Monday 29 December 2014

navaratri---

सुमंगल स्वागत स्वजनों,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
"अंधेरा होते ही यहां आपस में बात करने लगती हैं मूर्तियां !"
बगलामुखी माता का मंदिर,,,,,
बक्सर.- निस्तब्ध निशा को तोड़ती वे बुदबुदाहट सिहरन पैदा करती है।
आखिर कहां से आती है ये ध्वनि ?
मन पूछता है, कदम ठिठकते हैं,हृदय से ध्वनि आती है शायद मंदिर की दस
महाविद्याएं वार्तालाप में व्यस्त हैं।
मंदिर के गर्भगृह से ऐसी ध्वनि सुनकर एक पल ठिठक जाते हैं पुनः भयवश
आगे बढ़ जाते हैं।
आखिर क्या है इसका रहस्य जो छुपा है बक्सर जिले के डुमरांव के बगलामुखी
के गर्भगृह में।
डुमरांव थाना रोड के सामने लाला टोली रोड स्थित मां भगवती का यह पुराना मंदिर
कौतूहल उत्पन्न करता है।
इस मंदिर में मां जगदम्बा दस महाविद्याओं धूमावती,बग्लामुखी,तारा माता,
छिन्नमस्तिका,उग्रतारा,कमला,मातंगी,त्रिपुरसुंदरी देवी आदि विद्यमान हैं।
इसके साथ ही पंच भैरव, दत्तात्रेय,बटुक,अन्नपूर्णा,काल भैरव,मातंगी भैरवद्ध
इस मंदिर के संरक्षक द्वारपाल हैं।
यह एक पूर्णतः तांत्रिक मंदिर है।
लगभग साढ़े तीन सौ वर्ष पुरातन इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यह
मंदिर शाहाबाद; (अब चार जिले भोजपुर, बक्सर, कैमूर, रोहतासद्ध) का एकमात्र
तंत्र मंदिर है।
यहां निस्तब्ध निशा में मूर्तियों के वार्तालाप करने का भ्रम होता है।
यह भ्रम है या आस्था यह कहा नहीं जा सकता पर इस सत्य से इंकार भी नहीं है कि
ऐसा होता है।
मंदिर के पास से गुजरने वाले हर व्यक्ति इसका प्रमाण है।
बहुत पहले तो मूर्तियों के इस बात से लोगों ने इंकार किया,लेकिन आगे चलकर
जब बात धीरे-धीरे उजागर हुई तो भक्तों ने मंदिर के पुजारी से इस बात की चर्चा की।
इतना सुनना था कि पुजारी जी ने भक्तों की जिज्ञासा को यह कहते हुए शांत कराया
कि ये सच है।
टूटी-फूटी भाषा में रात के बारह बजे के बाद आपस में बात करते आवाज सुनाई देती है।
दो भूजावाली दक्षिणेश्वरी मां का दरबार अति दुर्लभ है।
इस दरबार से आज तक सच्चे मन से मांगी गई मन्नत पूर्ण होती है।
इस मंदिर की एक अलग मान्यता है।
इस मंदिर में नवरात्रि में कभी भी कलश स्थापना नहीं किए जाने का प्रावधान है।
यहां अन्न का नहीं बल्कि मेवा का भोग लगाया जाता है।
माता के दरबार में सावन माह के चतुर्दशी को बहुत बड़ा मेला लगता है।
यहां दूर-दूर से लोग पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं।
प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख मिलता है।
1. काली 2.तारा 3.षोड़षी 4.भुवनेश्वरी 5.छिन्नमस्ता
6.त्रिपुर भैरवी 7. धूमावती 8. बगलामुखी 9. मातंगी 10. कमला।
माँ भगवती श्री बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है।
माँ बगलामुखी यंत्र मुकदमों में सफलता तथा सभी प्रकार की उन्नति के लिए
सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
कहते हैं इस यंत्र में इतनी क्षमता है कि यह भयंकर तूफान से भी टक्कर लेने
में समर्थ है।
माहात्म्य- सतयुग में एक समय भीषण तूफान उठा।
इसके परिणामों से चिंतित हो भगवान विष्णु ने तप करने की ठानी।
उन्होंने सौराष्‍ट्र प्रदेश में हरिद्रा नामक सरोवर के किनारे कठोर तप किया।
इसी तप के फलस्वरूप सरोवर में से भगवती बगलामुखी का अवतरण हुआ।
हरिद्रा यानी हल्दी होता है।
अत: माँ बगलामुखी के वस्त्र एवं पूजन सामग्री सभी पीले रंग के होते हैं।
बगलामुखी मंत्र के जप के लिए भी हल्दी की माला का प्रयोग होता है।
साधनाकाल की सावधानियाँ
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- पीले वस्त्र धारण करें।
- एक समय भोजन करें।
- बाल नहीं कटवाए।
- मंत्र के जप रात्रि के 10 से प्रात: 4 बजे के बीच करें।
- दीपक की बाती को हल्दी या पीले रंग में लपेट कर सुखा लें।
- साधना में छत्तीस अक्षर वाला मंत्र श्रेष्‍ठ फलदायी होता है।
- साधना अकेले में, मंदिर में, हिमालय पर या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर
की जानी चाहिए।
---मंत्र- सिद्ध करने की विधि
- साधना में जरूरी श्री बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है।
- अगर सक्षम हो तो ताम्रपत्र या चाँदी के पत्र पर इसे अंकित करवाए।
- बगलामुखी यंत्र एवं इसकी संपूर्ण साधना यहाँ देना संभव नहीं है।
किंतु आवश्‍यक मंत्र को संक्षिप्त में दिया जा रहा है ताकि जब साधक मंत्र संपन्न
करें तब उसे सुविधा रहे।
--प्रभावशाली मंत्र माँ बगलामुखी
विनियोग -
अस्य :
श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे।
श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।
आवाहन
ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके
इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।
ध्यान
सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।
मंत्र
ऊँ ह्रीं बगलामुखी
वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय
बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।

सर्वदुष्टानां
इन छत्तीस अक्षरों वाले मंत्र में अद्‍भुत प्रभाव है।
इसको एक लाख जाप द्वारा सिद्ध किया जाता है।
अधिक सिद्धि हेतु पाँच लाख जप भी किए जा सकते हैं।
जप की संपूर्णता के पश्चात् दशांश यज्ञ एवं दशांश तर्पण भी आवश्यक है।
मन्त्रों की सिद्धि किसी सामर्थ्यवान बगलामुखी तंत्र के ज्ञाता विद्वान के
दिशा निर्देशन में ही करनी चाहिए,,,
सर्वमंगमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते।
जयति पुण्य सनातन संस्कृति,,,
जयति पुण्य भूमि भारत,,,,

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