Friday 8 May 2015

भारतीय मुसलमान 'हिन्दू सनातनी सांस्कृतिक विरासत' पर गर्व करने की कला‪#‎इंडोनेशिया‬ के मुसलमानों से सीख सकते हैं :-
विश्व के सर्वाधिक ‪#‎मुस्लिम‬ आबादी वाला देश इंडोनेशिया का प्राचीन धार्मिक इतिहास‪#‎हिन्दू‬ रहा है, और इस सनातनी सांस्कृतिक विरासत पर इंडोनेशिया के मुसलमानो को आज भी गर्व है । जब इंडोनेशिया में ‪#‎इस्लाम‬ गया, तो वहाँ के लोगों ने हिन्दू संस्कृति को इस्लाम के साथ ऐसा अच्छे ढंग से मिला लिया कि आज वहाँ का 90 प्रतिशत आदमी मुसलमान होने के बाद भी ‪#‎रामायण‬ , ‪#‎महाभारत‬ को अपना सांस्कृतिक ग्रन्थ कहता है ।
आज इन्डोनेशिया का हर मुसलमान खुद को भगवान ‪#‎राम‬ और ‪#‎कृष्ण‬ का अपना वंशज मानकर चलता है । संस्कृत-निष्ठ नाम रखता है - सुकर्ण , सुहृद , रत्नावली आदि । मेघवती सुकर्णपुत्री वहाँ की उपराष्ट्रपति रह चुकी है । जब आप JAKARTA जायेंगे , तो एयरपोर्ट के ठीक बाहर ‪#‎भगवान‬ श्रीकृष्ण का ‪#‎गीता‬ उपदेश देने वाला पूरा रथ बना हुआ है , जिसे बड़े गौरव के साथ वहाँ देखा जाता है । वहाँ के विश्वविद्यालय के नाम है , अमितजय विश्वविद्यालय , त्रिपति विश्वविद्यालय ।उनका मत परिवर्तन तो हो गया लेकिन उन्होंने अपना सांस्कृतिक परिवर्तन न होने दिया ।
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लेकिन भारत में ‪#‎गांधी‬ और ‪#‎नेहरू‬ द्वारा शुरू की गई सांप्रदायिक तुष्टीकरण की नीतियों के कारण देश भी सांम्प्रदायिक आधार पर बट गया और मुस्लिमों मे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद कभी जन्म न ले सका । पर ‪#‎Muslim‬ तुष्टीकरण मे व्यस्त राजनीतिक पार्टियों ने मुस्लिम समाज मे अपनी विरासत पे गर्व वाली अनुभूति को कभी पनपने ही नहीं दिया । अब खण्डित भारत के धर्मांतरित मुस्लिम समाज को ही भारत की अस्मिता , अपने मूल भारतीय पूर्वजों , भाषा , संस्कृति आदि के बारे में सोचना पडेगा ।
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जब इंडोनेशिया के मुस्लिम नागरिक अपनी सांस्कृति आस्था के अनुसार ‪#‎शिव‬ की पूजा कर सकते है , अपनी कब्रों पर रामायण की पंक्तियां खुदवा सकते है तथा तुर्की वाले अपने तुर्की भाषा ‪#‎अल्लाह‬ को 'तारी' के नाम से पुकार सकते है , तो तुम अल्लाह को ईश्वर के नाम से क्यों नहीं पुकार सकते ? तो भारतीय मुसलमान अरबी के स्थान पर ‪#‎संस्कृत‬ को क्यों नहीं अपना सकते ?
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भारत का मुसलमान तो यहीं का है , जब इन्डोनेशिया के लोग रामायण , महाभारत को मानते हैं , आप क्यों नहीं मान सकते ? जब वे राम , कृष्ण को अपना पूर्वज मानते है तो आप क्यों नहीं मान सकते ? तुम मानोगे, तो इस धरती से जुड़ जाओगे और जो आदमी धरती से जुड़ जायेगा , वह राष्ट्र का अपना बन जायेगा ।
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भारत का मुसलमान अगर यह सोचता है की वह केवल मुसलमान है , इस आधार पर वह किसी दूसरे मुस्लिम देश में स्थान नहीं पा सकता । हाँ आप हज करने ‪#‎अरब‬ जा सकते हैं, पर आप वहाँ बस नहीं सकते । अकेले सऊदी अरब से 22 हजार बंगलादेशी मुसलमानों को निकाल बाहर किया गया । आखिर मुसलमान थे न । मुसलमान भाई हैं , फिर क्यों निकाला ?
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केवल ‪#‎मजहब‬ जोड़ता नहीं है , धरती जोड़ती है । इसलिए हमारा कहना है कि भारत का मुसलमान जो इस धरती पर पैदा हुआ है , उसको अपना माने , उसको अपनी माँ कहे । उसको वन्दे मातरम् कहने में तकलीफ क्यों होती है ? गर्व से कहना चाहिए , हाँ , यह हमारी माता है , हम इसके पुत्र है । अपने सारे पूर्वजों को मान लो । यहाँ की संस्कृति कहती है , सत्य एक है इसी को विभिन्न नामों से पुकारते है , उस संस्कृति को स्वीकार कर लो , तो झगड़ा कुछ नहीं रहेगा , आप धरती से जुड़ जाओगे तो यह देश अपना हो जायेगा ।
1) इन्डोनेशिया सरकार ने अमेरिका को माँ सरस्वती की मूर्ति भेंट की :- लिंकhttps://www.facebook.com/hashtag/thehindu
2)इन्डोनेशिया की करेंसी मे गणेश जी के चित्र :- http://bit.ly/1Auosvg
3) इंडोनेशिया एयरपोर्ट के बाहर भगवान श्री कृष्ण :- http://bit.ly/19PsuWo
4) इंडोनेशिया यूनिवर्सिटी मे गणेश जी प्रतीक के रूप मे :- http://www.itb.ac.id/
5) L.K. Adwani जी का ब्लॉग इन्डोनेशिया मे सनातनी विरासत :-http://bit.ly/1DIoP7L
फेसबुक पर इडोनेशिया के मुस्लिम जनता के नाम और सरनेम देख चकित रह जाएं
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मध्यकाल में मुस्लिम लुटेरों के जीतने का प्रमुख कारण रहा हमारी वर्ण व्यवस्था।जब हमलावर आते थे तो हमारी और से मुठ्ठीभर क्षत्रिय ही मुकाबला करने जाते थे ! यदि वे युद्ध हार जाते थे तो पूरे समाज को हमलावरों का गुलाम बनना पड़ता था! 
उस समय समाज की अन्य जातियों को देश की रक्षा करने के लिए हथियार उठाने का अधिकार ही नहीं था ! ब्राह्मण, वैश्य,और शूद्र बेचारे मन मसोस कर रह जाते थे। सदियों तक यही स्थिति रही। बाद में महाराणा प्रताप और शिवाजी ने इस स्थति को बदला ।उन्होंने अपने साथ भील तथा साधारणअराठाओ को भी लड़ाई में शामिल किया!जिसके शानदार परिणाम आए । बाद में अंग्रेजो ने आकर इन मुस्लिम शासको को ठोका! इन नवाबो और मुगलो को सुवर की खालों में सिल सिल कर मारा।इस प्रक्रिया में मुस्लिम शासकों और उनके सिपहसालारों की गर्दन बाहर रख कर पूरा शरीर ताज़ा मरे सुअर की खाल में सिल दिया जाता था।फिर उन्हें धीमी मौत के लिए छोड़ दिया जाता था।इस प्रकार अँगरेज़ इन मुस्लिम शासकों के मन में अपना ख़ौफ़ पैदा करने में कामयाब रहे।अंग्रेजो ने अपनी सेना में दलितों को भी शामिल कर लिया।परिणामस्वरूप वे अजेय शक्ति बन गए। देश आज़ाद होंने के बाद आज हमारी सेना में सभी जाती वर्गों के लोग शामिल है लेकिन मुल्ले उसी मध्ययुगीन मानसिकता में जी रहे है।
आज़ादी के बाद पाकिस्तान ने यही सोच कर भारत पर हमले किये कि करोड़ों लोगों में से लड़ने तो मुठ्ठीभर लोग ही आएँगे। उनकी जीत तो पक्की है ,लेकिन उन्हें बार बार मुह की खानी पड़ी। क्योंकि अब वर्ण व्यवस्था नहीं है पूरा देश एक होकर लड़ता है। अब स्थति हमेशा के लिए बदल गई है ।अब भारतीयों से कोई नहीं जीत सकता।एकताबद्ध हिन्दू अजेय है ।








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