Thursday 13 August 2015


ललित मोदी की मदद को लेकर कांग्रेस के हमलों का सामना कर रहीं सुषमा ने आदिल शहरयार, वारेन एंडरसन और क्वात्रोच्चि का मामला उठाकर विपक्षी दल को बैकफुट पर धकेल दिया है।
एंडरसन भोपाल गैस कांड के समय यूनियन कार्बाइड का अध्यक्ष था, तो क्वात्रोच्चि का नाम बोफोर्स घोटाले में उछला था।
आदिल शहरयार का मामला गंभीर होते हुए भी कम चर्चित रहा है। आखिर कौन था आदिल?यह आदिल शहरयार कौन हैं जिसके लिए राजीव गांधी ने हजारों मौतों के जिम्मेदार वॉरेन एंडरसन को राष्ट्रपति से चाय पिलवाकर देश से रुखसत किया था?
ये आदिल शहरयार इंदिरा गांधी के निजी सहायक रहे मोहम्मद युनुस के बेटे थे और उनका लालन पालन इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे की तरह ही हुआ था, शहरयार अमेरिका गया लेकिन वहां जाकर वह अपराध जगत का हिस्सा बन गया, 30 अगस्त 1981 को आदिल मियामी के एक होटल में पकड़ा गया था, उसके ऊपर आगजनी में शामिल होने का आरोप था, पकड़े जाने पर जब अमेरिकी प्रशासन ने आदिल के बारे में छानबीन शुरू की तो पता चला कि वह ड्रग रैकेट का हिस्सा है उसके कई और अपराध सामने आये और अमेरिका न्यायालय ने उसे खतरनाक मुजरिम की श्रेणी में रखा और 35 साल की सजा सुनाई गयी!
आदिल की रिहाई की सारी कोशिशें क्यों हो रही थीं यह भी छिपी हुई बात नहीं है, भारत का तत्कालीन प्रधानमंत्री कार्यालय इस काम के लिए सक्रिय था, इसी घटनाक्रम के तहत मोहम्मद युनुस के इंदिरा गांधी पर प्रभाव का भी खुलासा हुआ, रोनाल्ड रीगन के नाम पर आदिल की रिहाई की कोशिश करनेवालों ने इंदिरा और युनुस के गहरे पारिवारिक रिश्तों का वास्ता भी दिया था फिर भी बात नहीं बनी लेकिन भोपाल गैस त्रासदी ने राजीव गांधी को मौका दे दिया कि वे आदिल शहरयार को सकुशल भारत वापस ला सके!
भोपाल गैस काण्ड के बाद एंडरसन की भारत से सकुशल विदाई की बात पर राजीव गांधी प्रशासन की ओर से आदिल के रिहाई की शर्त रखी गयी उस समय के "ईमानदार अफसर और कांग्रेसी नेता" भी इस बात से इंकार नहीं करेंगे कि एंडरसन के बदले अमेरिका प्रशासन से एक सौदा हुआ था {Quid pro quo यानि "something for something" means an exchange of goods or services, where one transfer is contingent upon the other.}
इस सौदे से जुड़े दस्तावेज अब कोई क्लासीफाइड डाक्युमेन्ट नहीं हैं, तीन तस्वीरें इस पोस्ट के साथ संलग्न है जिनमें से एक अमेरिकन डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस का है।
CIA की एक रिपोर्ट से उजागर हुआ है कि 26 साल पहले भारत सरकार ने एंडरसन के बदले में आदिल शहरयार को वापस मांगा था यह रिपोर्ट 2002 में डिक्लासीफाईड की जा चुकी है सीआईए की ही रिपोर्ट में यह खुलासा भी होता है कि मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह दिल्ली के आदेशों का पालन कर रहे थे इस खुलासे के बाद ही कांग्रेस नेतृत्व सक्रिय हुआ और उसने लीपापोती शुरू कर दी साफ है दस जनपथ से जुड़े दशानन किसी भी सूरत में राजीव गांधी का नाम बदनाम नहीं होने देना चाहते हैं!
अब कांग्रेसी लीपापोती और सुलह सफाई एक तरफ फेंकिये जबकि दूसरी तरफ खुद अमेरिकी प्रशासन से जुड़े लोगों के खुलासे हैं जो बताते हैं कि आदिल शहरयार के बदले में एंडरसन को छोड़ा गया था, अमेरिकी मिशन के पूर्व उपाध्यक्ष गार्डन स्ट्रीब ने भी दावा किया है कि एंडरसन को एक समझौते के भारत ने वापस भेजा था यह समझौता क्या था?
अगर ये तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमंत्री राजीव गांधी की अवैध कारगुजारियों के फलस्वरूप आदिल शहरयार की रिहाई से जुड़ा मामला नहीं है तो क्या सोनिया गांधी, राहुल गांधी और हालिया 'खुलासा किंग' जयराम रमेश उन कारणों का खुलासा करेंगे जो राजीव गांधी को सीधे सीधे इस पूरे मामले में दोषी करार दे रहे हैं?
--आदिल शहरयार, इंदिरा गांधी के निजी सहायक व स्पेन में भारत के राजदूत रहे मुहम्मद यूनुस का पुत्र और राजीव गांधी के बचपन का मित्र था।आदिल के पिता युनूस ने संजय की शादी अपने घर से कारवाई थी । घर की पेंटिंग और सजावट कर सारा खर्च उसे ही किया था। कैथरीन फ्रेंक ने अपनी किताब मे दावा क्या है की आदिल गाड़ी चुराते , घूमते और दिल्ली मे छोड़ देते थे ।
--वह अमेरिका गया, लेकिन वहां जाकर अपराध जगत का हिस्सा बन गया। 30 अगस्त, 1981 को उसे मियामी में गिरफ्तार किया गया था।
--उस पर आगजनी में शामिल होने का आरोप था। अमेरिकी प्रशासन ने छानबीन शुरू की तो पता चला कि वह ड्रग रैकेट का हिस्सा है।
--उसके कई और अपराध सामने आए। अमेरिकी अदालत ने उसे खतरनाक मुजरिम की श्रेणी में रखा और 35 साल की सजा सुनाई।
--इसके बाद भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय के स्तर से आदिल को रिहा कराने का प्रयास शुरू हुआ। लेकिन अमेरिका इसके लिए तैयार नहीं हुआ।
--भोपाल गैस कांड के बाद अमेरिका ने एंडरसन को ले जाने का प्रयास शुरू किया, तो राजीव सरकार ने आदिल की रिहाई की शर्त रख दी।
--11 जून, 1985 को राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने आदिल को क्षमादान दे दिया। इसी दिन राजीव गांधी पहली राजकीय यात्रा पर वाशिंगटन पहुंचे थे।
राजीव गांधी का पत्र आदिल शहरयार के मामले में बीच बचाव से साफ इनकार करता है लेकिन सवाल यह कि क्या उनके दोस्त आदिल को सजा गलत हुई थी? आदिल प्रेसिडेंसियल क्लिमेसी का चुनीव भी जीत चुके थें.
आदिल के पिता मोहम्मद युनूस के इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के साथ अच्छे रिश्ते थे. ऐसा माना जा रहा है कि इसलिए राजीव ने आदिल की मदद की होगी. राजीव ने व्यक्तिगत स्तर पर रोनाल्ड रीगन से आदिल की मदद की गुहार की थी. आदिल को फ्लोरिडा में बम ब्लास्ट के जुर्म में 35 साल कारावस की सजा सुनाई गई थी.
15 अगस्त 1985 में न्यूयॉर्क टाईम्स में छपी एक खबर के मुताबिक रीगन ने 11 जून को क्लिमेसी पेपर पर साइन कर दिया था उसी दिन राजीव गांधी वाशिंगटन पहुंचे थें.

इरविन और वारेन वीयर ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जिस तरह प्रसिडेंट के और भी पेपर वाइट हाउस द्वारा पब्लिश नहीं होते ठीक उसी तरह यह क्लिमेसी पेपर भी पब्लिश नहीं हुआ जिसे प्रेस में दिया गया. पूरा मामला यह है कि यह घटना रिकॉर्ड में क्यों नहीं है? शहरयार के कम्यूटेशन के मार्फत यह सूचना भारतीय प्रेस को मिली थी जिसकी पुष्टि वाइट हाउस प्रेस ऑफिस ने की थी. जिस पर टिप्पणी के लिए उसे न्याय विभाग को भेजा गया था.
विभागीय प्रवक्ता जोसेफ क्रेविस्की ने कहा था कि उन्होंने किसी भी काम के लिए ऑफिसियल मर्यादाओं को नहीं लांघा, शहरयार उस वक्त फेडरल जेल में थे. वह 1991 से पहले पेरोल के लिए योग्य ही नहीं था. सारे मापदंड पूर्ण न्याय के मध्य नजर बनाए गए थे. आदिल शहरयार अपनी गलती की सजा भुगत रहा था.
एक भारतीय एबराड न्यूज पेपर के मुताबिक राजीव गांधी ने आदिल के मामले में लिप्त होने के सवाल पर कुछ पूछने से इंकार किया था. उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है की वह गलत तरीके के कैद में थें. खराब स्वास्थ के कारण आदिल के ज्यादा दिन तक जिंदा रहने की उम्मीद नहीं है.
आदिव के पिता युनूस अंबेसडर के रुप में तुर्की, इराक और स्पेन में काम कर चुके थें और मिनिस्टर ऑफ कॉमर्स में एक सेक्रेटरी के रूप मे कार्य करते हुए सेवानिवृत्त हुए.
द लाइफ ऑफ इंदरा नेहरू गांधी वायोग्राफि में फ्रेंक ने बताया कि आदिल ज्योराइड्स के लिए स्टील कार का इस्तेमाल करते थें जिसे दिल्ली में उन्होंने छोड़ दिया. इन सब आरोपों से युनूस ने इंकार किया है. आदिल संजय गांधी के बचपन के दोस्तों में से हैं.
युनूस की 2001 में मौत हो गई. 1990 में युनूस की सोनिया से तकरार हो गई थी तब युनूस ने कहा था, ''राजीव की विधवा अगर राजनीति में न होती तो आज सड़कों पर भीख मांग रहीं होती.''
अपने बारे में युनूस के बयान को लेकर सोनिया ने अपने करीबी वी.जॉर्ज से इस मामले में पूछताछ भी की थी. जुल्म के शिकार हो चुके युनूस ने सोनिया को जबाव में कहा कि नौकर नौकर ही होता है.

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