Saturday 28 February 2015

हिन्दू धर्म के लिए खुशखबरी तथा...हिन्दू धर्म द्रोहियों, चर्च-वेटिकन के गुर्गों और गाँव-गाँव में सेवा के नाम पर "धंधा" करने वाले फादरों के लिए बुरी खबर है कि सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के निर्णय को धता बताते हुए यह निर्णय सुनाया है कि यदि कोई व्यक्ति हिन्दू धर्म में वापसी करता है तो उसका दलित स्टेटस बरकरार रहेगा और उसे आरक्षण की सुविधा मिलती रहेगी... 

मामला केरल का है, जहाँ एक व्यक्ति ने हिन्दू धर्म में "घर-वापसी" की. उसे उसकी मूल दलित जाति का प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया. जब वह आरक्षण लेने पहुँचा तो वेटिकन के "दोगलों" ने हंगामा खड़ा करते हुए केरल हाईकोर्ट में याचिका लगा दी कि वह ईसाई बन चुका था, इसलिए उसे अब आरक्षण नहीं दिया जा सकता. अब सुप्रीम कोर्ट ने यह व्यवस्था दे दी है कि हिन्दू धर्म में लौटने के बाद भी वह दलित माना जाएगा और उसे आरक्षण मिलेगा.

ऊपर मैंने चर्च के सफ़ेद शांतिदूतों को "दोगला" इसलिए कहा, क्योंकि इन्हीं लोगों की माँग थी कि जो दलित ईसाई धर्म में जाए उसे भी "दलित ईसाई" श्रेणी में आरक्षण मिलना चाहिए. लेकिन जब वही व्यक्ति उनके चंगुल से निकलकर हिन्दू धर्म में वापस आया तो उसे आरक्षण के नाम पर रुदालियाँ गाने लगे. ठीक ऐसी ही दोगली कोलकाता निवासी एक महिला भी थी जिसे "सेवा"(?) उसी स्थिति में करनी थी, जब सरकार कठोर धर्मांतरण विरोधी क़ानून न बनाए. इस प्रस्तावित क़ानून के विरोध में मोरारजी देसाई को चिठ्ठी भी लिख मारी.
पाखण्ड, धूर्तता, चालाकी, झूठ, फुसलाना आदि के सहारे हिंदुओं को बरगलाने वालों को तगड़ा झटका लगा है... अब गरीब दलितों के सामने अच्छा विकल्प है कि पहले वे चर्च से "मोटा माल" लेकर ईसाई बन जाएँ फिर कुछ वर्ष बाद हिन्दू धर्म में "घर वापसी" कर लें और मजे से आरक्षण लें... "आम के आम, गुठलियों के दाम'.." wink emoticon wink emoticon 

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