Friday 21 August 2015

Farhana Taj के साथ Arya Kantilal
कुरान से मुक्ति की हकीकत पर शंका क्यों?
प्रस्तुति: फरहाना ताज (मधु धामा)
कमाल है अभी भी बहुत से लोग मानते हैं कि मेरी आईडी फेक है और फरहाना ताज या मधु धामा नामकी कोई औरत है ही नहीं....ऐसे लोगों को सचाई की तह तक पहुंचने के लिए मेरी आत्मकथा घर वापसी और वेदो में विज्ञान पुस्तक पढनी चाहिए।
मेरी पुस्तक का एक अंश-----
इसी दौरान हमारे घर अब्बा के एक मित्र स्वामी दयानंद की ‘नूर ए हक’ (सत्यार्थ प्रकाश) पुस्तक छोड़ गए। मैंने इस्लाम की धार्मिक पुस्तक समझकर उसे पढ़ना शुरू किया, लेकिन जब उसमें कुरान का खंडन पाया तो शुरू में बहुत क्रोध आया, परंतु फिर उसे कई बार पढ़ा, तो लगा कि इस पुस्तक में ठीक ही लिखा है और उसी पुस्तक से पता चला कि वेद ही खुदा की असली वाणी हैं, फिर मैंने वेदों का थोड़ा-थोड़ा अध्ययन किया तो मुझे उसे पढ़ने में कुरान की आयतों से अधिक आनंद आया और जब-जब पढ़ती थी, तब-तब मन को अद्भुत शांति मिलती थी। मेरा झुकाव वेदों की ओर होता चला गया और कुरान पीछे छुटती चली गई।
एक दिन कोर्ट परिसर में मुझे जोरदार चक्कर आया तो मेरे वो भागकर एक ऑटो लाए और मेरे अब्बा को धक्का देते हुए मुझे अस्पताल ले गए। मैं पेट से थी। खैर दिल को बहुत सुकून मिला कि इतनी दुश्मनी होते हुए भी मेरे वो मुझे कितना चाहते हैं, यही वह घटना थी, जिसने मेरा विचार बदल दिया और अगली ही तारीख़ में मैंने जज को कह दिया कि मैं अपने पति के साथ ही रहना चाहती हूँ। मुझे मजहब और धर्म नहीं चाहिए, मुझे तो मेरा पति चाहिए। मेरा परिवार चाहिए। मेरा पति ही मेरा परिवार है, मेरा पति ही मेरा ख़ुदा है, वही मेरा मजहब है। वे सही-सलामत रहेंगे तो धर्म तो अपने आप ही बन जाएगा, क्योंकि मैंने उनसे ही सीखा है कि प्रेम सबसे अच्छा मजहब है। मैं जानती हूँ कि अब हमें न मुसलमान अपनाएँगे और न ही हिन्दू, लेकिन हम तो अपना नया धर्म बना लेंगे। जो न हिन्दुओं का होगा, न मुसलमान का। जज ने मेरी बात मान ली और मुझे मेरे पति के साथ हमेशा-हमेशा रहने के लिए जाने का आदेश सुना दिया। उस दिन करवाचौथ की ईद थी, और मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया था। हम
सीधे घर न जाकर आर्य समाज मंदिर पहुँचे तो वहाँ कोई विशेष हवन चल रहा था और उसकी अंतिम आहुति दी जा रही थी:
ओम् सर्वं वै´ पूर्ण स्वाहा
हमने भी वह आहुति डाली और उसके बाद शांति पाठ करते हुए मन एवं हृदय को जो शांति मिली, ऐसी आज तक कभी महसूस नहीं की थी, पता नहीं शांतिपाठ के इन शब्दों में क्या रहस्य छिपा हुआ है, जिन्हें मैं नमाज के स्थान पर आज पाँच वक़्त उच्चारण करती हूँ, मेरी संध्या और मेरी नमाज यानी कि नमस (ईश्वर स्मरण) का स्थान परमेश्वर की इसी सबसे सुंदर वाणी शांति पाठ ने ले लिया है।---
मेरी पुस्तकें यदि कहीं बाजार में न मिले तो सीधे मुझसे ही मंगा सकते हैं।
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State:DELHI
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Branch:VIVEK VIHAR DELHI
Contact:011-23310210
IFSC Code:BARB0VIVEKV
MICR Code:110012149
में 350 Rs. जमा करा कर ईमेल farhnataj@gmail.com पर सूचना दें या फोन 7838103843 पर भी सूचित कर सकते हैं:
Note : फरहाना ताज का नाम घर वापसी के बाद मधु धामा है।
Note : घर वापसी हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू तीनो भाषाओ में है, स्पष्ट करें कि कौनसी भाषा की चाहिए, तीनो का मूल्य एक ही है 151 रुपए, वेदो में विज्ञान 151 और डाक खर्च 48 रुपए।

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