Tuesday 17 March 2015

संघ (RSS) है क्या...??


संघ (RSS) है क्या...??


"राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विशुद्ध रूप से एक राष्ट्रवादी संघटन है"
जिसके सिद्धान्त हिंदुत्व में निहित और आधारित हैं।संघ की शुरुआत सन् 1925 में विजयदशमी के दिन परमपूज्य डा०केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गयी थी
और आपको यह जानकर काफी ख़ुशी होगी कि बीबीसी के अनुसार संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है।

भारत में संघ की लगभग पचास हजार सेभी ज्यादा शाखा लगती हैं और संघ में लगभग 25 करोड़ स्वयंसेवी हैं ।
वस्तुत: शाखा ही तो संघ की बुनियाद है जिसके ऊपर आज यह इतना विशाल संगठन खड़ा हुआ है।शाखा की सामान्य गतिविधियों में खेल, योग वंदना और भारत एवं विश्व के सांस्कृतिक पहलुओं पर बौद्धिक चर्चा परिचर्चा शामिल है।

जो भी सदस्य शाखा में स्वयं की इच्छा से आते हैं , वे "स्वयंसेवक" कहलाते हैं ...

शाखा में बौद्धिक और शारीरिक रूप से स्वयंसेवकों को संघ की जानकारी तो दी ही जाती हैं साथ-साथ समाज, राष्ट्र और धर्म की शिक्षा भी दी जाती है.सिर्फ इतना ही नहीं हिंदू धर्म में सामाजिक समानता के लिए संघ ने दलितों और पिछड़े वर्गों को मंदिर में पुजारी पद के लिए प्रशिक्षण का समर्थन किया है |
यहाँ तक कि ... महात्मा गाँधी के 1934 RSS के एक कैम्प की यात्रा के दोरान उन्होंने वहां पर पूर्ण अनुशासन पाया और छुआछूत की अनुपस्थिति पायी |

राहत और पुर्नवास संघ की पुरानी परंपरा रही है... उदाहरण के तौर पर संघ ने 1971 के उडीसा चक्रवात और 1977 के आंध्र प्रदेश चक्रवात में राहत कार्यों में महती भूमिका निभाई है इतना ही नहीं ... संघ से जुडी "सेवा भारती" ने जम्मू कश्मीर से आतंकवाद से परेशान 57 अनाथ बच्चों को गोद लिया हे जिनमे 38 मुस्लिम (जबकि मुस्लिम संघ को गाली देते हैं फिर भी और 19 हिंदू हैं |

संघ की उपस्थिति भारतीय समाज के हर क्षेत्र में महसूस की जा सकती है जिसकी शुरुआत सन 1925 से होती है। उदाहरण के तौर पर सन 1962 के भारत-चीन युद्ध में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू संघ की भूमिका से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने संघ को सन 1963 के गणतंत्र दिवस की परेड में सम्मिलित होने का निमन्त्रण दिया। और आप यह जान कर ख़ुशी से झूम उठेंगे कि.. सिर्फ़ दो दिनों की पूर्व सूचना पर तीन हजार से भी ज्यादा स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में वहाँ उपस्थित हो गये।

वर्तमान समय में संघ के दर्शन का पालन करने वाले कतिपय लोग देश के सर्वोच्च पदों तक पहुँचने मे भीं सफल रहे हैं। ऐसे प्रमुख व्यक्तियों में उपराष्ट्रपति पद पर भैरोंसिंह शेखावत, प्रधानमंत्री पद पर अटल बिहारी वाजपेयी एवं उपप्रधानमंत्री व गृहमंत्री के पद पर लालकृष्ण आडवाणी , नरेन्द्र भाई मोदी जैसे दिग्गज लोग शामिल हैं।

इतना ही नहीं... जिस दिन सारे स्वयंसेवक सिर्फ एक लाइन बना कर ही सीमा पर खड़े हो गए उस दिन चीन से ले कर बांग्लादेश तक गणवेशधारी स्वयंसेवक ही स्वयंसेवक नजर आयेंगे !इसीलिए ये हमारे लिए काफी गर्व की बात होती है ....... जब हमें संघ का स्वयंसेवक कहा जाता है ....

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ऐक वटवृक्ष है जिसके कई तने और कई शाखाये है।संघ दुनिया के लगभग 80 से अधिक देशो में कार्यरत है।"संघ के लगभग 50 से ज्यादा संगठन राष्ट्रीय ओर अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है ओर लगभग 200 से अधिक संघठन क्षेत्रीय प्रभाव रखते हैं।जिसमे कुछ प्रमुख संगठन है जो संघ की विचारधारा को आधार मानकर राष्ट्र और सामाज के बीच सक्रीय है।

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बिकाऊ मीडिया को केवल भारत और भारत के नागरिक ही विवादित क्योँ दिखायी देते हैँ?
 श्री. मोहन भागवत ने कहा था कि मदर टेरेसा का निर्धनों की सेवा के पीछे का मुख्य उद्देश्य, उनका ईसाई धर्म में धर्मपरिवर्तन कराना था । इस पर चारों ओर से टिप्पणी की जा रही है । अब हम आपको एक महीने पूर्व ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रान्सिस का धर्मपरिवर्तन से संबंधित एक वक्तव्य बताते हैं ।

 पोप के अधिकृत ट्वीटर खाते पर, चौबीस जनवरी को किए ट्वीट में वे कहते हैं, ‘धर्मपरिवर्तन का सबसे अच्छा माध्यम समाजसेवा है !’ इस ट्वीट पर अपना अभिमत अर्थात कमेंट देते हुए दुनिया भर के ईसाइयों ने इसका स्वागत किया है । कुछ ईसाइयों ने इसका विरोध भी किया है । धर्मपरिवर्तन संबंधी पोप प्रांसिस का ट्वीट आश्चर्य की बात ये है कि भागवत के वक्तव्य को विवादित कहकर, उन पर हल्लाबोल करनेवाली राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने पिछले एक महीने में कभी भी पोप के इस वक्तव्य को नहीं दिखाया । इससे मीडिया का हिन्दूद्रोह सामने आता है। पोप के इस वक्तव्यसे इसाईयोंकी समाजसेवा का असली चेहरा अब सामने आया है। हिन्दुआें को अब ये भी समझना आवश्यक है कि ईसाइयों की कथित समाजसेवा के बहकावे में आकर धर्मपरिवर्तन के भयानक जाल में वे न फंसें । इसकी अपेक्षा धर्मशिक्षा लेकर हिन्दू धर्मानुसार धर्माचरण करें । और अपने मनुष्य जीवन को सार्थक करें।

 http://www.hindujagruti.org/hindi/news/39906.html
 मुल्ला मौलबी, इसाई पादरी, बलात्कार करेँ या हत्या, उटपटाँग बोलेँ या कुछ भी करेँ इन  की जमात मीडिया चैनल को कोई फर्क नहीँ पडता लेकिन भारत का कोई हिँदू भारत के हित मेँ कुछ भी बोले सब "विवादित"।

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