Friday 13 March 2015

sanskar

कुछ नया जानिए-
■क्रति = सैकन्ड का ३४०००वाँ भाग ,
■१ त्रुति = सैकन्ड का ३००वाँ भाग
■२ त्रुति = १ लव ,
■१ लव = १ क्षण
■३० क्षण = १ विपल ,
■६० विपल = १ पल
■६० पल = १ घड़ी (२४ मिनट ) ,
■२.५ घड़ी = १ होरा (घन्टा )
■२४ होरा = १ दिवस (दिन या वार) ,
■७ दिवस = १ सप्ताह
■४ सप्ताह = १ माह ,
■२ माह = १ रितु
■६ रितु = १ वर्ष ,
■१०० वर्ष = १ शताब्दी
■१० शताब्दी = १ सहस्राब्दी ,
■४३२ सहस्राब्दी = १ युग
■२ युग = १ द्वापर युग ,
■३ युग = १ त्रैता युग ,
■४ युग = सतयुग
■सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = १ महायुग
■७६ महायुग = मनवन्तर ,
■१००० महायुग = १ कल्प
■१ नित्य प्रलय = १ महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ )
■१ नैमितिका प्रलय = १ कल्प ।(देवों का अन्त और जन्म )
■महाकाल = ७३० कल्प ।(ब्राह्मा का अन्त और जन्म )
विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यही है। जो हमारे देश भारत में बना । ये हमारा भारत जिस पर हमको गर्व है l
इसकी वैज्ञानिकता को अब NASA भी मानता है क्योंकि Theory of relativity and Science of Gravity यही कहती है कि आप धरती और हमारे सौरमंडल से जितना दूर जाओगे समय उतना धीरे चलता है ।
अर्थात, अगर हम मान लें कि ब्रह्मा किसी और सौरमंडल में हैं जहाँ गृह धीरे घूमते हैं और गरूत्वाकर्षण कम है तो वहां समय बहुत धीरे चलता होगा और वहां बीतने वाला एक दिन यहाँ के कई साल के बराबर होगा । इस पर एक कथा श्री कृष्ण के भाई बलराम जी की पत्नी के विषय में मिलती है जो हमें सोचने पर विवश करती है कि क्या पहले के लोग इतने आधुनिक थे कि ब्रह्माण्ड में आ जा सकते थे और क्यों द्वारिका जो गुजरात में समुद्र किनारे है पर सरकार ने खोज करने को मना किया है । क्या छुपा रही है सरकार?

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