Tuesday 11 August 2015

सिख धर्म और ख़ालसा पंत ने खड़ी की थी देश को बचाने के लिए सेना

श्री गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज ने समय की मांग को समझते हुए लोगों को समझाया की अहिंसा तभी संभव है जब हिंसक काबू में हों ! अन्यायी और अधर्मियों से लड़ना और उन्हें मारना हिंसा की श्रेणी में नहीं आता ये भारतीय ग्रन्थ कहते हैं !
गुरु के कहे में चलने वाले और उनसे सीख लेने वाले सिख लोग कहलाये और सिखों- हिन्दुओं को लेकर गुरु देव ने खालसा सेना बनाई जो मुस्लिम आक्रमणकारी और हिंसक मुग़ल सत्ता से लड़ने के लिए बनी थी !
सरदार 
पहले सेना का सरदार पकड़ा जाता था तो सेना युद्ध हार जाती थी इसलिए गुरु जी ने सभी को सरदार जैसा रूप देने के लिए के लिए पगड़ी और पांच कक्केर जिसमें कड़ा और कृपाण शामिल है, १६९९ की बैसाखी को पहनना अनिवार्य घोषित कर दिया ! इससे बहुत लाभ हुआ और लोगों में भेदभाव कम हुआ और आक्रमणकारियों और मुस्लिम लूटेरों के खिलाफ साथ लड़ने की भावना जागी और मुठ्ठी भर सिख कई बार दुश्मन पर भरी पड़े 
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एक बार एक अजनबी ने एक आठ साल की लड़की से कहा की बेटा तुम मेरे साथ चलो I तुम्हारी मम्मी ने तुम्हे बुलाया है और उन्होंने मुझे तुम्हे लेने के लिए भेजा है I लड़की ने कहा ; ठीक है मै आपके साथ चलूंगी I मेरी माँ ने आपको एक पासवर्ड बताया होगा , जो उन्हें और मुझे ही पता है I आप पहले वह पासवर्ड मुझे बताए I अजनबी सकपका गया और वहा से खिसक लिया I
 दरअसल इस बच्ची और उसकी माँ ने आपस में तय किया हुआ था की अगर कभी बच्ची को लेने किसी अजनबी को भेजने की नौबत आई तो माँ उसे पासवर्ड बताएगी और बच्ची भी उस पासवर्ड को जान लेने के बाद ही उस अजनबी के साथ आएगी Iदेखा न कितना आसान सा तरीका है बच्चो को किसी दुर्घटना से बचाने का I
 आप भी अपने बच्चो के साथ ऐसा ही पासवर्ड तय कर सकते है....!!!
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शब्द व्यक्ति की अभिव्यक्ति है
एक दिन एक राजा अपने मंत्री और नौकर के साथ शिकार खेलने के लिए गये .सयोंगवस तीनो भटक गये .रास्ते में एक अँधा फकीर बैठा माला जप रहा था .नौकर फकीर के पास पंहुचा और बोला ,''अबे वो अंधे इधर से कोई सवार तो नहीं गुज़रा है ?'' फकीर ने कहा मुझे मालूम नहीं .मंत्री जो फकीर को देखकर कहने लगा ,''वो फकीर इधर से कोई आदमी गया है ''......फकीर ने कहा ,जी हा अभी बादशाह का नौकर गया है .कुछ समय बाद राजा भटकता हुआ आया और बोला ,'''सूरदास जी ,कृपया या बताये की इधर से कोई आदमी तो नहीं गुजरा है .''फकीर ने जवाब दिया ,अन्नदाता ,पहले नौकर आया और फिर वजीर और अब आप तसरीफ लाये है ..

..तीनो मिले तो आश्चर्य की अँधा आदमी ने विभिन्न व्यक्तियों -----को केसे पहचान लिया ?''तीनो फकीर के पास पहुचे ,तो फकीर ने जवाब दिया ..''अन्नदाता ,आदमी बातचीत से पहचाना जाता है .मेने तीनो को बातो से पहचान लिया ,क्योंकि -'''शब्द व्यक्तित्व को अभिव्यक्त करता है'' 
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विष्णुकी लगभग 4 सहस्र वर्ष पूर्व
की मूर्ति मिली है । यह मूर्ति दक्षिण वियतनामके मेकोंग
नदीके त्रिभुज (नदीका समुद्रमें मिलनेवाला प्रदेश) प्रदेशमें
मिली है । यह मूर्ति पत्थरकी है तथा श्री विष्णुके मस्तकके
स्वरूपमें है ।
कथित मूर्ति विश्व के वैदिक संस्कृतिका सबसे प्राचीन
अवशेष है । इससे अनुमान लगा सकते हैं कि वियतनाममें
प्राचीनकाल में वैष्णव संस्कृति का अस्तित्व होगा ।
डॉ.ए.पी. जोशी ने कहा कि इस घटना से स्पष्ट होता है
कि प्राचीनकाल में भारत की हिन्दू संस्कृति सर्वत्र फैली
हुई थी ।




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