Monday 18 May 2015

आज हमें अपने भगवान पर
भरोसा नहीं है। कोई बिल्ली अगर
रास्ता काटे तो ये भरोसा है
कि मेरा काम बिगड़ जायेगा पर ये
भरोसा नहीं है कि ठाकुर जी का नाम
ले के निकलूंगा तो मेरा काम पूरा होगा। ऐसा मत सोंचो कि सतयुग, त्रेतायुग,
द्वापरयुग में भगवान विश्वास रखते
हैं। वो आज भी विश्वास रखता है
सिर्फ तुम्हारा विश्वास
सच्चा हो दिखावा वाला नहीं। और
अगर तुम्हे विश्वास न हो तो आज से पाँच - छः वर्ष
पुरानी दिल्ली कि एक
सच्ची घटना है जो तुम्हे सिखाती है
कि विश्वास कि लाज आज
भी ठाकुर जी रखते हैं। "एक छोटी सी बच्ची थी और
श्री कृष्ण को बहुत प्यार
करती थी और हमेशा वृंदावन
जाया करती थी। धीरे - धीरे
वो बड़ी हो गयी और
उसकी शादी भी हो गयी पर उसने भक्ति नहीं छोड़ी। इसी तरह उसके
बच्चे भी बड़े हो गये और
बच्चो कि शादी भी हो गयी और
वो बूढी हो गयी। जब
बूढी हो गयी तो उसने सोंचा कि अब
हमेशा वृंदावन तो जा नहीं सकती तो उसने एक बार
वृंदावन जा कर एक पीतल के लड्डू
गोपाल ले आयी और
उन्ही कि सेवा करने लगी।
एक बार जन्माष्टमी के दिन सयोंग से
उस बूढी औरत कि तबियत ख़राब हो गयी तो उसने अपनी बहु से
कहा कि मेरे लल्ला को दूध से स्नान
करा दो और आज जन्माष्टमी है
इसलिए नये वस्त्र पहना दो। बहु
को तो इन सब भक्ति में
उतनी श्रद्धा थी नहीं तो उसने उतना ध्यान से सेवा नहीं किया और
गलती से लड्डू गोपाल जी वस्त्र
पहनाते वक्त जमीन में गिर गए।
अब बूढी औरत को तुरंत
पता लगा कि मेरे लाला कुछ हुआ है और
दौड़ के अपने बहु के पास गयी और बोली! बहु मेरा लाला कैसा है ठीक तो है
न ? बेटा बोला कि हाँ माँ सब ठीक है
सिर्फ पीतल
कि मूर्ति थोड़ा जमीन में गिर
गयी थी फिर उठा दिया है।
इतना सुनते ही बूढी औरत रोने लगी और बोली कि जल्दी से मेरे
लल्ला को देखने के लिए डॉक्टर
बुलाओ। बेटा ने गुस्से से बोला! पीतल
कि मूर्ति को देखने कौन सा डॉक्टर
आएगा ? वो बूढी नहीं मानी और
रोती रही। फिर पड़ोसी भी आये और सारी बात सुन कर बोले
कि किसी डॉक्टर
को बोलो कि मेरी माँ पागल
हो गयी है। कृपया मेरे साथ चलिए और
कह दीजिये कि पीतल
कि मूर्ति ठीक है चाहे फ़ीस आप दुगुना ले लेना। बेटे ने
ऐसा ही किया और डॉक्टर ले आया।
जब डॉक्टर आया तो उसने बोला कि!
माँ तेरा लल्ला बिलकुल ठीक है।
बूढी ने कहा कि! ऐसे कैसे वो जो कान
में लगाने वाला है उससे तो देख। डॉक्टर को गुस्सा आया पर क्या करता फ़ीस
जो ली थी उसने
अपना आला उठाया और लड्डू गोपाल
जी से लगायी। लगाते के साथ डॉक्टर
घबरा गया क्यों कि उस पीतल
कि मूर्ति में ह्रदय धड़क रहा था। डॉक्टर उस बूढी औरत के पैरों में गिर
गया और कहा कि आज से मैं
भी अपना जीवन तुम्हारे
इसी लाला कि सेवा में व्यतीत कर
दूंगा। और वो सब कुछ छोड़ कर लड्डू
गोपाल जी कि सेवा में लग गया।" तो इस लिए अपने ठाकुर जी पर पूर्ण
भरोसा रखो। वो तुम्हे अवश्य प्राप्त
होगा। सिर्फ तुम खुद को उसके
लायक बनाओ जैसे इस बूढी औरत ने
बनाया। जब तुम्हारा पूर्ण समर्पण
होगा तो वो दौड़ के तुम्हारे पास आ जायेगा और तुम्हे अपने गोद में ले
लेगा और गोद से उतरेगा नहीं। !

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