Thursday 13 August 2015

आदिल शहरयार इंदिरा गांधी परिवार के बहुत करीब था



कैसे कांग्रेस और गांधी परिवार ने 15000 लोगों के हत्यारे को बचाने के लिए सौदे किये यह जानने के लिए इस पोस्ट को पढ़िए सबूतो के साथ....
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सोनिया मोदी को मौत के सौदागर कहती थी। पर अब पता चला सोनिया गांधी और राजीव गांधी तो 15000 लोगो की हत्या का सौदा करके बैठे हैं।
राजीव गांधी ने किया था एंडरसन की रिहाई का सौदा. भोपाल गैस त्रासदी पर तत्कालीन भारत सरकार ने एक सौदा किया था. सौदा यह कि उसने एंडरसन को सकुशल जाने दिया बदले में अमेरिका ने 11 जून 1985 को आदिल सहरयार को छोड़ दिया था. क्या यह महज संयोग भर है कि जिस दिन आदिल शहरयार जेल से रिहा हुआ उसके अगले दिन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी अमेरिका में थे?
यह आदिल सहरयार कौन हैं जिनके लिए राजीव गांधी हजारों मौतों के जिम्मेदार एंडरसन को राष्ट्रपति से चाय पिलवाकर देश से रुखसत किया था? आदिल सहरयार इंदिरा गांधी के निजी सहायक रहे मोहम्मद युनुस का बेटा था. उनका लालन-पालन इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे की तरह ही हुआ था.
आदिल शहरयार इंदिरा गांधी परिवार के बहुत करीब था, जो मुहम्मद यूनुस का बेटा था। मुहम्मद यूनुस, राजीव गांधी और संजय गांधी दोनों का संरक्षक भी था और कहा तो यह भी जाता है कि वह संजय गांधी का असली पिता था।
सहरयार अमेरिका गया लेकिन वहां जाकर वह अपराध जगत का हिस्सा बन गया. 30 अगस्त 1981 को आदिल मियामी के एक होटल में पकड़ा गया था. उसके ऊपर आगजनी में शामिल होने का आरोप था. पकड़े जाने पर जब अमेरिकी प्रशासन ने आदिल के बारे में छानबीन शुरू की तो पता चला कि वह ड्रग रैकेट का हिस्सा है. उसके कई और अपराध सामने आये और अमेरिका न्यायालय ने उसे खतरनाक मुजरिम की श्रेणी में रखा और 35 साल की सजा सुनाई गयी.
सजा के बाद आदिल की ओर से न केवल न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की गयी बल्कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के एक समर्थक ने आदिल की रिहाई के लिए अमेरिका राष्ट्रपति पद का दुरुपयोग भी किया. उसकी कोशिश थी कि आदिल को मुक्त कराकर भारत भेज दिया जाए. लेकिन बात नहीं बनी. आदिल की रिहाई की सारी कोशिशें क्यों हो रही थीं यह भी छिपी हुई बात नहीं है. भारत का प्रधानमंत्री कार्यालय इस काम के लिए सक्रिय था.
इसी घटनाक्रम के तहत मोहम्मद युनुस के इंदिरा गांधी पर प्रभाव का भी खुलासा हुआ. रोनाल्ड रीगन के नाम पर आदिल की रिहाई की कोशिश करनेवालों ने इंदिरा और युनुस के गहरे पारिवारिक रिश्तों का वास्ता भी दिया था. फिर भी बात नहीं बनी. लेकिन भोपाल गैस त्रासदी ने राजीव गांधी को मौका दे दिया कि वे आदिल सहरयार को सकुशल भारत वापस ला सके.
भोपाल गैस काण्ड के बाद एंडरसन की भारत से सकुशल विदाई की बात पर राजीव गांधी प्रशासन की ओर से आदिल के रिहाई की शर्त रखी गयी. उस समय के ईमानदार अफसर और कांग्रेसी नेता भी इस बात से इंकार नहीं करेंगे कि एंडरसन के बदले अमेरिका प्रशासन से एक सौदा हुआ था. इस सौदे से जुड़े दस्तावेज अब कोई क्लासीफाइड डाक्युमेन्ट नहीं हैं. सीआईए की एक रिपोर्ट से उजागर हुआ है कि 26 साल पहले भारत सरकार ने एंडरसन के बदले में आदिल सहरयार को वापस मांगा था. यह रिपोर्ट 2002 में डिक्लासीफाईड की जा चुकी है. सीआईए की ही रिपोर्ट में यह खुलासा भी होता है कि मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह दिल्ली के आदेशों का पालन कर रहे थे.
खुद अमेरिकी प्रशासन से जुड़े लोगों के खुलासे हैं जो बताते हैं कि आदिल सहरयार के बदले में एंडरसन को छोड़ा गया था. अमेरिकी मिशन के पूर्व उपाध्यक्ष गार्डन स्ट्रीब ने भी दावा किया है कि एंडरसन को एक समझौते के तहत भारत ने वापस भेजा था.
6 अप्रैल 1982 को 'मायामी न्यूज' में एक खबर छपी जिसमे आदिल शहरयार जिसकी पहचान भारत सरकार में कैबिनेट रैंक के मंत्री के पुत्र के रूप में कि गयी थी के ऊपर $ 2,43,000 की एक धोखाधड़ी की मामले में मुकदमा चलाये जाने की बारे में थी।
17 अगस्त, न्यूयॉर्क टाइम्स ने खबर दी कि राजीव गांधी की 1985 की यात्रा की दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति रीगन ने उसी दिन, आदिल शहरयार जो कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बचपन के दोस्त की तरह जाना जाता था की सजा माफ़ कर दी। क्या यह महज संयोग भर था?
14 जून 2010 दिनांक बिजनेस लाइन में विस्तार से एक रिपोर्ट आई जिसमे आरोप लगाया गया था 1984 भोपाल आपदा में हत्या के आरोपी यूनियन कार्बाइड के सीईओ वॉरेन एंडरसन को रिहा कर राजीव गांधी आदिल शहरयार की रिहाई का सौदा कर अमेरिकी प्रशासन का एहसान चुकाना चाहते थे।
ज़ाहिर सी बात है राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनने की बाद यूनुस खान की तरफ से आदिल शहरयार की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सतत दबाव में रहे होंगे, भले ही इसके लिए राजीव को अपने पद का दुरूपयोग ही क्यों न करना पड़े और व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन से इस बारे में बात करनी पड़े।
तभी 3 दिसंबर 1984 को भोपाल त्रासदी हुई जिसने दुनिया को हिलाकर रख दिया। यह एक मौका था जहाँ राजीव ने सौदा कर डाला।
एंडरसन को वीआईपी सुविधाएँ दी गयी और 7 दिसंबर 1984 को देश से बाहर उड़ान भरने की अनुमति मिल गयी और बदले में आदिल शहरियारक को 11 जून 1985 पर "राज्य के कारणों के लिए" और "एक सद्भावना संकेत के रूप में" राष्ट्रपति रीगन की तरफ से क्षमादान दे दिए गया।
यह समझौता क्या था? अगर आदिल की रिहाई से जुड़ा कोई मामला नहीं है तो क्या हमारे पप्पू गांधी उन कारणों का खुलासा करेंगे जो राजीव गांधी और तात्कालिक कांग्रेस सरकार को सीधे-सीधे इस पूरे मामले में दोषी करार दे रहे हैं?

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Suresh Chiplunkar
अभी तक आदिल शहरयार का प्रेत सिर्फ सोशल मीडिया पर घूमता था...... सुषमा जी
ने बाकायदा "आधिकारिक रूप" से उसे संसद के रिकॉर्ड पर ला खड़ा किया है...
अब देखते हैं कितने जैश-ए-पत्रकारों" की टोली उर्फ खबरंडियाँ इस मुद्दे पर विस्तृत बहस
करती हैं...
Nation wants to know - मोहम्मद यूनुस खान कौन था??
Nation wants to know - आदिल शहरयार का राजीव से क्या रिश्ता था?
Nation wants to know - संजय गाँधी की मौत पर मोहम्मद यूनुस फूट-फूटकर क्यों रो
रहा था?
Nation wants to know - एंडरसन को तो राजीव गाँधी और अर्जुन सिंह ने देश से भागने
में मदद की... लेकिन दाऊद इब्राहीम को किसने भगाया ?
Nation wants to know - ललित मोदी तो UPA शासनकाल में भागा था, उसे भागने में
किसने मदद की??
ऐसी दर्जनों और भी बातें हैं जो हम तो सोशल मीडिया पर जानते हैं,
लेकिन Nation wants to know...





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