Wednesday 4 March 2015

dohe...

दुश्मनों की महफ़िल में चल रही थी मेरे कत्ल की साजिश,
मैं पहुंचा तो बोलें यार तेरी उम्र बहुत लम्बी है!

कैसे कह दूं की महंगाई बहुत है।
मेरे शहर के चौराहे पर आज भी एक रूपये मे कई दुआएँ मिलती है!.............।

बेरंग हैं पानी फिर भी,जिन्दगी कहलाता हैं,
ढेर सारे रंग हैं शराब के,फिर भी गन्दगी कहलाती हैं।


लोग भी कमाल करते हैं,जिन्दगी के गम भुलाने के लिये,
गन्दगी में.. जिन्दगी मिलाकर पीते हैं! 


जीतने वाला ही नहीं,बल्कि कहाँ हारना है,
ये जानने वाला भी सिकंदर होता है!


लोग तो बे-वजह ही खरीदते हैं आईने.
आंख बंद करके भी अपनी हकीकत जानी जा सकती है!............।


न जाने कौन सा आंसू किसी से क्या कह दे,
हम इस ख्याल से नजरें झुकाएं बैठे हैं!.............।


कुछ लोग बडे होने के वहम में मर गये,
और जो लोग बडे थे वो अहम में मर गये!.

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