Thursday 30 July 2015

स्व डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का राष्ट्रपति पद हेतु दूसरा कार्यकाल सुनिश्चित था ..पर सोनिया गांधी उनसे अपना हिसाब चुकता करने ..के लिए दूसरे कार्यकाल के लिए ..भारत के इतिहास की सबसे अयोग्य और 1977 में इन्द्रा गांधी का किचन सँभालने वाली प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति बना दिया .....
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पाकिस्तान आज भारत को तोड़ने की बात सिर्फ इसी लिए सोचने की हिम्मत कर पाता है क्योंकि उसको पता है की इस के लोग सिर्फ राजनीति करते है
जब तक हमारे देश में  जैसे गद्दार, देशद्रोही भड़वे मौजूद है तब तक देश को बर्बाद करने के लिए कसाब , अजमल और याकूब जैसे आतंकवादियों की कोई जरुरत नहीं है
पिछले 22 सालो में ये दलाल 1993 में मारे गए 257 लोगो में से किसी एक के घर नहीं गया पर एक आतंकवादी को बचाने के लिए साला भड़वा रात को 12:30 बजे चीफ जस्टिस के घर पहुच गया और उस आतंकवादी के लिए 14 दिन का समय और मांगने लगा क्यों मियाँ पिछले 22 सालो से इसका वकील और आप जैसे याकूब के भड़वे कोर्ट में गिल्ली डंडा खेल रहे थे क्या और जिस देश में रात को 12 बजे के बाद मकान मालिक दरवाजा नहीं खोलता उस देश में एक आतंकवादी की सुनवाई करने के लिए रात 2 बजे सुप्रीम कोर्ट खोला गया ?
अगर इस देश को वाकई आतंकवाद से मुक्त करना है तो याकूब से पहले उसकी पैरवी करने वाले और विदेशी पैसो पर पलने वाले इन जैसे दलालों को देश से मुक्त करना होगा .........
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सरबजीत सालो पाकिस्तान की जेल में बन्द रहा ,उसकी बहने दर बदर उसकी रिहाई की गुहार मांगती रही और उसे पाकिस्तान की जेल में मार दिया गया |
तब किसी की भी आवाज नही आई
आज जब सेकड़ो मोत के गुनहगार को फांसी की सजा मिली तो देश के चन्द दगलबाज ,नपुंसक ,वकील से लेकर नेता और अभिनेता तक भोंक रहे हैं !
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 रोमांचक रात
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रात 11 बजे जैसे ही सोने लगा तभी टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज़ आई कि प्रशांत भूषण व अन्य वकील जज साहब के घर के बाहर खड़े है..मांग थी कि उनकी दलील फिर से एक बार सुनी जाए । डर तो मुझे इस बात का था की इतनी सुनवाई के बाद कोर्ट बहरा न हो जाए ।
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खैर...शुरुवाती 3 घंटे तक तो जज साब घर से बाहर ही नहीं आये । मुझे डर था कि कही याकूब मेमन को छोड़ कर वो इन वकीलों को ही फांसी पर ना लटका दे..नींद में खलल डालने का इलज़ाम लगाकर । फिर रात 2 बजे ब्रेकिंग न्यूज़ आई कि अदालत लगेगी और सुनवाई होगी । बताइये ये तो हद ही हो गयी..सुप्रीम कोर्ट ना हुआ पान की दूकान हो गयी जिसे आप रात को 2 बजे खुलवा कर 4 गोल्ड फ्ल्रेक और एक रजनीगन्धा ले लो और चलते बनो..या फिर कोर्ट ना हुआ गाँव का ठेका हो गया कि जब तलब लगी तब खुलवा लिया । वैसे याकूब भाई की दाद देनी पड़ेगी कि जहां अपने जैसे लौंडो के लिए रात के 2 बजे कोई घर का दरवाज़ा ना खोलता हैं उन्होंने सुप्रीम कोर्ट खुलवा डाला । अच्छा है जज कोई इंजीनियर नहीं था वरना रात 2 बजे कोर्ट खोलने की बजाये ठेका खुलवाता और सब को पिलाता और पीछे से ठुल्ले याकूब को लटका देते ।
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अब 3:20 बज चुके थे । प्रशांत भूषण दलील दे रहे थे...उनकी दलीले सुनकर साफ़ पता चल रहा था कि उनके सर से बाल ही नहीं अक्ल भी झड़ चुकी हैं । वो कह रहे थे हमें 14 दिन का समय और दीजिए....चचा अगर 14 दिन में ही सारे सबूत बांच लोगे तो पिछले 22 सालो से इस केस के दौरान क्या कोर्ट में भारतनाट्यम हो रहा था । एक डर ये भी था कि अगर फांसी पर 14 दिन की रोक लगी तो ये मीडिया वाले याकूब को नए युग का क्रांतिकारी घोषित कर देगा । फिर 4 बजे टीवी पर खबर आई कि याकूब सो के उठ चूका हैं...लो भैंचो...जिसके लिए इतना भसड़ हो रहा, आधा हिन्दुस्तान जाग रहा वो बोस.डी.के. खुद मस्त बियर पी के सोया पड़ा था । याकूब मेमन (me"mon")...अब जिसके नाम में ही Mon (मंडे) आता हो उससे भला कोई हमदर्दी कैसे रख सकता है ?
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अब तक आतंकवादी की सज़ा एक सास बहु वाले सीरियल में तब्दील हो गयी थी । मैं सोच ही रहा था कि फैसला जल्दी आए कहीं आलिया भट्ट ने पूछ लिया कि याकूब कौन हैं तो याकूब खुद ही आत्महत्या कर बैठेगा । 4:30 बज गए फैसला ना आया...सोच रहा था ये बागड़बिल्ले चर्चा ही ना करते रह जाए और उधर पीछे से नागपुर के ठुल्ले मियाँ मेमन का गेम बजा डाले । खैर पौने पांच बजे फैसला आया कि फांसी होगी...और साढ़े 6 बजे जैसे ही फांसी हुई बरखा दत्त व सगारिका घोष फेफड़े फाड़ कर रो पड़ी लेकिन पूरा देश व मुंबई वाले मुस्कुरा उठे । देर से ही सही न्याय हुआ । और इसके बाद अपन भी अपने काम में लग गए । बोले तो इंडिया-पाकिस्तान जैसा रोमांचक मैच हुआ कल रात जिसमे फिर से जीत अपनी ही हुई
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देखा दाऊद का जलवा ... देखी पाकिस्तान की ताकत ... देखा "सेकुलर-वामपंथी गिरोह"
का बाहुबल ... पान-सिगरेट की दुकान की तरह रात के दो बजे सुप्रीम कोर्ट खुलवाई जाती
है, लाखों की फीस लेने वाले दस वकील रात भर खड़े रहते हैं... और सुनवाई भी होती है...
इसे कहते हैं "दम"... ये होता है "जेहादी नेटवर्क" और पैसे की ताकत ....... तुम्हारी तो
इतनी भी औकात नहीं कि पिछले कई साल से बिना चार्जशीट के जेल में सड़ रही एक
कैंसरग्रस्त साध्वी को बचा सको... वास्तव में दया मिश्रित क्रोध और क्रोध मिश्रित दया
आती है हिंदुओं तुम पर ... तुम तो इतने मूर्ख हो कि तुम्हारे बीच बैठी वामपंथी,सेकुलर,
गांधीवादी जयचंदों, मीर जाफरों की फ़ौज को ही नहीं पहचान पाते... तो फिर अपनी
और अपने बच्चों की चिताओं की लकडियाँ खुद ही सजाने से तुम्हें कौन रोक सकता
है .....
By... Suresh Chiplunkar
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Mithilesh Pandey 
याकूब को फांसी हो गयी .... मगर उसे रोकने के लिए रात भर जो देश द्रोहियो की नौटंकी हुई है वो डूब मरने वाली बात है ..रात की दो बजे इस बाबत सुप्रीम कोट में सुनवाई हुई है ...फिर रात दो बजे आखिरी फैसला दिया गया .. रात भर इंडिया गेट के बाहर मोमबत्ती गैंग ने याकूब की फांसी के विरोध में मार्च किया ..शर्म शर्म और बोहोत शर्म की बात है ..एक आतंकवादी के समर्थन में हजारो लोग आ जाते है परन्तु जब एक बेगुनाह फांसी पर लटकता है या एक देश भक्त को सजा होती है या एक मासूम को झूठे केस में फसाया जाता है या एक गरीब सूली चढ़ रहा होता है तब ये सेकुलर जमात ये मोमबत्ती गैंग कहा चली जाती है .... ????
मैं सलाम करती हु सुप्रीम कोट के उन जजों को जिसने इतने विरोध के बावजूद अपने फैसले पर अडिग रहे ..मैं सलाम करती हु राजनाथ जी को जो खुद रात को राष्ट्रपति जी के समक्ष जा कर अपने फैसले पर अडिग रहने की कहा ..मैं सलाम करती हु मोदी जी को जिनकी वज़ह से ही ये फांसी सम्भव हो पाई है ...
साथ ही साथ एक सवाल ये भी उठता है की यदि केंद्र में बीजेपी की सरकार न हो कर कांग्रेस की सरकार होती तो क्या तब भी ये फांसी होती ??नहीं होती ..मैं पुरे यकीं से कहती हु की नहीं होती ...
फांसी तो छोडो ये केस ही ओपन नहीं होता और होता भी तो ऐसे आतंकवादियों को बचाने के लिए कानून में एक दो छेद और कर दिए जाते ...धिक्कार है इस देश के ऐसे लोगो पर जो एक आतंकवादी की सजा का भी विरोध करने से नहीं चुकते ..फिर किस तरह खुद को हिंदुस्तानी कहते हो ..क्यों इस देश की मिटटी से निकले अनाजों को खाते हो ..चले जाओ अपने आकाओं के पास पाकिस्तान ..तुम्हे यहाँ रहने का कोई हक़ नहीं ..इस देश को अपना कहने का कोई हक़ नहीं ..क्यों फिर किसी आतंकवादी हमले पर ये कहते हो की क्या कर रही है मोदी सरकार क्या कर रहा है कानून ..जब की तुम्ही लोग उन आतंकवादियों की पैरवी करते हो ....
निकल जाओ कमीनो हमारे देश से हमारे भारत से निकल जाओ ..

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IB को इनपुट मिला है की, दाउद इब्राहीम ने हवाला के ज़रिये प्रशांत भूषण को 1000 रू करोड़ भेजा है ..
जिस में से 500 करोड़ वकीलों की फिस के रूप मेंं दिया गया है, जो याकूब मैमन का केस लड़ रहे हैं ,
कुछ पैसा जजों को दिया जाना था ..वो पैसा वकीलों और जजों तक पहुँचाने का काम प्रशांत भूषण के जिम्मे था ,
दाउद के लिए मेमन का बचना बहुत जरुरी था क्योंकि दाउद की भारत में अरबों खरबों की संपत्तियों के अलावा भारत में गुप्त धन्धों में लगा करोड़ों रुपये का हिसाब किताब भी याकूब मेमन के पास ही था ,
दाउद का पैसा ना डूबे इस के लिए दाउद चाहता था के याकूब किसी भी तरह मरना नहीं चाहिये ,
शाम को तीन जजों की बेंच के सज़ा बहाल रखे जाने के फैसले के बाद, दाउद ने प्रशांत भूषण पर दबाव डाला की इतना पैसा दिया था तो तुम ने सज़ा माफ क्युँ नहीं करवाई, दाउद ने प्रशांत भूषण को साफ कह दिया था की अगर याकूब नहीं बचा तो हम तुझे देख लेंगे ,
तब रात को 12.00 बजे प्रशांत भूषण अपने बिके हुए 21 वकीलों को साथ लेकर चीफ जस्टिस के घर पर गये, जहाँ पर चीफ जस्टिस ने रात को अपने घर पर 1.00 बजे अदालत लगायी, और रात 3.30 तक सुनवाई की ..
ऐसा भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है की देश के किसी देशद्रोही गुनहगार को बचाने के लिए रात के 1.00 से लेकर 3.30 बजे तक चीफ जस्टिस के घर पर अदालत बनाई गयी ..
क्या वो एक देशभक्त था या देशद्रोही था ?
एक तरफ, आम आदमी के लिए "तारीख़ पर तारीख़" और
आंतकवादीयों के लिए चीफ जस्टिस रात 1.00 बजे विशेष अदालत लगाता है ..
शर्म आती है हमें, देश की ऐसी न्याय व्यवस्था पर ॥


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अब्दुल कलाम की अंत यात्रा में जितने मुस्लमान थे उस से हज़ार गुना ज्यादा मुस्लमान याकूब की अंत यात्रा में शामिल है । ये दिखाता है की देश में कितने मुस्लमान देश से ईमानदारी रखते है और कितने आतंकवादियों से ।

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ये मोहम्मद अनस पत्रकार है । इनकी सोच देखिये । बेटा सूअर की तरह आतंकी पैदा होंगे तो सुअरो की तरह मारे भी जाएंगे । खैर तुम छाती कूटो ...विधवा विलाप करो
आतंकवादियों का कोई धर्म नही होता कहने वाले जरा यह भी देख ले.....यह देख लीजिए गौर से पढ़ लीजिए जिहाद की चूल उफान मार रही है....
हम कब तक शतुरमुर्ग की तरह इस खतरे को अनदेखा करते रहेंगे? मैं कह रही हूँ कि आज नहीं तो कल भुगतान तो हमें है ही.... अब आगे जैसे जैसे इनकी जनसंख्या बढेगी उतना ही ज़्यादा टकराव बढ़ेगा..... और देर सवेर ये लोग अपना रुप दिखायेंगे ही .... इसलिए पहले ही अपने नुकसान का आकलन करके खुद को मानसिक रूप से तैयार रखो....


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