Tuesday 5 May 2015

भारत के सभी राज्यों के वर्तमान मुख्यमंत्री
राज्य ---- मुख्यमंत्री
तेलंगाना ----- के चंद्रशेखर राव
आन्ध्र प्रदेश ---- चन्द्रबाबू नायडू
अरुणाचल प्रदेश ---- नबम तुकी
असम ---- तरुण गोगोई
बिहार ........नितिश कुमार
छत्तीसढ ---- रमन सिंह
दिल्ली ------ अरविंद केजरीवाल
गोआ ----- लक्ष्मीकांत परेस्कर
गुजरात ----- आनंदीबेन पटेल
हरियाणा ----- मनोहर लाल खट्टर
हिमाचल प्रदेश ----- वीरभद्र सिंह
जम्मू और कश्मीर ----- मुफ्ती मुहम्मद
झारखण्ड ---- रघुवर दास
कर्नाटक ----- सिद्धारैया
केरल ------ ओमान चांडी
मध्य प्रदेश ------ शिवराज सिंह चौहान
महाराष्ट्र ----- देवेन्द्र फड़नवीस
मणिपुर ----- ओकराम इबोई सिंह
मेघालय ----- मुकुल संगमा
मिज़ोरम पु ----- ललथानवाला
नागालैण्ड ----- टी आर जेलियांग
ओडिशा ----- नवीन पटनायक
पॉण्डिचेरी ---- एन. रंगास्वामी
पंजाब ---- प्रकाश सिंह बादल
राजस्थान ---- वसुंधरा राजे सिंधिया
सिक्किम ---- पवन कुमार चामलिंग
तमिलनाडु ----ओ. पनीरसेल्वम्
त्रिपुरा ------ माणिक सरकार
उत्तराखण्ड ------ हरीश रावत
उत्तर प्रदेश ------ अखिलेश यादव
पश्चिम बंगाल ------ ममता बनर्जी
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 समस्या बाहर, समाधान भीतर 
एक राजा बड़ा सनकी था।
एक बार सूर्यग्रहण हुआ तो उसने राजपंडितों से पूछाः "सूर्यग्रहण क्यों होता है ?"
पंडित बोलेः "राहू के सूर्य को ग्रसने से।"
"राहू क्यों और कैसे ग्रसता है ? बाद में सूर्य कैसे छूटता है ?" जब उसे इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर नहीं मिले तो उसने आदेश दियाः "हम खुद सूर्य तक पहुँचकर सच्चाई पता करेंगे।
एक हजार घोड़े और घुड़सवार तैयार किये जायें।"
राजा की इस बिना सिर-पैर की बात का विरोध कौन करे ? उसका वफादार मंत्रि भी चिंतित हुआ।
मंत्री का बेटा था वज्रसुमन। उसे छोटी उम्र में ही सारस्वत्य मंत्र मिल गया था, जिसका वह नित्य श्रद्धापूर्वक जप करता था।
गुरुकुल में मिले संस्कारों, मौन व एकांत के अवलम्बन से तथा नित्य ईश्वरोपासना से उसकी मति इतनी सूक्ष्म हो गयी थी मानो दूसरा बीरबल हो।
वज्रसुमन को जब पिता की चिंता का कारण पता चला तो उसने कहाः "पिता जी ! मैं भी आपके साथ यात्रा पर चलूँगा।"
पिताः "बेटा ! राजा की आज्ञा नहीं है। तू अभी छोटा है।"
"नहीं पिता जी ! पुरुषार्थ व विवेक उम्र के मोहताज नहीं हैं। मुसीबतों का सामना बुद्धि से किया जाता है, उम्र से नहीं। मैं राजा को आने वाली विपदा से बचाकर ऐसी सीख दूँगा जिससे वह दुबारा कभी सनकभरी आज्ञा नहीं देगा।"
मंत्रीः "अच्छा ठीक है पर जब सभी आगे निकल जायें, तब तू धीरे से पीछे-पीछे आना।"
राजा सैनिकों के साथ निकल पड़ा।
चलते-चलते काफिला एक घने जंगल में फँस गया। तीन दिन बीत गये। भूखे प्यासे सैनिकों और राजा को अब मौत सामने दिखने लगी।
हताश होकर राजा ने कहाः "सौ गुनाह माफ हैं, किसी के पास कोई उपाय हो तो बताओ।"
मंत्रीः "महाराज ! इस काफिले में मेरा बेटा भी है। उसके पास इस समस्या का हल है। आपकी आज्ञा हो तो...."
"हाँ-हाँ, तुरंत बुलाओ उसे।"
वज्रसुमन बोलाः "महाराज ! मुझे पहले से पता था कि हम लोग रास्ता भटक जायेंगे, इसीलिए मैं अपनी प्रिय घोड़ी को साथ लाया हूँ। इसका दूध-पीता बच्चा घर पर है। जैसे ही मैं इसे लगाम से मुक्त करूँगा, वैसे ही यह सीधे अपने बच्चे से मिलने के लिए भागेगी और हमें रास्ता मिल जायेगा।" ऐसा ही हुआ और सब लोग सकुशल राज्य में पहुँच गये।राजा ने पूछाः "वज्रसुमन ! तुमको कैसे पता था कि हम राह भटक जायेंगे और घोड़ी को रास्ता पता है ? यह युक्ति तुम्हें कैसे सूझी ?"
"राजन् ! सूर्य हमसे करोड़ों कोस दूर है और कोई भी रास्ता सूरज तक नहीं जाता। अतः कहीं न कहीं फँसना स्वाभाविक था।
दूसरा, पशुओं को परमात्मा ने यह योग्यता दी है कि वे कैसी भी अनजान राह में हों उन्हें अपने घर का रास्ता ज्ञात होता है। यह मैंने सत्संग में सुना था।
तीसरा, समस्या बाहर होती है, समाधान भीतर होता है। जहाँ बड़ी-बड़ी बुद्धियाँ काम करना बंद करती हैं वहाँ गुरु का ज्ञान, ध्यान व सुमिरन राह दिखाता है। आप बुरा न मानें तो एक बात कहूँ ?""बिल्कुल निःसंकोच कहो।"
"यदि आप ब्रह्मज्ञानियों का सत्संग सुनते, उनके मार्गदर्शन में चलते तो ऐसा कदम कभी नहीं उठाते। अगर राजा सत्संगी होगा तो प्रजा भी उसका अनुसरण करेगी और उन्नत होगी, जिससे राज्य में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ेगी।"
राजा उसकी बातों से बहुत प्रभावित हुआ, बोलाः "मैं तुम्हें एक हजार स्वर्ण मोहरें पुरस्कार में देता हूँ और आज से अपना सलाहकार मंत्री नियुक्त करता हूँ। अब मैं भी तुम्हारे गुरु जी के सत्संग में जाऊँगा, उनकी शिक्षा को जीवन में लाऊँगा।"
इस प्रकार एक सत्संगी किशोर की सूझबूझ के कारण पूरे राज्य में अमन चैन और खुशहाली छा गयी।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, मार्च 2015, पृष्ठ संख्या 15 अंक 267
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मैगी में मिला खतरनाक केमिकल, ब‌िक्री पर रोक

‘बस दो मिनट’ में तैयार होने वाली मैगी आपके नौनिहालों की सेहत भी दांव पर लगा सकती है। खाद्य संरक्षा व औषधि प्रशासन (एफएसडीए) ने हाल ही बाराबंकी के एक मल्टी स्टोर से लिए गए मैगी के नमूनों की जांच कोलकाता की रेफरल लैब से कराई। 
जांच में यह नमूना फेल हो गया और इसमें मोनोसोडियम ग्लूटामेट नाम का एमिनो एसिड खतरनाक स्तर तक पाया गया। इसके बाद हरकत में आए एफएसडीए ने पूरे प्रदेश में इस बैच की मैगी की बिक्री पर रोक लगा दी। �
एफएसडीए के सहायक आयुक्त विजय बहादुर ने बताया कि बाराबंकी से लिए गए मैगी के नूमनों के खतरनाक पाए जाने के बाद पूरे प्रदेश में सर्वे सर्विलांस सैंपलिंग से शुरू किया गया है। राजधानी के डिजिग्नेटेड ऑफिसर (डीओ) को मैगी के नमूंने लेकर जनविश्लेषण प्रयोगशाला भेजने को कहा गया है। 
एफएसडीए जिला इकाई के मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी एसपी सिंह ने बताया कि तीन अलग अलग टीमें गठित कर  मैगी के आठ नमूने लिए गए और इन्हें लैब टेस्ट के लिए भेजा गया है।एफएसडीए एक्ट के तहत मोनोसोडियम ग्लूटामेट का प्रयोग किए जाने वाली सामग्री के रैपर पर इसकी मौजूदगी साफ-साफ दर्ज करनी होती है। साथ यह भी लिखना होता है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चे इसका कतई प्रयोग न करें। 
एमीनो एसिड श्रेणी का मोनोसोडियम ग्लूटामेट केमिकल वाली खाद्य सामग्री बच्चों की सेहत दांव पर लगा सकती है। यह केमिकल खाने से बच्चे न केवल इसके एडिक्ट हो सकते हैं बल्कि दूसरी चीजें खाने से नाक-भौं सिकोड़ने लगते हैं। डॉ. राजीव मैगन, वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया, लगातार मैगी खाने वाले छोटे बच्चों के शारीरिक विकास पर भी असर पड़ता है। मोनोसोडियम ग्लूटामेट बच्चों की पाचन क्षमता खराब कर देता है। 
इससे बच्चों में पेट में दर्द, रोटी-सब्जी, फल खाने पर उल्टी आने, शरीर में सुस्ती, गर्दन के पीछे की नसों के कमजोर होने से स्कूली बस्ते तक का भार न उठा पाने और याददाश्त कमजोर होने की शिकायत हो सकती है।

मैगी बनाने वाली कंपनी ने अपनी सफाई में कहा है कि मोनोसोडियम ग्लूटामेट का प्रयोग नेचुरल फार्म में किया जाता है लेकिन चूंकि कोलकात की लैब की जांच में यह नमूने फेल हो गए हैं इसलिए मैगी के उस बैच के उत्पादों की ब्रिकी पर पाबंदी लगा दी गई है। अब पूरे सूबे में सर्विलांस सर्वे सैंपलिंग की जाएगी। राजधानी के विभिन्न इलाकों से आठ नमूने लैब टेस्ट के लिए भेजे गए हैं। 


[10:27, 5/05/2015] +91 98140 98985: 👭बाल भजनमाला👭
हम बच्चे ʹबाल संस्कार ʹ के....
हम बच्चे ʹ बाल संस्कारʹ के।
हम प्यासे प्रभु के प्यार के।। टेक ।। -2

हममें साहस शक्ति है, मातृ-पितृ गुरुभक्ति है। - 2
हम ऋणी हैं इनके उपकार के। हम बच्चे... ।। टेक ।।
हम झकदोर दें अच्छे-अच्छों को,
कमजोर न समझो हम बच्चों को। - 2
बड़े वीर धीर गम्भीर हैं,
पर दुश्मन के लिए तीर हैं। - 2
हम तेज धार तलवार की।। -
हम बच्चे.....।। टेक ।।
हमको चलना आता है, आगे निकलना आता
है। - 2
दमदार हैं कदम हम बच्चों के।। -2
हम गिरते हैं तो क्या हुआ, हमको
सँभलना आता है। -2
हम ढलते घड़े कुम्हार के।। -2
हम बच्चे..... ।। टेक ।।
हम फूलों से भी कोमल हैं,
हम जल से भी निर्मल हैं। -2
सब प्यार करते हैं हम बच्चों को।। 2
हम हँसते-खिलते सावन हैं,
हम पावन से अति पावन हैं। - 2
हम आधार सृष्टि श्रृंगार के।। - 2
हम बच्चे बाल संस्कार के....।। टेक।।
हम सबका लक्ष्य महान है, हमें पाना
आत्मज्ञान है। - 2
अधिकार है ये पूरा हम सभी
को।। -2
हम ऋषियों की संतान हैं, हमें
करनी निज पहचान है। - 2
हम प्यासे प्रभु दीदार के।। - 2
हम बच्चे.... हममें साहस...
 BAPU KE DIWANE GROUP 
[10:27, 5/05/2015] +91 98140 98985: चश्मा उतारने के लिए
पहला प्रयोगः छः से आठ माह तक
नियमित जलनेति करने से एवं पाँव के तलवों तथा
कनपटी पर गाय का घी घिसने से लाभ होता
है।
दूसरा प्रयोगः 7 बादाम, 5 ग्राम
मिश्री और 5 ग्राम सौंफ दोनों को मिलाकर
उसका चूर्ण बनाकर रात्रि को सोने से पहले दूध
के साथ लेने से नेत्रज्योति बढ़ती है।
तीसरा प्रयोगः एक चने के दाने जितनी
फिटकरी को सेंककर सौ ग्राम गुलाबजल में
डालें और प्रतिदिन रात्रि को सोते समय इस
गुलाबजल की चार-पाँच बूँद आँखों में डालकर
आँखों की पुतलियों को इधर-उधर घुमायें। साथ
ही पैरों के तलुए में आधे घण्टे तक घी की
मालिश करें। इससे आँखों के चश्मे के नंबर उतारने
में सहायता मिलती है तथा मोतियाबिंद में
लाभ होता है।
 BAPU KE DIWANE GROUP 
[10:27, 5/05/2015] +91 98140 98985: मंत्रजाप से जीवनदान
मेरे मित्र संत हैं लालजी
महाराज। पहले वे अमदावाद से 55-60
किलोमीटर दूर वरसोड़ा गाँव मे रहते थे। वे
किसान थे। उनकी माँ भगवन्नाम-जप कर
रही थी। शाम का समय था। माँ ने
बेटे से कहाः
"जरा गाय-भैंस को चारा डाल देना।"
बारिश के दिन थे। वे चारा उठाकर ला रहे थे तो
उसके अंदर बैठे भयंकर साँप पर दबाव पड़ा और उसने काट
लिया। वे चिल्लाकर गिर पड़े। साँप के जहर ने उन्हें
भगवान की गोद में सुला दिया।
गाँव के लोग दौड़े आये और उनकी माँ
से बोलेः "माई ! तेरा इकलौता बेटा चला गया।"
माँ- "अरे, क्या चला गया? भगवान की
जो मर्जी होती है
वही होता है।"
माई ने बेटे को लिटा दिया, घी का दिया जलाया और
माला घुमाना शुरु कर दिया। वह रातभर जप
करती रही। सुबह बेटे के
शरीर पर पानी छिड़ककर
बोलीः "लालू ! उठ | सुबह हो
गयी है।"
बेटे का सूक्ष्म शरीर वापस आया
और बेटा उठकर बैठ गया। वे (लालजी
महाराज) अभी भी हैं। 80
वर्ष से ऊपर उनकी उम्र है।
मृतक में भी प्राण फूँक सकता है
उत्तम जापक द्वारा श्रद्धा से क्रिया गया मंत्रजाप !
 BAPU KE DIWANE GROUP 
[10:27, 5/05/2015] +91 98140 98985: आत्मानुसंधान 
सागर की सतह पर दौड़ती हुई तरंगे कम
हो जाती हैं तो सागर शांत दिखता है। सागर
की गरिमा का एहसास होता है। चित्तरूपी
सागर में वृत्तिरूपी लहरियाँ दौड़ रही हैं।
वर्त्तमान का आदर करने से वे वृत्तियाँ कम होने
लगेंगी। एक वृत्ति पूरी हुई और दूसरी अभी उठने
को है, उन दोनों के बीच जो सन्धिकाल है वह
बढ़ने लगा। बिना वृत्तियों की अनुपस्थिति में
भी हम हैं। इस अवस्था में केवल आनंद-ही-आनंद है।
वही हमारा असली स्वरूप है।
इस निःसंकल्पावस्था का आनन्द बढ़ाते जाओ। मन
विक्षेप डाले तो बीच-बीच में ॐ का प्यार
गुंजन करके उस आनंद-सागर में मन को डुबाते
जाओ। जब ऐसी निर्विषय, निःसंकल्प अवस्था
में आनंद आने लगे तो समझो यही आत्मदर्शन हो
रहा है क्योंकि आत्मा आनन्दस्वरूप है।
 BAPU KE DIWANE GROUP 

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