Tuesday 18 August 2015

सर्दी-जुकाम और बुखार में दवाइयां देना बंद करो

स्वदेशी की टीम के बाद अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी कहा सर्दी-जुकाम और बुखार में दवाइयां देना बंद करो।
स्वदेशी की टीम पहले से ही इन विदेशी दवाइयों के खिलाफ मुहीम चला रही है।
अपनी पिछली पोस्ट्स में हमने लोगों से अधिक से अधिक आयुर्वेदिक दवाइयां प्रयोग करने तथा अंग्रेजी दवाओं का बहिष्कार करने की अपील की थी।
अब IMA ने भी माना की छोटी बिमारियों में विदेशी एंटीबायोटिक्स फायदे से ज्यादा नुकसान करती है। तथा अब उन्होंने देशभर के डॉक्टरों से एंटीबायोटिक प्रेस्क्राइब नहीं करने की अपील की है।
आज तक के अनुसार देश में जिस तरह से ऐंटीबॉयोटिक्स का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है उससे चिंतित इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) अब एक नया अभियान चलाने जा रही है.
इस रविवार को संस्था देशभर के डॉक्टरों से कहेगी कि वे सर्दी-जुकाम और बुखार में दवाइयां देना बंद कर दें।
एक अंग्रेजी पत्र के मुताबिक आईएमए एक राष्ट्रीय जागरुकता कार्यक्रम चलाने जा रही है जिसके तहत डॉक्टरों से कहा जाएगा कि वे इन बीमारियों के लिए दवाएं नहीं लिखें।
दरअसल इन दवाओं के अंधाधुंध इस्तेमाल से ड्रग रेसिस्टेंस बढ़ता जा रहा है और दवाइयों का असर घटता जा रहा है।
संस्था के महासचिव डॉक्टर नरेन्दर सैनी ने कहा कि पिछले दो दशकों में किसी भी नए एंटीबॉयोटिक की खोज नहीं हुई है और बैक्टीरिया आम इस्तेमाल होने वाली दवाइयों के असर से मुक्त है।
यानी अब उस पर इन दवाइयों का असर नहीं पड़ता है।
हालात बिगड़ते जा रहे हैं और एक ऐसा दिन भी आएगा कि साधारण सा इंफेक्शन भी खतरनाक हो जाएगा।
अब आईएमए रविवार को जनरैली तथा लेक्चर देने की योजना बना रही है ताकि लोगों में जागृति पैदा हो और वे दवाओं के इस्तेमाल से बचें।
आईएमए के सदस्य देश भर के ढाई लाख डॉक्टर हैं।
कई शोधों से पता चला है कि देश में इस तरह की दवाइयों की अंधाधुंध बिक्री हो रही है। उनके बारे में लोगों को कोई भी जानकारी नहीं है। वे नहीं जानते कि एंटीबायोटिक दवाओं का कैसे इस्तेमाल किया जाये।
दुनिया में सबसे ज्यादा एंटीबॉयोटिक दवाएं भारत में बिकती हैं और उसके दुष्परिणाम अब सामने आ रहे हैं।
हालत यह है कि कई बड़ी बीमारियों में भी अब दवाइयां काम नहीं करतीं क्योंकि बैक्टीरिया इनकी आदी हो चुका है**

No comments:

Post a Comment