Thursday 14 May 2015

एक सच्चे राजपूत का सच्चा जवाब:
लखनऊ विश्वविद्यालय के परीक्षा में मुग़लों के ऊपर पूछे गए प्रश्न का स्वाभिमानी उत्तर कुंवर ऋतेश सिंह के द्वारा आप सब भी पढ़ें इस उत्तर को |
कुँवर भाई ने फेल होना पसन्द किया, गलत उत्तर देने की बजाय,....
Neeraj Kaushik
Neeraj Kaushik की फ़ोटो.
योगा अब भारतीय संस्कृति का अंग ही नहीं रह गया, 21 मई को विश्व योग दिवस आने से पूर्व ही योग विश्व के लगभग सभी देशों में अपनी जड़ें जमा चुका है, ओर योग के माध्यम से वे लोग हमारी संस्कृत व संस्कृति से भी जुड़ रहे हैं, उधर चीन में तो हालत ऐसे हैं की चीनी अब योग में भारतियों से भी ज्यादा निपुण होना चाहते हैं, नित्य प्रातः एवं सायं कालीन कक्षाओं में संस्कृत के मंत्रोचारण के साथ लाखों-लाख लोग योग की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, अकेले बीजिंग में ही योग सिखाने के 1000 से अधिक केंद्र खुल चुके हैं, हम भारतीय आभारी हैं प्रधानमन्त्री Narendra Modi जी का जिनके प्रयासों के कारण हम अपनी सनातन परम्पराओं का विश्व को दर्शन करा पाये,...



जवाहर की काली करतूत ... 
माउंटबेटन ने लिखा है कि एक दिन नेहरू उनके पास आए और कहा, हम आंदोलन तो चला सकते हैं, लेकिन सत्ता चलाना हमारे वश में नहीं है। आप यह सत्ता फिर से वापस ले लीजिए और ब्रिटिश हुकूमत को कायम रखिए।
 नेहरू के साथ सरदार पटेल भी थे लेकिन वह थोडे-थोडे क्रोधित भी दिख रहे थे। इतिहासकार हडसन की पुस्तक 'द ग्रेट डिवाइड' और डोमिनीक लीपएर व लैरी कॉलिन्स की पुस्तक ' फ्रिडम एट मिड नाइट' में भी इसका विस्तार से जिक्र है।
लीपएर व लैरी ने लिखा है कि यदि यह बात भारत व दुनिया के लोगों को पता चल जाता तो नेहरू की पूरी अंतरराष्ट्रीय छवि बर्बाद हो जाती। माउंटबेटन ने नेहरू को बचा लिया। प्रशासन संभालने के लिए एक समिति का गठन कर माउंटबेटन खुद उसका अध्यक्ष बने और पूरे प्रशासन तंत्र को संभाला! प्रधानमंत्री नेहरू उनके दाएं और उपप्रधानमंत्री पटेल उनके बांए चलते थे ताकि जनता में यह भ्रम बना रहे कि जो भी निर्णय होता है वह नेहरू की सरकार करती है, लेकिन सारा निर्णय माउंटबेटन किया करते थे।
यदि देश का सच्चा इतिहास लिखा जाए तो न जाने कितनी प्रतिमाएं टूट कर विखंडित हो जाए। 





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