Thursday 25 December 2014

feb-sanskar

 ~ * बहाने Vs सफलता *~ ~
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1- मुझे उचित शिक्षा लेने का
अवसर नही मिला...
उचित शिक्षा का अवसर
फोर्ड मोटर्स के मालिक
हेनरी फोर्ड को भी नही मिला ।
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2- मै इतनी बार हार चूका ,
अब हिम्मत नही...
अब्राहम लिंकन 15 बार
चुनाव हारने के बाद राष्ट्रपति बने।
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3- मै अत्यंत गरीब घर से हूँ ...
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भी
गरीब घर से थे ।
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4- बचपन से ही अस्वस्थ था...
आँस्कर विजेता अभिनेत्री
मरली मेटलिन भी बचपन से
बहरी व अस्वस्थ थी ।
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5 - मैने साइकिल पर घूमकर
आधी ज़िंदगी गुजारी है...
निरमा के करसन भाई पटेल ने भी
साइकिल पर निरमा बेचकर
आधी ज़िंदगी गुजारी ।
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6- एक दुर्घटना मे
अपाहिज होने के बाद
मेरी हिम्मत चली गयी...
प्रख्यात नृत्यांगना
सुधा चन्द्रन के पैर नकली है ।
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7- मुझे बचपन से मंद बुद्धि
कहा जाता है...
थामस अल्वा एडीसन को भी
बचपन से मंदबुद्धि कहा जता था।
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8- बचपन मे ही मेरे पिता का
देहाँत हो गया था...
प्रख्यात संगीतकार
ए.आर.रहमान के पिता का भी
देहांत बचपन मे हो गया था।
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9- मुझे बचपन से परिवार की
जिम्मेदारी उठानी पङी...
लता मंगेशकर को भी
बचपन से परिवार की जिम्मेदारी
उठानी पङी थी।
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10- मेरी लंबाई बहुत कम है...
सचिन तेंदुलकर की भी
लंबाई कम है।
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11- मै एक छोटी सी
नौकरी करता हूँ ,
इससे क्या होगा...
धीरु अंबानी भी
छोटी नौकरी करते थे।
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12- मेरी कम्पनी एक बार
दिवालिया हो चुकी है ,
अब मुझ पर कौन भरोसा करेगा...
दुनिया की सबसे बङी
शीतल पेय निर्माता पेप्सी कोला भी
दो बार दिवालिया हो चुकी है ।
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13- मेरा दो बार नर्वस
ब्रेकडाउन हो चुका है ,
अब क्या कर पाउँगा...
डिज्नीलैंड बनाने के पहले
वाल्ट डिज्नी का तीन बार
नर्वस ब्रेकडाउन हुआ था।
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14- मेरी उम्र बहुत ज्यादा है...
विश्व प्रसिद्ध केंटुकी फ्राइड चिकेन
के मालिक ने 60 साल की उम्र मे
पहला रेस्तरा खोला था।
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15- मेरे पास बहुमूल्य आइडिया है
पर लोग अस्वीकार कर देते है...
जेराँक्स फोटो कापी मशीन के
आईडिया को भी ढेरो कंपनियो ने
अस्वीकार किया था पर आज
परिणाम सामने है ।
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16- मेरे पास धन नही...
इन्फोसिस के पूर्व चेयरमैन
नारायणमूर्ति के पास भी धन नही था
उन्हे अपनी पत्नी के गहने बेचने पङे।
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17- मुझे ढेरो बीमारियां है..
वर्जिन एयरलाइंस के प्रमुख भी
अनेको बीमारियो मे थे |
राष्ट्रपति रुजवेल्ट के दोनो पैर
काम नही करते थे।
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आज आप जहाँ भी है
या कल जहाँ भी होगे
इसके लिए आप किसी और को
जिम्मेदार नही ठहरा सकते ,
इसलिए आज चुनाव करिये -
सफलता और सपने चाहिए
या खोखले बहाने .
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आप भगवान से क्या माँगते हैं, और ईश्वर आपको क्या देता है!
(i) यदि आप भगवान से शक्ति माँगते हैं, तो वह
आपको कठिनाई में डाल देता है, ताकि आपकी हिम्मत बढ़े और आप शक्तिशाली बनें।
(ii) यदि आप भगवान से बुद्धि माँगते हैं, तो वह
आपको उलझन मे डाल देता है, ताकि आप उसे सुलझा सकें और बुद्धिमान होने का परिचय दे सकें।
(iii) यदि आप भगवान से समृद्धि माँगते हैं, तो वह
आपको समझ प्रदान करता है, ताकि आप श्रम करें,
योग्यता बढ़ाएँ ओर आपकी समृद्धि हो सकें।
(iv) यदि आप भगवान से प्यार माँगते हैं, तो वह
आपको दुखी लोगों के बीच खड़ा कर देता है, ताकि आपके हाथ मदद के लिए आगे बढ़े, उदार बनें और प्यार करना सीखें।
(v) भगवान आपको वह नहीं देता जो आप माँगते हैं,
वह देता है जो आपको चाहिए। इसलिए ईश्वर की रज़ा में खुश रहें वो कभी हमारा बुरा नही करेगा, वशर्ते हम भी किसी का बूरा ना करे...

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ॐ शंखनाद की औषधीय विशेषता ॐ
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हिंदू मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के समय प्राप्त चौदह रत्नों में से एक शंख की उत्पत्ति छठे स्थान पर हुई। शंख में भी वही अद्भुत गुण मौजूद हैं, जो अन्य तेरह रत्नों में हैं। दक्षिणावर्ती शंख के अद्भुत गुणों के कारण ही भगवान विष्णु ने उसे अपने हस्तकमल में धारण किया हुआ है।


शंख मुख्यतः दो प्रकार के होते ह्रैं : वामावर्ती और दक्षिणावर्ती। इन दोनों की पूजा का विशेष महत्व है। दैनिक पूजा-पाठ एवं कर्मकांड अनुष्ठानों के आरंभ में तथा अंत में वामावर्ती शंख का नाद किया जाता है। इसका मुख ऊपर से खुला होता है। इसका नाद प्रभु के आवाहन के लिए किया जाता है। इसकी ध्वनि से क्क शब्द निकलता है। यह ध्वनि जहां तक जाती है, वहां तक की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। वैज्ञानिक भी इस बात पर एकमत हैं कि शंख की ध्वनि से होने वाले वायु-वेग से वायुमंडल में फैले वे अति सूक्ष्म किटाणु नष्ट हो जाते हैं, जो मानव जीवन के लिए घातक होते हैं।

उक्त अवसरों के अतिरिक्त अन्य मांगलिक उत्सवों के अवसर पर भी शंख वादन किया जाता है। महाभारत के युद्ध के अवसर पर भगवान कृष्ण ने पांचजन्य निनाद किया था। कोई भी शुभ कार्य करते समय शंख ध्वनि से शुभता का अत्यधिक संचार होता है। शंख की आवाज को सुन कर लोगों को ईश्वर का स्मरण हो आता है।

शंख वादन के अन्य लाभ भी हैं। इसे बजाने से सांस की बीमारियों से छुटकारा मिलता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से शंख बजाना विशेष लाभदायक है। शंख बजाने से पूरक, कुंभक और प्राणायाम एक ही साथ हो जाते हैं। पूरक सांस लेने, कुंभक सांस रोकने और रेचक सांस छोड़ने की प्रक्रिया है। आज की सबसे घातक बीमारी हृदयाघात, उच्च रक्त चाप, सांस से संबंधित रोग, मंदाग्नि आदि शंख बजाने से ठीक हो जाते हैं।

घर में शंख वादन से घर के बाहर की आसुरी शक्तियां भीतर नहीं आ सकतीं। यही नहीं, घर में शंख रखने और बजाने से वास्तु दोष दूर हो जाते हैं।

दक्षिणावर्ती शंख सुख-समृद्धि का प्रतीक है। इसका मुख ऊपर से बंद होता है।

अगर आपको खांसी, दमा, पीलिया, ब्लड प्रेशर या दिल से संबंधित मामूली से लेकर गंभीर बीमारी है तो इससे निजात पाने का एक सरल और आसान सा उपाय है- प्रतिदिन शंख बजाइए।


करते हैं कि शंखनाद से आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

शंख से निकलने वाली ध्वनि जहां तक जाती है वहां तक बीमारियों के कीटाणुओं का नाश हो जाता है।

शंखनाद से सकारात्मक ऊर्जा का सर्जन होता है जिससे आत्मबल में वृद्धि होती है।

शंख में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है।

प्रतिदिन शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं हो सकते।
शंख से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है।

शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों का भी व्यायाम हो जाता है।

शंख वादन से स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।






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