Thursday 2 April 2015

भारत सरकार के बाद इस देश में भूमि का सबसे बड़ाअकेला मालिक है “चर्च”।जी न्यूज़ पर चर्च के बारे में एक सर्वेक्षण हुआ है,जिसमेंबताया गया है कि भारतसरकार के बाद इस देश में भूमि का सबसे बड़ा अकेलामालिक है “चर्च,जी हाँ।“चर्च” के पास इस समय समूचे भारत में 52 लाख करोड़की भू-सम्पत्ति है।इसमें से लगभग 50 प्रतिशत ज़मीन उसके पास अंग्रेजों केसमय से है,लेकिन बाकीकी ज़मीन तमाम केन्द्र और राज्य सरकारों ने उसेधर्मस्व कार्य हेतु “दान” में दी है।यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि धर्म के नाम पर सबसेअधिक रक्तपात इस्लामऔर ईसाई धर्मावलम्बियों द्वारा किया गया है।ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार करना,सेवा करने के लियेस्कूल और अस्पताल खोलनाआदि चर्च के मुख्य काम हैं,लेकिन असल में इसका मकसदईसाईयों की संख्या मेंवृद्धि करना होता है।गरीब,ज़रूरतमंद,अशिक्षित लोग इनके फ़ेंके हुए झाँसे मेंआ जाते हैं, रही-सही कसरभारी-भरकम पैसे और नौकरी का लालच पूरी कर देताहै।“चर्च” की सत्ता और धन-सम्पत्ति के अकूत भण्डार केबारे में जब-तब कई पुस्तकोंऔर जर्नलों में प्रकाशित होता रहता है।भारत में चर्च फ़िलहाल “गलत” कारणों से चर्चा मेंहै,ज़ाहिर है कि “धर्मान्तरण” केमामले को लेकर।इन घटनाओं पर “पोप” भी बहुत दुखी हैं और उन्होंनेभारत में अपने प्रतिनिधियोंऔर भारत सरकार (इसे सोनिया गाँधी पढ़े) के समक्षचिन्ता जताई है।पोप का दुखी होना स्वाभाविक भी है,जिस“एकमात्र सच्चे धर्म” का जन्म 2014वर्ष पहले समूची धरती से “विभिन्न गलत अवधारणाओंको मिटाने के लिये”हुआ था,उसकी सर्वत्र थू थू हो रही है।चर्च और पोप की सत्ता जिस “प्रोफ़ेशनल” तरीके सेकाम करती है, उसे देखकरबड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कम्पनियाँ भी शर्मा जायें।जिस तरह विशाल कम्पनियों में “बिजनेस प्लान”बनाया जाता है,ठीक उसी तरहरोम में ईसाई धर्म के प्रचार के लिये “वार-प्लान”बनाया जाता है।यह “योजनायें” विभिन्न देशों,विभिन्नक्षेत्रों,विभिन्न धर्मों के लिये अलग-अलगहोती हैं।इन सभी योजनाओं को “गहन मार्केटिंग रिसर्च” औरविश्लेषण के बाद तैयार कियाजाता है।जिस प्रकार एक कम्पनी अपने अगले आने वाले 25वर्षों का एक “प्रोजेक्शन” तैयारकरती है, उसी प्रकार इसे भी तैयार किया जाता है।ऐसा बताया जाता है कि वर्तमान में ऐसी 1590योजनायें चल रही हैं जो कि सन्2025 तक बढ़कर 3000 हो जायेंगी।सन् 2025 के “प्रोजेक्शन” के अनुसार बढ़ोतरी इसप्रकार की जाना है (यानी किटारगेट यह दिया गया है) वर्तमान 35500 ईसाईसंस्थायें बढ़कर 63000,धर्मपरिवर्तन के मामले 35 लाख से बढ़कर 53 लाख,4100विभिन्न मिशनरीसंस्थायें बढ़कर 6000,,,,56 लाख धर्म सेवकों की संख्या बढ़ाकर 65 लाख (पूरेयूरोप की समूची सेना से भीज्यादा संख्या) किया जाना है।वर्तमान में चर्च की कुल सम्पत्ति (भारत में) 13,71,000करोड़ है (जिसमें खालीपड़ी ज़मीन शामिल नहीं है)।यह राशि भारत के GDP का 60% से भी ज्यादा है,इसेभी बढ़ाकर 2025 तक40,00,000 करोड़ किया जाना है

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