/११ के बम्बई हमलों के दरमियाँ यही मिडिया पाकिस्तानी आतंकवादीओ के एजेंट की तरह काम करते हुए पाकिस्तानियो को हर वो जानकारी टीवी के माध्यम से देती रही ताकि उन्हें भारतीय कमांडो को मारना आसान हो जाए .
गोधरा कांड के समय आज तक चेनल ने किस सफाई से सूरत गुजरात में दंगा फैलाया था उसका उदाहरण मै दे रहा हू ,सूरत शहर जो गुजरात की आर्थिक राजधानी है वहा गोधरा कांड के बाद शान्ति थी ,
आज तक ने एक समाचार प्रसारित किया की "सूरत में सिर्फ ३००० पुलिस कर्मी है, ये संख्या ४० लाख की आबादी के लिए बहुत कम है,और यदि यहाँ दंगा भडक जाए तो प्रशासन उसे रोक नहीं पायेगा " जैसे ही ये समाचार प्रसारित हुआ दंगाईयो को मालूम पड़ गया की हमें रोकने वाला कोई नहीं है ,और उसके बाद सूरत हफ्ते भर तक जलता रहा ,सैकडो लोग मारे गए,
याकूब मेनन के फ़ासी रोकने की कोशिश में सबसे बड़ी भूमिका न्यूज चेनल का ही है जिसके कारण पहली बार सुप्रीम कोर्ट रात भर क्रियाशील रहा .
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चलो मान लिया कि आंतकवाद का कोई धर्म नही होता......अब आपको भी मानना पड़ेगा कि ,रामपाल ,राधे माँ जैसो का भी धर्म नही होता.....अगर आप आंतकवाद को इस्लाम से नही जोड़ सकते....तो इन ढोंगियों को भी हिंदुत्व से जोड़ने का आपको कोई अधिकार नही है ।वेटिकन सिटी में मशहूर ईसाई संत ठीक इन्ही संतो के जैसे ऐश और आराम में रहते है। और पांच सितारा होटलो से भी सुन्दर महलो में रहते है। जबकि ईशा मशीह ने अपनि पूरी जिंदगी साधारण रूप से ही काटी थी फिर भी ये ईसाइयो के संत कहलाते है। मुस्लिमो के संत बुखारी साहब का रहन सहन भी देख लीजिये। 
तो ये मात्र हिन्दू धर्म में ही नहीं सभी धर्मो में है
‪#‎कुलदीपबिशनोई‬
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"अहिंसा किसी व्यक्ति की व्यतिगत पॉलिसी हो सकती है..एक राष्ट्र की नहीं "- अजित डोभाल (NSA)
पीढ़ी दर पीढ़ी अहिंसा का पाठ पढ़ाकर निष्क्रिय और कायर बनाने वाली गाँधीवादी नीती अब
बदलनी ही होगी ।वर्ना हिंसक समुदाय अहिंसको का सहज ही भक्षण कर लेंगे ।
राम चरित मानस में कहा गया है कि:-
'सठ सन बिनय कुटिल सन प्रीती। सहज कृपन सन सुंदर नीती।।
ममता रत सन ग्यान कहानी। अति लोभी सन बिरति बखानी।।
क्रोधिहि सम कामिहि हरि कथा। ऊसर बीज बएँ फल जथा।। अर्थात मूर्ख से विनय, कुटिल के साथ प्रीति, कंजूस से उदारता की बात, ममता में डूबे व्यक्ति से ज्ञान की ,लोभी से वैराग्य का वर्णन,क्रोधी से शान्ति की बात और कामी से भगवान की कथा, इनका फल वैसा ही व्यर्थ होता है जैसा ऊसर में बीज बोने से होता है।।





देवघर जेल में बनता है भोले का 'पुष्प नाग मुकुट'
 द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक झारखंड के देवघर यानी बाबा बैद्यनाथ धाम में स्थित शिवलिंग पर श्रृंगार पूजा में सजने वाला 'पुष्प नाग मुकुट' यहां की जेल में ही तैयार किया जाता है।
कामना लिंग के नाम से विश्व प्रसिद्ध बाबा नागेश्वर के सिर पर श्रृंगार पूजा के समय प्रतिदिन फूलों और बेलपत्र से तैयार किया हुआ 'नाग मुकुट' पहनाया जाता है। यह नाग मुकुट देवघर की जेल में कैदियों द्वारा तैयार किया जाता है। इस पुरानी परंपरा का निर्वहन आज भी कैदी बड़े उल्लास से करते हैं। "यह पुरानी परंपरा है। कहा जाता है कि वर्षो पहले एक अंग्रेज जेलर था। उसके पुत्र की अचानक तबीयत बहुत खराब हो गई। उसकी हालत बिगड़ती देख लोगों ने जेलर को बाबा के मंदिर में 'नाग मुकुट' चढ़ाने की सलाह दी। जेलर ने लोगों के कहे अनुसार ऐसा ही किया और उनका पुत्र ठीक हो गया। तभी से यहां यह परंपरा बन गई।"जेल के अंदर इस मुकुट को तैयार करने के लिए एक विशेष कक्ष है, जिसे लोग 'बाबा कक्ष' कहते हैं। यहां पर एक शिवालय भी है।
देवघर के जेल अधीक्षक आशुतोष कुमार बताते हैं कि यहां मुकुट बनाने के लिए कैदियों की दिलचस्पी देखते बनती है। मुकुट बनाने के लिए कैदियों को समूहों में बांट दिया जाता है। प्रतिदिन कैदियों को बाहर से फूल और बेलपत्र उपलब्ध करा दिया जाता है। कैदी उपवास रखकर बाबा कक्ष में नाग मुकुट का निर्माण करते हैं  फिर जेल के बाहर बने शिवालय में मुकुट की पूजा होती है। इसके बाद कोई जेलकर्मी इस नाग मुकुट को कंधे पर उठाकर 'बम भोले, बम भोले', 'बोलबम-बोलबम' बोलता हुआ इसे बाबा के मंदिर तक पहुंचाता है।
 कैदियों का कहना है कि बाबा की इसी बहाने वह सेवा करते हैं, जिससे उन्हें काफी सुकून मिलता है। शिवरात्रि को छोड़कर वर्ष के सभी दिन श्रृंगार पूजा के समय नाग मुकुट सजाया जाता है। शिवरात्रि के दिन भोले बाबा का विवाह होता है। इस कारण यह मुकुट बाबा बासुकीनाथ मंदिर भेज दिया जाता है।
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