Friday 14 August 2015


नेपाल के मुसलमानो को ऐसा क्यों लग रहा है ?........
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नेपाल के कुछ मुस्लिमों ने मांग उठाई है कि नेपाल को फिर से हिन्दू राज्य घोषित किया जाए क्योंकि हिन्दू राज्य में ही सबके मज़हब सुरक्षित रह सकते हैं। इस पर चर्चा होनी चाहिए कि नेपाल के मुसलमानो को ऐसा क्यों लग रहा है ?
पिछले एक हज़ार साल का अनुभव नेपाल के मुस्लिमों की इस मांग का कारण बतलाता है। 
दुनिया में जब कभी ईसाइयत या इस्लाम के नाम पर देश बने उन्होंने दूसरों पर अत्याचार किये। ईरान में कभी पारसी रहा करते थे। 637 ईसवी में वहाँ अरबों का आक्रमण हुआ और इस्लाम स्वीकार न करने वाले पारसियों को ईरान छोड़कर भारत आना पड़ा। वो यहां आकर आराम से रहे। आज दुनिया उन्हें टाटा और गोदरेज के नाम से जानती है। यहूदियों को सारी दुनिया में सताया गया। ईसाई शासकों ने उन पर अत्याचार किये। लेकिन जिन यहूदियों ने भारत में शरण ली वो आज तक आराम से हैं। इजराइल इसीलिए भारत को बहुत मान देता है।
पहले -पहल भारत आने वाले मुस्लिम और ईसाई व्यापारियों को हिन्दू शासकों ने मस्जिद और चर्च बनाने की अनुमति दी। सहायता भी की।
लेकिन जब गोवा में पुर्तगालियों का कब्ज़ा हो गया तो वहाँ इंक़्वीजीशन क़ानून लागू हो गया। लागू करवाने वाला सेंट ज़ेवियर था जिसके नाम पर मिशनरियों ने सारे देश में स्कूल कॉलेज बनाये है। इस कुख्यात क़ानून में किसी भी व्यक्ति को हिन्दू परम्पराओं का पालन करने पर कठोर सज़ा /यातनाएं दी जाती थीं। इसी तरह, औरंगज़ेब, अलाउद्दीन ख़िलजी, तैमूर लंग. मुहम्मद गौरी , महमूद गज़नबी , बाबर, अब्दाली, नादिर शाह आदि ने इस देश के हिन्दुओं के साथ क्या किया है दुनिया जानती है।
आज भी हिन्दू आबादी के बीच रहने वाले मुस्लिमों या ईसाईयों को कोई दिक्कत नहीं होती।
ये हिन्दू संस्कार है, भारत में सब शांति से रह रहे हैं। विडम्बना ये है कि भारत में सेकुलरिज्म के नाम पर हिन्दुओं की ही खटिया खड़ी की जाती है और हिंदुत्व का भय दिखलाया जाता है। नेपाल के मुसलमानो ने हिन्दू राज्य को देखा है और उन्हें ये भी समझ आ गया है कि यदि कम्युनिस्टों के हाथ में सत्ता आ गयी तो नेपाल में इस्लाम पर भी चोट होगी। वो देख ही रहे हैं कि कम्युनिस्ट चीन में मुस्लिमों के क्या हाल हैं। इसलिए वो हिन्दू राज्य की मांग उठा रहे हैं। क्या भारत इससे सबक लेगा ???

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