Sunday 16 August 2015


नाथूराम गोड़से जी ......
द्वारा अदालत में दिए बयान के मुख्य अंश.....
मेने गांधी को नहीं मारा
मेने गांधी का वध किया हे
गांधी वध
वो मेरे दुश्मन नहीं थे परन्तु उनके निर्णय राष्ट्र के लिए घातक साबित हो रहे थे
जब व्यक्ति के पास कोई रास्ता न बचे तब वह मज़बूरी में सही कार्य के लिए गलत रास्ता अपनाता हे
मुस्लिम लीग और पाकिस्तान निर्माण की गलत निति के प्रति गांधीजी की सकारात्मक प्रतिक्रिया ने ही मुझे मजबूर किया
पाकिस्तान को 55 करोड़ का भुकतान करने की गैरवाजिब मांग को लेकर गांधी जी अनशन पर बेठे
बटवारे में पाकिस्तान से आ रहे हिन्दुओ की आपबीती और दूरदशा ने मुझे हिला के रख दिया था
अखंड हिन्दू राष्ट्र गांधी जी के कारण मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेक रहा था
बेटो के सामने माँ का खंडित होकर टुकड़ो में बटना
विभाजित होना असहनीय था
अपनी ही धरती पर हम परदेशी बन गए थे
मुस्लिम लीग की सारी गलत मांगो को गांधी जी मानते जा रहे थे
मेने ये निर्णय किया के भारत माँ को अब और विखंडित और दयनीय स्थिति में नहीं होने देना हे तो मुझे गांधी को मारना ही होगा
और मेने इसलिए गांधी को मारा.....
मुझे पता हे इसके लिए मुझे फ़ासी होगी
में इसके लिए भी तैयार हु
और हा यदि मातृभूमि की रक्षा करना अपराध हे तो में यह अपराध बार बार करूँगा
हर बार करूँगा
और जब तक सिन्ध नदी पुनः अखंड हिन्द में न बहने लगे तब तक मेरी अस्थियो का विसर्जन नहीं करना
मुझे फ़ासी देते वक्त मेरे एक हाथ में केसरिया ध्वज
और दूसरे हाथ में अखंड भारत का नक्शा हो
में फ़ासी चढ़ते वक्त अखंड भारत की जय जय बोलना चाहूँगा
हे भारत माँ
मुझे दुःख हे में तेरी इतनी ही सेवा कर पाया....
नाथूराम गोडसे

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